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धार्मिक सद्भाव की मिसाल बनीं मुस्लिम महिलाएं, छठ पूजा के लिए बनाती हैं चूल्हे

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Published : Oct 21, 2021, 2:05 PM IST

बिहार की राजधानी पटना में एक बार फिर गंगा जमुनी तहजीब की एक झलक देखने को मिल रही है. जहां मुस्लिम महिलाएं छठ पर्व को लेकर मिट्टी के चूल्हे बनाने में जुट गई हैं. हालांकि, इस साल इन महिलाओं को मिट्टी काफी अधिक दामों में मिल रही है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

छठ पर्व
छठ पर्व

पटना : लोक आस्था के महापर्व छठ (Chhath Puja 2021) की तैयारी शुरू हो गई है. इस पर्व में मिट्टी के चूल्हे का काफी महत्व (Importance Of Stove During Chhat Puja) है. छठ पर्व में भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया जाता है. इस पूजा के लिए जो प्रसाद बनाया जाता है, वो मिट्टी के चूल्हे पर ही बनाया जाता है.

बिहार की राजधानी पटना के सड़क किनारे ये चूल्हे बनकर तैयार दिख रहे हैं. सबसे बड़ी खासियत यह है कि पटना में ज्यादातर मिट्टी के चूल्हे मुस्लिम महिलाएं ही बनाती हैं. कई सालों से ये मुस्लिम महिलाएं इस काम को कर रही हैं.

पटना में छठ पर्व की तैयारी शुरू

मुस्लिम महिलाएं इस काम को पूरी श्रद्धा के साथ करती हैं. वीरचंद पटेल पथ के फुटपाथ पर मिट्टी के चूल्हे बना रहीं साजिया खातून का कहना है कि मिट्टी पटना के बाहर से मंगाई जाती है, जिससे चूल्हे बनाकर छठ पर्व के लिए बेचा जाता है.

साजिया ने कहा, हम लोग ये काम पिछले छह साल से कर रहे हैं. पहले मेरे ससुर यह काम करते थे. चूल्हा बनाने के लिए मिट्टी पुनपुन से लाते हैं. एक ट्रैक्टर मिट्टी पांच हजार रुपये में लाते हैं, जिसमें 50-60 चूल्हे बन जाते हैं. इस पूजा को लेकर बहुत मान समझते हैं. चूल्हा बनाने के दौरान हमलोग मीट-मछली नहीं खाते हैं. साफ-सुथरा के साथ बनाते हैं.

छठ पर्व के लिए चूल्हे बनाती हैं मुस्लिम महिलाएं
छठ पर्व के लिए चूल्हे बनाती हैं मुस्लिम महिलाएं

चूल्हा बनाने वाली मुस्लिम महिला से जब पूछा गया कि आप मुस्लिम हैं और छठ हिंदू का महापर्व है. इस सवाल के जवाब में महिला ने कहा कि इस पर्व के महत्व को हम जानते हैं और यही कारण है कि बड़ी श्रद्धा से मिट्टी के चूल्हे बनाते हैं. चूल्हा बनाने वाली सभी मुस्लिम महिलाएं इस पर्व को पवित्र मानती हैं.

वहीं, मिट्टी का चूल्हा बना रही बुजुर्ग महिला रजिया खातून का कहना है कि 25 सालों से ज्यादा समय से हम चूल्हा बना रहे हैं. पिछले साल कोरोना के कारण मार्केट नहीं था. जिसके कारण चूल्हा नहीं बना पाये. लेकिन इस बार फिर से चूल्हा बनाने का कार्य शुरू है. इस बार मिट्टी भी महंगी मिली है. जबकि मिट्टी के चूल्हे की कीमत ज्यादा नहीं मिल रही है.

महिला ने बताया कि जो भी व्यापारी चूल्हा लेने आते हैं, वे लोग 100-150 रुपये से ज्यादा दाम नहीं देते हैं. महिला ने कहा कि हम लोग बहुत ही पाक तरीके से चूल्हे बनाते हैं.

कुल मिलाकर देखें तो हिंदू छठ व्रतियों की तरह ही मुस्लिम महिलाओं में भी इस महापर्व को लेकर आस्था दिखती है. मुस्लिम महिलाएं भी मानती हैं कि छठ महान पर्व है और इसमें काफी पवित्रता से पूजा की जाती है.

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