ETV Bharat / state

मां बनने के बाद समझ आया, मां का एहसास क्या है...! पहली बार मां बनने वाली महिलाओं ने साझा किए अनुभव - MOTHERS DAY 2024

author img

By ETV Bharat Delhi Team

Published : May 12, 2024, 8:33 AM IST

Updated : May 12, 2024, 1:54 PM IST

MOTHERS DAY 2024: मां बनने का एहसास कुछ अलग ही होता है. इसके बाद एक महिला का जीवन पूरी तरह बदल जाता है. आइए जानते हैं उन महिलाओं के अनुभव के बारे में, जो हाल ही में मां बनी. पढ़ें पूरी खबर...

मदर्स डे 2024
मदर्स डे 2024 (ETV Bharat)

महिलाओं ने साझा किए अनुभव (ETV Bharat,reporter)

नई दिल्ली: किसी भी शख्स के जीवन में मां का स्थान सबसे ऊपर होता है, क्योंकि मां उसे बाकि दुनिया से नौ महीने ज्यादा जानती है. इसके अलावा बच्चे के लिए मां के बलिदानों का कोई सानी नहीं. इसलिए मां मां के प्रति अपना प्यार, सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए हर साल मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है.

इस बार मदर्स डे के मौके पर 'ईटीवी भारत' ने उन महिलाओं से बात की, जिन्होंने हाल ही में शिशु को जन्म दिया. राजधानी में सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती महिलाओं ने बताया कि उन्हें मां बनने के बाद, अपनी मां की बहुत याद आई. अपने पहले बेटे को जन्म देने वाली मोमिता पॉल ने बताया 'मैं पहली बार मां बनी हूं. इसको शब्दों में बता पाना मुश्किल है कि मैं कितनी खुश हूँ. अब समझ आया कि मेरी मां को कैसा लगा होगा, जब वह मां बनी होंगी. आज उनकी बहुत याद आ रही है.' उन्होंने आगे बताया कि 9 महीने के दौरान हर रोज मां को याद किया. मां के संघर्ष और एहसास को समझने के लिए मां बनना जरूरी है.

भुलाया नहीं जा सकता मां का बलिदान: वहीं शादी के 16 वर्ष बाद बेटे को जन्म देने वाली प्रमिला ने बताया कि वह चौथी बार मां बनी हैं. उनकी तीन बेटियां हैं. सभी को एक बेटे की चाह थी. उन्होंने बेटे को जन्म दिया है. किसी कारणवश उनकी मां अस्पताल नहीं पहुंच पाई, लेकिन उनकी वहीं सास आई थीं. मां बनने का एहसास हर बार अनोखा होता है, क्योंकि मां का स्नेह हर संतान के लिए एक जैसा होता है. हर बार मां बनने के समय सब से ज्यादा मां की याद आती है. खयाल आता है कि उनको कैसा लगता होगा जब वह मां बनी होंगी और हमको पाल पोस कर बड़ा किया होगा. उनके बलिदान और प्रेम को कभी भुलाया नहीं जा सकता. भावुक होते हुए प्रमिला ने आगे कहा कि, मुझे बहुत खुशी हुई जब मेरी सास अपने पोते के साथ मां की तरह लाड कर रही थीं. गर्भवस्था के दौरान मैंने अपनी मां को बहुत याद किया. वह कई बार मुझसे मिलने भी आई थीं.

यह भी पढ़ें- Mother's Day: मां तुम कब जेल से बाहर आओगी, बोलते ही छलक पड़े बच्चों के आंसू

ऐसे हुई मदर्स डे मनाने की शुरुआत: इस दिन को मनाने की शुरुआत एना रीव्स जार्विस ने की थी. इसके पीछे कहानी ऐसी है कि इस दिन के जरिए एना अपनी मां एन रीव्स जार्विस को श्रद्धांजलि देना चाहती थीं. उनकी मां, गृहयुद्ध के समय एक एक्टिविस्ट की तरह काम करती थीं. जब 1904 में उनकी मृत्यु हुई, तो उनकी याद में उनकी पहली पुण्यतिथि पर वेस्ट वर्जिनिया में एक आयोजन किया, जिसमें उन्होंने अन्य महिलाएं, जो मां बन चुकी थीं, उन्हें सफेद कार्नेशन के फूल दिए, जो उनकी मां के पसंदीदा फूल थे. इसके बाद उन्होंने फैसला किया कि हर साल मदर्स डे मनाना चाहिए, जिसके लिए उन्होंने कई कैंपेन किए और अंत में अमेरिकी राष्ट्रपति वुड्रो विल्सन ने 1914 में हर साल मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे के रूप में मनाने की घोषणा की.

यह भी पढ़ें- मदर्स डे पर मिलिए उन माताओं से, जिनकी आंखें तरस गईं अपनों के दीदार के लिए

यह भी पढ़ें- संघर्ष की दास्तांः एक ऐसी मां जिसकी मेहनत से 14 साल के बेटे की बनी विश्व पटल पर पहचान

Last Updated : May 12, 2024, 1:54 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.