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जानें क्या है प्लाज्मा थेरेपी, जो कोरोना के इलाज में हो सकती है मददगार

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Published : Apr 11, 2020, 12:02 PM IST

Updated : Apr 11, 2020, 12:47 PM IST

कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी चीन में वरदान बनकर उभरी है. भारत में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए शोधकर्ता और चिकित्सक लगातार इसके बारे में जानकारियां इकट्ठा करने में जुटे हुए हैं. इस बीच आईसीएमआर ने इस संबंध में खास जानकारी साझा करते हुए कहा है कि भारत प्लाज्मा थेरेपी के नैदानिक परीक्षण के लिए प्रोटोकॉल तैयार करने के अंतिम चरण में है. इसके साथ ही केरल देश का पहला राज्य बनने जा रहा है, जहां कोरोना से गंभीर रूप से बीमार मरीजों पर थेरेपी का इस्तेमाल शुरू किया जाएगा. जानें, प्लाज्मा थेरेपी से जुड़ी सभी जरूरी बातें...

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प्लाज्मा थेरेपी के नैदानिक परीक्षण के लिए प्रोटोकॉल बनाने के अंतिम चरण में भारत

हैदराबाद : आईसीएमआर (भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद) के वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी दी कि भारत स्वास्थ्य के लिए लाभकारी प्लाज्मा थेरेपी के नैदानिक परीक्षण के लिए प्रोटोकॉल तैयार करने के अंतिम चरण में है.

प्लाज्मा थेरेपी के तहत उपचारित मरीजों के खून में से एंटीबॉडी लेकर उनका इस्तेमाल गंभीर रूप से बीमार कोविड-19 के मरीजों के इलाज में किया जाएगा.

गौरतलब है कि केरल परीक्षण के स्तर पर गंभीर रूप से बीमार मरीजों पर थेरेपी का इस्तेमाल शुरू करने वाला देश का पहला राज्य बनने जा रहा है.

आईसीएमआर ने इस अनोखी परियोजना के लिए राज्य सरकार को मंजूरी दे दी है, जिसकी पहल प्रतिष्ठित श्री चित्र तिरुनिल आयुर्विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (एससीटीआईएमएसटी) ने की है.

कंवलसेंट प्लाज्मा थेरेपी के बारे में तथ्य :

क्या है कंवलसेंट प्लाज्मा ?
कंवलसेंट प्लाज्मा रक्त का तरल हिस्सा है, जो उन रोगियों से एकत्र किया जाता है, जो इस संक्रमण से उबर चुके होते हैं. कंवलसेंट प्लाज्मा में मौजूद एंटीबॉडीज प्रोटीन होते हैं, जो संक्रमण से लड़ने में मदद कर सकते हैं.

यह कैसे काम करता है ?

  • जैसे कि कोरोना संक्रमित मरीज का शरीर इससे लड़ता है, तो एंटीबॉडी पैदा करता है, जो वायरस पर हमला करते हैं.
  • यह एंटीबॉडीज प्रोटीन, जिन्हें प्रतिरक्षा कोशिकाओं द्वारा बी लिम्फोसाइट्स के रूप में जाना जाता है, प्लाज्मा में पाए जाते हैं, या रक्त का तरल हिस्सा होते हैं. जरूरत पड़ने पर यह रक्त का थक्का बनने में मदद करते हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में भी सहायक होते हैं.
  • एक बार जब कोई कोरोना संक्रमित व्यक्ति ठीक हो जाता है, तो उस व्यक्ति का शरीर एंटीबॉडी विकसित कर चुका होता है, जो उसके खून में रुके हुए होते हैं ताकि वायरस के दोबारा आने पर उससे लड़ सकें.
  • उन एंटीबॉडीज को जब किसी अन्य बीमार व्यक्ति मे इंजेक्ट किया जाता है तो वह वायरस पर हमला करने के लिए पहले से ही तैयार रहते हैं.
  • कोरोना वायरस के मामले में, वैज्ञानिकों का कहना है कि एंटीबॉडी वायरस के बाहर स्पाइक्स पर हमला करते हैं और वायरस को मानव कोशिकाओं में घुसने से रोकते हैं.

