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गुजरात मंत्रिमंडल : बीजेपी ने आजमाया नो रीपीट फॉर्मूला, ऑपरेशन क्लीन वाले इस प्रयोग का कितना होगा असर ?

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Published : Sep 16, 2021, 6:21 PM IST

Updated : Sep 16, 2021, 7:36 PM IST

गुजरात में रूपाणी मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों की छुट्टी कर दी गई. 24 नए मंत्री में कई नेता ऐसे हैं, जो पहली बार विधायक बने. विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी पुराने मंत्रियों को हटाकर सरकार की नई छवि पेश करना चाहती है. बीजेपी ने नो रीपीट फॉर्मूला (No Repeat formula) क्यों आजमाया, पढ़ें रिपोर्ट

no repeat formula in gujarat
no repeat formula in gujarat

हैदराबाद : गुजरात के नए मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल (Bhupendra Patel) के नए मंत्रिमंडल ने शपथ ली. नए मंत्रियों में शामिल सभी 22 चेहरे पहली बार मंत्री बनाए गए हैं. विजय रूपाणी सरकार के 22 सदस्यों में एक को भी मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली. इसके अलावा बीजेपी ने गुजरात में विधानसभा अध्यक्ष भी बदल दिया. 2017 में विधानसभा अध्यक्ष चुने गए राजेंद्र त्रिवेदी कैबिनेट मंत्री बनाए गए. उनकी जगह निमा आचार्य विधानसभा सभापति होंगी.

इस मंत्रिमंडल में शामिल 24 नए चेहरों को शामिल कर बीजेपी ने नया प्रयोग किया है. इनमें 10 कैबिनेट और 14 राज्य मंत्री बनाए गए हैं. अभी तक किसी सरकार में ऐसा नहीं हुआ है कि एक भी पुराने मंत्री को नए मंत्रिमंडल में शामिल न किया हो. राजनीतिक विश्लेषक इस नो रीपीट पॉलिसी बता रहे हैं.

निमा आचार्य विधानसभा सभापति बनाई गईं,
निमा आचार्य विधानसभा सभापति बनाई गईं,

भारतीय जनता पार्टी ने यह उपाय 2017 के दिल्ली नगर निगम और इससे पहले गुजरात के निकाय चुनाव में आजमा चुकी है. नो रीपीट पॉलिसी का असर यह रहा कि दिल्ली के नगर निगमों पर बीजेपी का कब्जा हुआ था. गुजरात नगर निगम में भी दोबारा टिकट नहीं देने का फायदा बीजेपी को 2017 के विधानसभा चुनाव में हुआ था. मगर अभी नो रीपीट नीति की परिस्थितियों में थोड़ा फर्क है. नगर निगम चुनाव में बीजेपी ने पुराने पार्षदों के टिकट काटे थे. जबकि रुपाणी मंत्रिमंडल के सदस्य और नए मंत्री दोनों विधानसभा के सदस्य हैं.

चुनाव में विधायकों के टिकट काटने का संदेश : राजनीतिक एक्सपर्ट का मानना है कि बीजेपी आलाकमान ने पुराने चेहरों को दोबारा मंत्री नहीं बनाकर यह मैसेज दे दिया है कि विधानसभा चुनाव के दौरान बड़ी संख्या में सीटिंग एमएलए के टिकट काटे जा सकते हैं. अगले चुनावों में कम से कम 50 विधानसभा क्षेत्रों में नए कैंडिडेट लाए जा सकते हैं. गुजरात में विधानसभा चुनाव 15 महीने बाद होंगे. नए मंत्रियों पर यह दबाव रहेगा कि वह बेहतर परफॉर्म करें. इसका फायदा पार्टी को विधानसभा चुनाव के दौरान मिल सकता है.

6 मंत्री बनाकर पाटीदारों को दिया संदेश : गुजरात की आबादी में करीब14 फीसद आबादी पाटीदार समाज की है. प्रदेश की एक-चौथाई सीटों पर जबरदस्त प्रभाव है. 90 के दशक से पटेल बीजेपी के वोटर रहे हैं. आम आदमी पार्टी गुजरात में पटेल समाज को साधने में जुटी है. इसलिए बीजेपी ने पहले पाटीदार समुदाय से सीएम और अब 6 नए मंत्री बनाकर पटेल बिरादरी को संदेश दिया है.

ओबीसी से चार मंत्री बनाए गए है. इसके साथ ही मंत्रिमंडल में एक जैन, दो ब्राह्मण, चार क्षत्रिय, तीन दलित और चार आदिवासी विधायकों को शामिल किया गया है. कांग्रेस से भाजपा में आए बृजेश मेरजा, राघव पटेल और कृति सिंह झाला को भी मंत्री बनाया गया है. तीनों मंत्री 2017 में कांग्रेस से विधायक बने थे और बाद में बीजेपी में शामिल हो गए थे.

दो दशक से भाजपा गुजरात की सत्ता पर काबिज : भाजपा दो दशक से ज्यादा वक्त से लगातार गुजरात की सत्ता में हैं. यह भगवा किला के तौर पर जाना जाता है. बीजेपी के गुजरात की हार से वैसा ही संदेश पूरे देश में जा सकता है, जैसे पश्चिम बंगाल में सीपीएम की हार से गया था. इसलिए बीजेपी फूंक-फूंककर गुजरात चुनाव की तैयारी कर रही है. 2022 के चुनाव में भाजपा साफ-सुथरी छवि के साथ मतदाताओं के बीच जाना चाहती है. मंत्री बनने वाले पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी पर केस किया था, जिस वजह से कांग्रेस नेता को सूरत कोर्ट में पेश होना पड़ा था. पार्टी ने ऋषिकेश पटेल को मंत्री बनाकर उत्तर गुजरात में नया नेतृत्व खड़ा किया है. उत्तर गुजरात में पाटीदार बिरादरी के बड़े नेता नितिन पटेल कद काफी बड़ा है.

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भूपेंद्र सिंह चुडास्मा और नितिन पटेल जैसे दिग्गजों को भी मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली

बिहार में भी आजमाया है चेहरे बदलने का आइडिया : 2020 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी ने अपने कोटे से कई नए चेहरों को मंत्री बनाया. सुशील कुमार मोदी और नंदकिशोर यादव जैसे पुराने दिग्गजों की छुट्टी कर दी थी. रेणु देवी और तारकिशोर प्रसाद को उपमुख्यमंत्री बनाया गया. डिप्टी सीएम बनने से पहले इन दोनों का राजनीतिक रसूख सुशील मोदी जैसे नेताओं जितना बड़ा नहीं था. शाहनवाज हुसैन और नीतिन नवीन को मंत्री बनाकर युवा चेहरों को तरजीह दी गई. हालांकि मंगल पांडे जैसे पुराने मंत्री को दोबारा कैबिनेट में शामिल किया गया था. कुल मिलाकर बिहार में भी मंत्रियों की नई टीम बनाई गई थी.

Last Updated :Sep 16, 2021, 7:36 PM IST
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