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हाईटेक हुआ वन विभाग, इसरो के जियो पोर्टल से रखी जा रही वना​ग्नि की घटनाओं पर नजर - Uttarkashi Forest Department

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 23, 2024, 2:37 PM IST

Updated : May 23, 2024, 3:14 PM IST

Uttarkashi Forest Department बदलते वक्त के साथ वन विभाग भी हाईटेक हो गया है. कभी विभाग वनाग्नि की सूचनाओं के लिए क्रू स्टेशनों पर निर्भर रहता था, लेकिन अब वनाग्नि की घटनाओं की निगरानी के लिए इसरो जियो पोर्टल भुवन की मदद ली जा रही है. सेटेलाइट डेटा के जरिए यह जियो पोर्टल वनाग्नि की घटनाओं की सटीक जानकारी देने में सक्षम है.

Uttarkashi Forest Department
उत्तरकाशी वन विभाग हुआ हाईटेक (photo- ETV Bharat)

वना​ग्नि की घटनाओं पर नजर जियो पोर्टल से नजर (video- ETV Bharat)

उत्तरकाशी: जिला वन प्रभाग के मास्टर कंट्रोल रुम में वनाग्नि की घटनाओं की निगरानी के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा विकसित जियो पोर्टल भुवन का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया गया है. जियोपोर्टल भुवन जंगल की आग के अलावा चक्रवात, सूखा, भूकंप, बाढ़ और भूस्खलन जैसी घटनाओं की स्थिति के बारे में सटीक जानकारी देने में समक्ष है. मास्टर कंट्रोल रुम में तैनात वन रक्षक जैसे ही जियो पोर्टल भुवन ओपन कर फॉरेस्ट फायर पर क्लिक करता है, तो नियर रियल टाइम फॉरेेस्ट फायर की घटनाएं गुलाबी डॉट से भारतीय मानचित्र पर अंकित हो जाती हैं. राज्य और क्षेत्र विशेष पर फोकस कर वहां की घटनाओं का पता किया जा सकता है.

गूगल मैप का भारतीय संस्करण है जियो पोर्टल भुवन: जियो पोर्टल भुवन को इसरो द्वारा विकसित गूगल मैप का भारतीय संस्करण भी कहा जाता है, जो कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा संचालित है. यह सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन उपयोगकर्ताओं को पृथ्वी की सतह का 2डी/3डी प्रतिनिधित्व देखने की अनुमति देता है. पोर्टल को विशेष रूप से भारत को देखने के लिए तैयार किया गया है, जो इस क्षेत्र में उच्चतम रिजॉल्यूशन प्रदान करता है. यह अन्य वर्चुअल ग्लोब सॉफ्टवेयर की तुलना में 1 मीटर तक के स्थानिक रिजॉल्यूशन के साथ भारतीय स्थानों की विस्तृत कल्पना देता है.

अधिकारी बोले जियो पोर्टल भुवन काफी मददगार: उत्तरकाशी वन प्रभाग के डीएफओ डीपी बलूनी ने बताया कि वनाग्नि की घटनाओं की निगरानी के लिए तकनीकी मदद भी ली जा रही है. इसरो का जियो पोर्टल भुवन इसमें काफी मददगार है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में रुक-रुककर बारिश का सिलसिला जारी रहने से वनाग्नि की घटनाओं में कमी आई है.

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Last Updated : May 23, 2024, 3:14 PM IST
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