देहरादून: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अभी तक सभी एग्जिट पोल रिजल्ट ने एनडीए की पूर्ण बहुमत की सरकार का दावा किया है. लिहाजा, भाजपा भी इन एग्जिट पोल से काफी खुश नजर आ रही है. भाजपा और उसके समर्थक दल केंद्र में प्रधानमंत्री के तौर पर मोदी के हैट्रिक लगाने का दावा कर रहे हैं. उत्तराखंड में भी भाजपा नेता और कार्यकर्ता पीएम मोदी के तीसरे टर्म का दावा करने लगे हैं. खास बात ये है कि उत्तराखंड से ही पीएम मोदी ने पहली दफा खुले तौर से अपने तीसरे टर्म का दावा किया था. साथ ही पीएम मोदी ने भरोसा दिलाया था कि वे उत्तराखंड को बाकी राज्यों से थोड़ा ज्यादा प्यार करते हैं. बहरहाल, केंद्र की मोदी सरकार के पिछले दो टर्म पर नजर दौड़ाएं तो उत्तराखंड को क्या मिला और क्या नहीं मिला. और आगे तीसरे कार्यकाल के लिए पीएम मोदी से उत्तराखंड के लिए क्या उम्मीद की जा सकती है. आइए जानते हैं.
प्रधानमंत्री बनने के बाद उत्तराखंड को दी बड़ी सौगातें: वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी लगातार उत्तराखंड आते रहे हैं. वह पीएम बनने के बाद पिछले 9 सालों में 8 बार उत्तराखंड आए. उनके दौरे उत्तराखंड में खासतौर से यहां के प्रसिद्ध धाम बाबा केदार में तब ज्यादा बढ़े जब 2014 में केंद्र में आने बाद 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में भी भाजपा सरकार आई. 2017 के बाद लगातार पीएम मोदी केवल 2020 के कोविड महामारी के दौर को छोड़ कर हर साल केदार बाबा के दर्शन करने के लिए आए. लगातार अपने बीच प्रधानमंत्री मोदी को पाकर उत्तराखंड के लोगों को यह भरोसा हो गया कि प्रधानमंत्री मोदी का उत्तराखंड से अगाध प्रेम है.
ये हैं बड़े प्रोजेक्ट: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केवल दौरे ही नहीं किए बल्कि उन्होंने कई बड़ी सौगातें भी उत्तराखंड को दीं. इनमें सीमांत इलाकों में विकास, ऑल वेदर रोड, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे प्रोजेक्ट कुछ ऐसे बड़े काम हैं, जो लोगों को मुंह जुबानी याद हैं. केदारनाथ धाम से पीएम मोदी का आध्यात्मिक लगाव अब किसी से छुपा नहीं है. अपने प्रारंभिक दिनों में नरेंद्र मोदी की केदारनाथ यात्रा की कहानी उत्तराखंड में ज्यादातर लोगों को रटी हुई है. लेकिन केवल लोगों की भावनाओं से इतर यदि विकास और धरातलीय हकीकत को मद्देनजर रखते हुए विश्लेषण करें कि इन 10 सालों में केंद्र में रहे मोदी और पिछले 6 सालों से राज्य में रही भाजपा सरकार की डबल इंजन से उत्तराखंड में विकास कितनी रफ्तार से दौड़ा है, तो वास्तविकता का आकलन करना आसान होगा.
इन मुद्दों पर मिली निराशा: वरिष्ठ पत्रकार जयसिंह रावत बताते हैं कि पीएम मोदी का पिछले 10 साल में बतौर प्रधानमंत्री रहते उत्तराखंड के लिए योगदान ठीक ठाक ही रहा है. इसे बहुत ज्यादा बेहतर तो नहीं कहा जा सकता है, लेकिन मिला जुला कह सकते हैं. उन्होंने कहा कि अगर उत्तराखंड में केंद्र से मेगा प्रोजेक्ट की बात करें तो सबसे पहले ऑल वेदर रोड का नाम आता है जो कि हकीकत में ऑल वेदर है नहीं. उन्होंने कहा कि आज भी सड़क चौड़ी करने के बाद भी टूटी हुई रहती हैं. ऑल वेदर रोड हम जिसे कह रहे हैं वो एक बरसात भी नहीं झेल पा रही हैं. ऋषिकेश- कर्णप्रयाग रेल लाइन की जहां तक बात है तो उसका तो पहले ही एके एंटोनी उद्घाटन करवा चुके थे. बहरहाल और भी कई योजनाएं और वजह हैं कि उत्तराखंड के लोगों के दिल पर मोदी जी राज करते हैं. हालांकि अगर ऐसी कुछ बातें उठाई जाएं जहां उत्तराखंड के हाथ निराशा लगी है तो वह भी काफी हैं.