एंटीबॉडी क्या है ?

  • एंटीबॉडी प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा उत्पादित प्रोटीन हैं, जो विदेशी आक्रमण के खिलाफ एक व्यक्ति की रक्षा करने में मदद करते हैं.
  • शरीर किसी भी बाहरी चीज (बैक्टीरिया, वायरस, विषाक्त पदार्थों आदि) को विदेशी की तरह देखता है, ऐसे में शरीर की प्रतिरक्षा कोशिकाओं, जिन्हें मैक्रोफेज कहा जाता है, का पहला काम इन आक्रमणकारियों (एंटीजन) को संलग्न करना और उन्हें जैव रासायनिक रूप से संसाधित करना होता है.
  • यह बायोकैमिकल प्रोसेस जरूरी तौर पर एक ब्लूप्रिंट तैयार करता है, जिसका प्रयोग प्रतिरक्षा प्रणाली के विकास के लिए किया जाता है. इसके परिणामस्वरूप एंटीबॉडी का उत्पादन होता है.
  • प्रत्येक एंटीबॉडी केवल एक खास एंटीजन को ही बांधे रख सकती है. इसका उद्देश्य एंटीजन को नष्ट करने में मदद करना है. कुछ एंटीबॉडी सीधे एंटीजन को नष्ट कर देते हैं.
  • जबकि अन्य एंटीजन को नष्ट करने के लिए सफेद रक्त कोशिकाओं की मदद करके इसे आसान बनाते हैं.

चिकित्सा से कौन लाभान्वित हो सकता है?

वैज्ञानिक अनुमान लगा रहे हैं कि वायरस के सबसे गंभीर लक्षणों वाले लोगों का इलाज करने में कंवलसेंट प्लाज्मा प्रभावी हो सकता है. यह भी उम्मीद की जा रही है कि यदि संक्रमण से मामूली बीमार लोगों का प्लाज्मा थेरेपी के साथ इलाज किया जाता है, तो स्वास्थ्य बिगड़ने से बचाया जा सकता है.

क्या थेरेपी की कोई सीमा है ?

  • कंवलसेंट प्लाज्मा को निष्क्रिय एंटीबॉडी थेरेपी के रूप में भी जाना जाता है. इसका अर्थ है कि इंजेक्ट किए गए एंटीबॉडी केवल प्राप्तकर्ता के शरीर में थोड़े समय के लिए रहते हैं. भले ही वह तुरंत एक व्यक्ति को वायरस से लड़ने की क्षमता प्रदान कर सकते हैं.
  • हालांकि, डोनर के मामले में एंटीबॉडी लॉंगटर्म होता है. इसके कोई निर्णायक सूबत तो नहीं हैं लेकिन वायरोलॉजिस्ट का मानना है कि एक बार संक्रमित और फिर ठीक हो जाने पर कोविड-19 के रोगियों को फिर से यह बीमारी नहीं होगी.

एक प्लाज्मा डोनर से कितने रोगियों को मदद मिलेगी ?

अब तक देखा गया है कि एक व्यक्ति का प्लाज्मा खून की दो खुराक पैदा कर सकता है. यह अनुमान भी लगाया गया है कि एक व्यक्ति को केवल एक ट्रांसफ्यूशन की जरूरत होती है.

क्या भारत में कोविड-19 रोगियों पर प्लाज्मा थेरेपी की कोशिश की गई है?

नहीं.. ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल भारत में बहुत बीमार कोविड-19 रोगियों के लिए है और इसमें अभी तक एंटी-मलेरिया दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन और एंटीबायोटिक एजिथ्रोमाइसिन का संयोजन शामिल है.

यह किसकी मदद करेगा ?

शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि वायरस के सबसे गंभीर लक्षणों वाले लोगों का इलाज करने में कंवलसेंट प्लाज्मा प्रभावी होगा. इसके अतिरिक्त, यह आशा की जाती है कि यह उन लोगों के लिए भी मददगार साबित हो सकता है, जो कोविड-19 से ग्रसित नहीं हैं.

