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गुमला में आदिवासी एकता महारैली का आयोजन, जनजातीय समुदाय के लोगों को अपने अधिकारों के प्रति किया गया जागरूक

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 27, 2024, 8:37 AM IST

Tribal Unity Maharally
Tribal Unity Maharally

Tribal Unity Maharally. गुमला के बसिया में आदिवासी एकता मंच बसिया के तत्वावधान में आदिवासी एकता महारैली का आयोजन किया गया. जिसमें आदिवासी समुदाय के लोगों की भारी भीड़ उमड़ी. इस दौरान डीलिस्टिंग की मांग का विरोध किया गया.

गुमला: आदिवासी एकता मंच बसिया के तत्वावधान में सोमवार को बसिया के सरहुल अखाड़ा कोनबीर में आदिवासी एकता महारैली का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों की संख्या में आदिवासी समुदाय के लोगों ने भाग लिया. महारैली पारंपरिक हथियारों से लैस होकर थाना चौक से शुरू होकर सरहुल अखाड़ा कोनबीर पहुंच कर सभा में तब्दील हो गयी.

रैली का मुख्य उद्देश्य आदिवासी समुदाय को जल, जंगल, जमीन, विस्थापन, आदिवासी पहचान, सरना, मसना, भाषा, धर्म, कोड, वन अधिकार कानून, सीएनटी/एसपीटी एक्ट, पांचवीं अनुसूची से छेड़छाड़, पेसा कानून, धर्म के नाम पर आदिवासियों के बीच भूमि बैंकों का वितरण आदि जैसे मुद्दों पर जागरूक करना था.

आदिवासी समाज को की जा रही लड़ाने की कोशिश

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में दयामनी बारला ने कहा कि आज हम देश को बचाने के लिए सरहुल अखाड़ा कोनबीर में एकत्र हुए हैं और संविधान से छेड़छाड़ को रोकने के लिए बिगुल बजाने आये हैं. यहां आदिवासियों को ईसाई बताकर आदिवासी समाज को लड़ाने की कोशिश की जा रही है. यहां रहने वाले सभी आदिवासी एक हैं. केवल धर्म के नाम पर लड़ाने की साजिश चल रही है, जिसे हम बर्दाश्त नहीं करेंगे. भाजपा सरकार संविधान में बदलाव कर समाज को बांटने का प्रयास कर रही है. डीलिस्टिंग के नाम पर सरना आदिवासियों के बीच दूरियां पैदा करने का काम कर रही है.

'अपने संपूर्ण अधिकार से वंचित आदिवासी'

आदिवासी एकता मंच के मुख्य संरक्षक रोशन बरवा ने कहा कि आदिवासी देश के प्रथम नागरिक हैं, लेकिन आज भी वे अपने संपूर्ण अधिकार से वंचित हैं. आदिवासी समाज आज भी अपनी पहचान, भाषा और संस्कृति को बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है. आज हमारी भाषा, संस्कृति, पहचान, आजीविका, प्राकृतिक संसाधनों और नौकरियों को एक साजिश के तहत लूटा जा रहा है, आदिवासियों के कल्याण के लिए चलायी जा रही योजनाओं को भी बिचौलिए लूट रहे हैं.

आदिवासियों के हित के लिए संघर्ष की जरूरत

जिला परिषद सदस्य बसंती डुंगडुंग ने कहा कि आज हमें आदिवासियों के हित में एकजुट होकर संघर्ष करने की जरूरत है. जब हम एकजुट रहेंगे तभी आदिवासियों के अस्तित्व की रक्षा कर पाएंगे. आदिवासी समुदाय की पहचान जल, जंगल और जमीन से है और भारतीय संविधान हमारी आत्मा है. कुछ संगठन हमारे संविधान में बदलाव करके हमारे अस्तित्व, भाषा और जीवन शैली को नुकसान पहुंचा रहे हैं. वे जो हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं हम उसका विरोध करते हैं. हम सभी आदिवासी लोग यहां मिलजुल कर आपसी प्रेम से रहते हैं और हमेशा रहेंगे.

कार्यक्रम के अंत में महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम 9 सूत्री ज्ञापन बसिया एसडीओ को भेजा गया. अमरजीत डंगवार के नेतृत्व में ज्ञापन सौंपा गया.

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