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बड़े शातिर निकले ये ठग, 'स्पेशल-26' की तर्ज पर रेलवे और दूसरे महकमों में बांट रहे थे नौकरी

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Published : Feb 4, 2021, 9:29 PM IST

उत्तराखंड एसटीएफ ने एक गिरोह का खुलासा किया है. गिरोह बॉलीवुड फिल्‍म स्पेशल 26 की तर्ज पर युवाओं को अपने जाल में फंसता था और फिर से उनसे प्रति व्यक्ति 10 लाख रुपये की ठगी करता था.

ठगी का भंडाफोड़
ठगी का भंडाफोड़

देहरादून : उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने गुरुवार को एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो बॉलीवुड फिल्‍म स्पेशल-26 की तर्ज पर युवाओं को बेवफूक बनाकर ठगी करते थे. इस गिरोह का नेटवर्क देश के कई राज्यों में फैला हुआ है. यह गिरोह सरकारी नौकारी के नाम पर बेरोजगार युवाओं से करोड़ों रुपये की ठगी कर चुका है.

एसटीएफ ने इसी गिरोह के मास्टमाइंट विकास चंद्र को देहरादून से ही गिरफ्तार किया है, जबकि इसका दूसरा साथी फरार चल रहा है, जिसकी पुलिस तलाश में जुटी हुई है.

ठगी का भंडाफोड़

उत्तराखंड के कई लोगों को बनाया शिकार

एसएसपी एसटीएफ अजय सिंह ने पूरे मामले का खुलासा करते हुए बताया कि यह गिरोह 2017 से अब कई लोगों को अपना शिकार बना चुका है. देहरादून में इस गिरोह के खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराई गई थी, जिसके बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू की. इसी बीच पुलिस ने गुरुवार को रायपुर थाना क्षेत्र के सहस्त्रधारा से आरोपी विकास को गिरफ्तार किया, जो मूल रूप से पौड़ी का रहने वाला है.

एक व्यक्ति से लेते थे 10 लाख रुपए

एसएसपी एसटीएफ के मुताबिक जब आरोपी विकास से पूछताछ की गई, तो इस गिरोह की सारी परतें खुल गईं. ये गिरोह बॉलीवुड फिल्‍म स्पेशल-26 की तर्ज पर बेरोजगार युवाओं से ठगी करते थे. यह गिरोह फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया रेलवे और दिल्ली एम्स में नौकरी दिलाने के नाम प्रति व्यक्ति से 10 लाख रुपये की ठगी करता था. रुपये देने वाले को इस गिरोह पर कोई शक न हो इसके लिए वह पहली किस्त फोन-पे और बैंक चेक आदी के जरिए लेते थे. बाकी की रमक कैश में लेते थे.

ऐसे करते थे ठगी

पुलिस के मुताबिक, पहले ये भारतीय खाद्य निगम (FCI), रेलवे और ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) जैसे बड़े संस्थानों में नौकरी की विज्ञप्ति दिखाकर युवक-युवतियों को अपने जाल में फंसाते थे. इसके बाद उनसे आवेदन फार्म भरवाते थे. आवेदन फार्म भरने के बाद उनका इंटरव्यू लिया जाता था. इंटरव्यू के लिए दिल्ली जैसे बड़े शहरों में बुलाया जाता था, यहां पर इंटरव्यू होने के बाद उन्हें सलेक्ट किया जाता था. उन्हें ज्वाइनिंग लेटर दिया जाता था. ठगी का ये सारा खेल सच लगे इसके लिए बकायदा उनका दिल्ली एम्स जैसी जगह पर मेडिकल कराया जाता था.

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वहीं, सरकारी नौकरी पाने वाले व्यक्ति की जांच के लिए घर भी फर्जी एलआईयू अधिकारी भेजा था, जिससे युवाओं को पूरा यकीन हो जाए की उनकी सरकारी नौकरी लग गई है. सबसे बड़ी बात यह है कि शिकजे में फंसे युवाओं को यूपी के गोरखपुर और अन्य जगहों पर ट्रेनिंग भी दी जाती थी. फर्जी आईकार्ड भी बकायदा डाक के जरिए घर भिजवाए जाते थे. उन्हें सरकारी विभागों के फर्जी ईमेल आईडी दी जाती थी.

पुलिस के मुताबिक, आरोपी विकास किसी जाति विशेष समुदाय के संगठन का अध्यक्ष भी है. ऐसे में पुलिस उससे अभी उससे पूछताछ कर रही है. विकास के कई राजनेताओं से संबंध भी हो सकते हैं. इसकी भी जांच की जा रही है. दूसरे फरार आरोपी का नाम कपिल सैनी है. इस गिरोह के अन्य सदस्यों के बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही है. पुलिस ने दोनों आरोपियों को बैंक खातों को फ्रीज कर दिया है.

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