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एफआई हॉस्पिटल के ध्वस्तीकरण के खिलाफ याचिका वापस, दो दिनों तक यथास्थिति बनाए रखने के आदेश

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 6, 2024, 8:30 AM IST

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हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में एफआई हॉस्पिटल के ध्वस्तीकरण (Lucknow FI Hospital demolition) के खिलाफ दाखिल याचिका वापस ले ली गई है. कोर्ट की ओर से नई याचिका दाखिल करने की छूट दी गई है.

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में एफआई हॉस्पिटल के ध्वस्तीकरण के खिलाफ दाखिल याचिका सोमवार को वापस ले ली गई. हालांकि याची की ओर से याचिका वापस लेने के साथ ही यूपी अर्बन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट के कुछ प्रावधानों को चुनौती देने के लिए नई याचिका दाखिल करने की छूट दिए जाने का भी न्यायालय से अनुरोध किया गया. इसे न्यायालय ने स्वीकार कर लिया. इसके साथ ही न्यायालय ने दो दिनों तक यथास्थिति बनाए रखने के आदेश भी दिए हैं.

यह आदेश न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की एकल पीठ ने फरजाना सिराज की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया. याचिका पर सुनवाई के दौरान याची के अधिवक्ता ने संशोधन प्रार्थना पत्र व राज्य सरकार को पक्षकार बनाए जाने के लिए प्रार्थना पत्र दाखिल किया. कहा गया कि उक्त संशोधन प्रार्थना पत्र के जरिए उक्त यूपी अर्बन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट के कुछ प्रवाधानों को चुनौती दी गई है, क्योंकि उक्त प्रावधान संविधान के अध्याय 9 ए तथा 12वीं अनुसूची के विरुद्ध हैं. इसका एलडीए की ओर से विरोध किया गया. हालांकि याची की ओर से अनुरोध किया गया कि उसे नई याचिका दाखिल करने की छूट के साथ वर्तमान याचिका को वापस लिए जाने की अनुमति दी जाए. इसे स्वीकार करते हुए न्यायालय ने कहा कि प्रतिवादियों का भी यह दावा नहीं है कि उक्त बिल्डिंग अब इस्तेमाल किए जाने की स्थिति में नहीं रह गई है.

उल्लेखनीय है कि पूर्व की सुनवाई के दौरान एलडीए की ओर से न्यायालय को बताया गया कि ध्वस्तीकरण के खिलाफ दाखिल अपील में याची की ओर से तीन तरह के जवाब दाखिल किए गए. पहले में उसने कहा कि प्रश्नगत बिल्डिंग का 25 साल पुराना स्वीकृत मानचित्र है, लेकिन वह मिल नहीं पा रहा है, दूसरे में कहा गया कि स्वीकृत मानचित्र 30 साल पहले का है जो मिल नहीं रहा है, जबकि तीसरे उत्तर में याची की ओर से कहा गया कि बिल्डिंग वास्तव में 100 साल पुरानी है. लिहाजा स्वीकृत मानचित्र की आवश्यकता नहीं है. याचिका का विरोध करते हुए यह भी दलील दी गई कि याची स्वीकृत मानचित्र तो दूर की बात बिल्डिंग पर अपना मालिकाना हक भी नहीं सिद्ध कर सकीं.

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