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उज्जैन के मां हरसिद्धि धाम में उमड़ी भक्तों की भीड़, जानिए क्या है यहां की मान्यता - Ujjain Maa Harsiddhi Dham

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 9, 2024, 11:55 AM IST

मंगलवार से हिंदू नववर्ष 'विक्रम संवत 2081' शुरू हो गया है और इसी दिन से चैत्र नवरात्र की भी शुरुआत हुई है. इसीलिए मध्यप्रदेश के उज्जैन में चैत्र नवरात्रि के मौके पर माता हरसिद्धि मंदिर सहित शहर के अन्य देवी मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ी है.

Ujjain Maa Harsiddhi Dham
उज्जैन के मां हरसिद्धि धाम में उमड़ी भक्तों की भीड़
उज्जैन के मां हरसिद्धि धाम में उमड़ी भक्तों की भीड़

उज्जैन। मध्यप्रदेश का उज्जैन शिव और शक्ति का एक केंद्र है. एक तरफ भगवान महाकाल विराजित हैं तो दूसरी तरफ माता हरसिद्धि विराजित हैं. मंगलवार से हिंदू नववर्ष 'विक्रम संवत 2081' शुरू हो गया है. हर वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है. ऐसा माना जाता है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया था. देश के विभिन्न प्रदेशों में 9 अप्रैल को गुड़ी पड़वा, उगादी और चैत्र नवरात्रि जैसे पर्व भी मनाए जा रहे हैं. मंगलवार से चैत्र माह की शुरुआत भी हो चुकी है.

क्षेत्र के देवी मंदिरों में लगा भक्तों का तांता

आज मंगलवार को नवरात्रि का पहला दिन है. इस दिन घट स्थापना होती है. नवरात्रि के पहले दिन 51 शक्तिपीठों में से एक मां हरसिद्धि के धाम में मंगरवार सुबह से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का तांता लगने लगा है. यहां पर भक्त दूर-दूर से आते हैं. मां हरसिद्धि के मंदिर के अलावा चौबीस खंबा स्थित देवी महामाया, देवी महालया, भूखी माता मंदिर, गढ़कालिका माता मंदिर व शहर के तमाम प्राचीन देवी स्थलों पर भक्तों की भीड़ लगी हुई है.

Ujjain Maa Harsiddhi Dham
उज्जैन के मां हरसिद्धि धाम में उमड़ी भक्तों की भीड़

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इस नवरात्रि को वासंती नवरात्रि से भी जाना जाता है. वहीं 9 दिन पुष्पों से माता को प्रसन्न किया जा सकता है. ऐसी मान्यता है कि आदि शक्ति को प्रसन्न करने के लिए सेवंती, मोगरा, रक्त कनेर, सूर्यमुखी, कमल आदि के पुष्प चढ़ाए जा सकते हैं. इसके अलावा पारिवारिक कुल परंपरा के अनुसार माता की उपासना की जा सकती है. साथ ही इन दिनों में अलग-अलग प्रकार से माता का पूजन किया जाता है.

ये है उज्जैन के हरसिद्धि मंदिर के बारे में मान्यता

उज्जैन के हरसिद्धि मंदिर के बारे में मान्यता है कि जब माता सती ने अग्निकुंड में अपने आप को अग्नि के हवाले कर दिया था. इसके बाद भगवान शिव क्रोध में आकर माता सती को लेकर ब्रह्मांड के चक्कर लगा रहे थे. फिर सभी देवताओं को लगा कि यदि भगवान शिव इस प्रकार रहेंगे तो सृष्टि का विनाश हो जाएगा. इसके बाद भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के अंगों के 51 टुकड़े कर दिए जो अलग-अलग जगहों पर गिरे. जहां-जहां ये अंग गिरे वहां शक्तिपीठों की निर्माण हो गया. उसी दौरान उज्जैन में माता के दाएं हाथ की कोनी गिरी थी और यहां का माता हरसिद्धि मंदिर 51 शक्ति पीठ में से एक है.

उज्जैन के मां हरसिद्धि धाम में उमड़ी भक्तों की भीड़

उज्जैन। मध्यप्रदेश का उज्जैन शिव और शक्ति का एक केंद्र है. एक तरफ भगवान महाकाल विराजित हैं तो दूसरी तरफ माता हरसिद्धि विराजित हैं. मंगलवार से हिंदू नववर्ष 'विक्रम संवत 2081' शुरू हो गया है. हर वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है. ऐसा माना जाता है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया था. देश के विभिन्न प्रदेशों में 9 अप्रैल को गुड़ी पड़वा, उगादी और चैत्र नवरात्रि जैसे पर्व भी मनाए जा रहे हैं. मंगलवार से चैत्र माह की शुरुआत भी हो चुकी है.

क्षेत्र के देवी मंदिरों में लगा भक्तों का तांता

आज मंगलवार को नवरात्रि का पहला दिन है. इस दिन घट स्थापना होती है. नवरात्रि के पहले दिन 51 शक्तिपीठों में से एक मां हरसिद्धि के धाम में मंगरवार सुबह से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का तांता लगने लगा है. यहां पर भक्त दूर-दूर से आते हैं. मां हरसिद्धि के मंदिर के अलावा चौबीस खंबा स्थित देवी महामाया, देवी महालया, भूखी माता मंदिर, गढ़कालिका माता मंदिर व शहर के तमाम प्राचीन देवी स्थलों पर भक्तों की भीड़ लगी हुई है.

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इस नवरात्रि को वासंती नवरात्रि से भी जाना जाता है. वहीं 9 दिन पुष्पों से माता को प्रसन्न किया जा सकता है. ऐसी मान्यता है कि आदि शक्ति को प्रसन्न करने के लिए सेवंती, मोगरा, रक्त कनेर, सूर्यमुखी, कमल आदि के पुष्प चढ़ाए जा सकते हैं. इसके अलावा पारिवारिक कुल परंपरा के अनुसार माता की उपासना की जा सकती है. साथ ही इन दिनों में अलग-अलग प्रकार से माता का पूजन किया जाता है.

ये है उज्जैन के हरसिद्धि मंदिर के बारे में मान्यता

उज्जैन के हरसिद्धि मंदिर के बारे में मान्यता है कि जब माता सती ने अग्निकुंड में अपने आप को अग्नि के हवाले कर दिया था. इसके बाद भगवान शिव क्रोध में आकर माता सती को लेकर ब्रह्मांड के चक्कर लगा रहे थे. फिर सभी देवताओं को लगा कि यदि भगवान शिव इस प्रकार रहेंगे तो सृष्टि का विनाश हो जाएगा. इसके बाद भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के अंगों के 51 टुकड़े कर दिए जो अलग-अलग जगहों पर गिरे. जहां-जहां ये अंग गिरे वहां शक्तिपीठों की निर्माण हो गया. उसी दौरान उज्जैन में माता के दाएं हाथ की कोनी गिरी थी और यहां का माता हरसिद्धि मंदिर 51 शक्ति पीठ में से एक है.

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