कितने मरीजों का इलाज एक प्लाज्मा डोनर से किया जा सकता है?

एक व्यक्ति का प्लाज्मा दो खुराक का उत्पादन कर सकता है.

कोविड-19 के इलाज के लिए कंवलसेंट प्लाज्मा की जांच क्यों की जा रही है ?

कोविड-19 के उपचार के लिए कंवलसेंट प्लाज्मा की जांच की जा रही है क्योंकि इस बीमारी के लिए कोई स्वीकृत उपचार नहीं है और कुछ जानकारी है जो बताती है कि यह कुछ रोगियों को कोविड-19 से उबरने में मदद कर सकती है.

कोविड-19 के खिलाफ कंवलसेंट प्लाज्मा सुरक्षित और प्रभावी है?

यह ज्ञात नहीं है कि क्या कोविड-19 के खिलाफ कंवलसेंट प्लाज्मा एक प्रभावी उपचार होगा. प्लाज्मा आम तौर पर अधिकांश रोगियों द्वारा सुरक्षित और अच्छी तरह से सहन किया जाता है लेकिन यह एलर्जी और अन्य दुष्प्रभावों का कारण बन सकता है.

कोरोना वायरस के उपचार के लिए एक चिकित्सक कंवलसेंट प्लाज्मा तक कैसे पहुंच सकता है?

एक चिकित्सक को अपने स्थानीय रक्त केंद्र से संपर्क करना चाहिए, ताकि कंवलसेंट प्लाज्मा प्राप्त करने को लेकर पूछताछ की जा सके.

हाल में कोरोना वायरस से ठीक हुआ व्यक्ति कंवलसेंट प्लाज्मा दे सकता है ?

कुछ शर्तों के साथ व्यक्ति कंवलसेंट प्लाज्मा दे सकता है-

⦁ कंवलसेंट प्लाज्मा केवल उसी व्यक्ति से इकट्ठा किया जाना चाहिए, जो इस गंभीर बीमारी से उबरा हो.

⦁ वह रक्तदान करने योग्य होना चाहिए.

⦁ वह व्यक्ति कोरोना वायरस से पूरी तरह से ठीक हो चुका हो.

शोध

⦁ चीन में दो अलग-अलग अस्पतालों में काम कर रहे मेडिक्स की टीम ने 15 गंभीर रूप से बीमार रोगियों को एंटीबॉडी से काफी मात्रा में प्लाज्मा दिया, जिसके बाद कईयों में सुधार भी देखे गए.

⦁ वुहान में एक पायलट स्टडी में डॉक्टरों ने 10 गंभीर रूप से बीमार रोगियों को कंवलसेंट प्लाज्मा दिया और पाया कि उनके शरीर में वायरस का स्तर तेजी से गिरा. तीन दिनों के अंदर, डॉक्टरों ने मरीजों के लक्षणों जैसे सांस की तकलीफ, बुखार खांसी और सीने में दर्द तक में सुधार पाया.

⦁ शेन्जेन थर्ड पीपुल्स अस्पताल से लेई लियू के नेतृत्व में डॉक्टरों की एक अन्य टीम ने पांच गंभीर रूप से बीमार रोगियों को कंवलसेंट प्लाज्मा दिया.

⦁ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के जर्नल में एक प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, सभी लक्षणों में सुधार के बाद लक्षण दिखाई दिए और 10 दिनों के भीतर, तीन मरीज वेंटिलेटर से बाहर आए.

इन सभी शोधों से पता चलता है कि हाल में कोरोना संक्रमण से ठीक हुए मरीज रक्त दान कर सकते हैं ताकि अतिसंवेदनशील लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा दिया जा सके और उन्हें संक्रमण से लड़ने में मदद मिल सके. बावजूद इन सभी बातों के, यह जानना अभी तक असंभव है कि उपचार वास्तव में कितना लाभ पहुंचा पाता है.

Last Updated : Apr 11, 2020, 12:47 PM IST
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