पटनाः ऐतिहासिक वीर मेले को लेकर धनरूआ प्रखंड का वीर गांव इन दिनों गुलजार है. बड़ी संख्या में दूर-दूर से लोग मेला देखने आ रहे हैं. बुढ़वा महादेव स्थान के गौरीशंकर मंदिर में पूजा-अर्चना के साथ ही लोग मेले में चल रहे रंग-बिरंगे कार्यक्रमों का आनंद उठा रहे हैं. मेले में मौत का कुआं और बड़े-बड़े झूले खास आकर्षण के केंद्र हैं.
2 हजार साल पुराना है इतिहासः वीर गांव में लगनेवाले इस मेला का इतिहास करीब 2 हजार साल पुराना है. यहां स्थित गौरीशंकर मंदिर के पुजारी दयानंद मिश्र ने बताया कि "2 हजार साल पहले इस मंदिर की स्थापना हुई थी, तभी से यहां मेले का आयोजन होता आ रहा है. यहां महाशविरात्रि पर शिवभक्तों को भारी भीड़ उमड़ती है और दूर-दूर से लोग अपनी मनोकामना लेकर बाबा के दरबार में आते हैं."
महाशिवरात्रि से शुरू होता है मेलाः मेले की शुरुआत फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी यानी महाशिवरात्रि से होती है. इस मौके पर बाबा के मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए भक्तों की भारी भीड़ जुटती है. इस साल भी महाशिवरात्रि के दिन लाखों शिवभक्तों ने गौरीशंकर मंदिर में पूजा की और सुख-समृद्धि की कामना की. महाशिवरात्रि से शुरू हुआ ये मेला 15 दिनों तक चलता है.
364 तरह की लकड़ियों से बने सामान मिलते हैंः मेले में लोगों के मनोरंजन के लिए कई झूले लगाए गये हैं, वहीं मौत के कुएं वाला खेल भी लोगों को रोमांचित कर रहा है. इसके अलावा मेले का विशेष आकर्षण रहता है यहां बिकनेवाले इमारती सामान जो 364 तरह की लकड़ियों से बने होते हैं. इन सामान की खरीदारी के लिए पटना के अलावा कई दूसरे जिले से भी लोग आते हैं.