GST ने लगाया 5 करोड़ का चूना: वरिष्ठ पत्रकार जयसिंह रावत बताते हैं कि केंद्र सरकार द्वारा लाये गये GST के बाद उत्तराखंड को सालाना 5 हजार करोड़ का नुकसान हुआ है. इसके बारे में कोई ज्यादा बात नहीं करता है. इसके अलावा राज्य गठन के बाद से ही लगातार हिमालयी राज्य होने के नाते ग्रीन बोनस की सिर्फ चर्चाएं ही हुई हैं. एनडी तिवारी के समय विशेष इंडस्ट्रियल पैकेज हुआ करता था. लेकिन बतौर पीएम रहते मोदी के 10 साल के कार्यकाल में अभी तक इस मामले में निराशा ही मिली है. इसके अलावा भ्रष्टाचार का एक विषय ऐसा है जिस पर केंद्र लचीला ही नजर आया है. काशीपुर NH 74 भूमि मुआवजा घोटाले में दोषी IAS अधिकारियों पर केंद्र की शिथिलता सभी ने देखी. वरिष्ठ पत्रकार जयसिंह नेगी का कहना है कि धार्मिक मामलों पर केंद्र सरकार के साथ साथ राज्य सरकार को भी पूरे नम्बर दिये जा सकते हैं. लेकिन क्या ऐसा बेरोजगारी के मामले में किया जा सकता है, इस पर प्रश्नचिन्ह है. सैनिक बाहुल्य राज्य उत्तराखंड के लोग आज अग्निवीर को लेकर क्या सोचते हैं ये पूछकर देखना चाहिए.
मोदी के तीसरे टर्म से क्या है उत्तराखंड को उम्मीद? वरिष्ठ पत्रकार जयसिंह रावत का कहना है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा द्वारा अब तक तीन लोकसभा सीटों पर उतारे गए प्रत्याशियों में से कोई भी अपने दम पर जीतने का माद्दा नहीं रखता है. हालांकि इनकी नैया मोदी जी नाम पर पार हो जाएगी, ऐसा कहा जा सकता है. जहां तक नरेंद्र मोदी के तीसरे टर्म से उत्तराखंड को उम्मीद की बात है, तो सबसे बड़ी उम्मीद केंद्र से उत्तराखंड को विशेष हिमालयी राज्य का दर्जा दिलाने की है. उन्होने बताया कि सभी हिमालयी राज्यों के लिए बजट का विशेष प्रावधान है. इसके अलावा जम्मू-कश्मीर पहले भी स्पेशल स्टेटस रखता था और अभी भी केंद्र शासित है. लेकिन केवल उत्तराखंड और हिमाचल ऐसे राज्य हैं, जो हर साल बजट के अभाव में कर्जे में डूबे जा रहे हैं. वहीं इस पूरे मामले पर उत्तराखंड की तरफ भाजपा के लिए मेनिफेस्टो तैयार कर रहे संकल्प पत्र के संयोजक पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत का कहना है कि हिमालयी राज्य उत्तराखंड को लेकर केंद्र और राज्य दोनों सरकारें बेहद संवेदनशील हैं. उन्होंने कहा कि विशेष भौगोलिक परिस्थितियों वाले इस राज्य उत्तराखंड में पीछे घटी दो घटनाएं, जोशीमठ आपदा और सिलक्यारा टनल हादसे में भी केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की तत्परता देखने को मिली है.
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