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कैदियों के लिए एक बार फिर खुला तिहाड़ का सेमी ओपन जेल - Tihar semi open jail

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Apr 24, 2024, 1:29 PM IST

Tihar semi open jail: तिहाड़ जेल में बने सेमी ओपन जेल के ताले कैदियों के लिए एक बार फिर खोल दिए गए हैं. जेल प्रशासन का कहना है कि कोरोना महामारी के दौरान इसे बंद कर दिया गया था. जिसे अब खोल दिया गया है. फिलहाल सेमी ओपन में 38 कैदी बंद हैं.

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नई दिल्ली: तिहाड़ जेल में बंद वैसे कैदी जिन्होंने सजा का दो तिहाई हिस्सा अच्छे आचरण के साथ पूरा कर लिया हो और जेल से रिहाई के बाद समाज में एक्सेप्टेंस मिल सके इसी उद्देश्य से तिहाड़ जेल में ओपन और सेमी ओपन जेल की शुरुआत लगभग 12 साल पहले की गई थी. इसे कोरोना के दौरान बंद कर दिया गया था. अब एक बार फिर सेमी ओपन जेल को खोल दिया गया है वहीं, ओपन जेल को भी जल्द खोले जाने की उम्मीद है.

सेमी ओपन जेल में 38 कैदी हैं : तिहाड़ जेल के अंदर अलग-अलग कामों को करने की छूट सेमी ओपन जेल के कैदियों को होती है और खासतौर पर सेमी ओपन जेल में वही कैदी काम कर सकते हैं जिन्हें कम से कम 10 साल की सजा या उससे अधिक हुई हो और उन्होंने अच्छे आचरण के साथ 75 फीसदी सजा पूरी कर ली हो. तिहाड़ जेल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार फिलहाल सेमी ओपन जेल में 38 कैदी हैं. जो तिहाड़ जेल कंपाउंड के भीतर ही खुले आसमान में काम करते हैं.

यहां पर पुरूष कैदी हेयरकट, बागवानी, चाय-पकौड़े, ब्रेड, कैंटीन का काम कर सकते हैं. वहीं महिला कैदी ब्यूटी पार्लर चला सकती हैं. जेल मैनुअल के जानकार बताते हैं कि जिस कैदी का व्यवहार सेमी ओपन जेल में भी ठीक होता है उसके लिए पैरोल, फर्लो या फिर प्री-मेच्योर लीव आसानी से मिल जाती है.

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ओपन जेल से पहले सेमी ओपन में रहना जरूरी: नियमों के अनुसार ओपन जेल की सुविधा का वही कैदी लाभ उठा सकता है, जो दो साल तक लगातार सेमी ओपन जेल में रहा हो. ओपन जेल का मतलब ऐसी जेल से है, जहां कैदियों को जेल परिसर से बाहर भी घूमने फिरने की आजादी होती है. ये दिल्ली की सीमा के भीतर कहीं भी नौकरी के लिए जा सकते हैं. लेकिन इन्हें सूर्यास्त से पहले हर हाल में जेल लौटना होता है. हालांकि ओपन जेल की शुरुआत अभी नहीं हुई है लेकिन जेल सूत्रों की माने तो जल्द ही ओपन जेल भी शुरू किया जाएगा.

क्या था इन जेलों को शुरू करने का उद्देश्य: ओपन जेल और सेमी ओपन जेल का कॉन्सेप्ट 2012 में शुरू किया गया था और इसकी शुरुआत करने वाले तिहाड़ जेल के पूर्व पीआरओ और कानून अधिकारी सुनील गुप्ता ने बताया की इन दोनों जेलों को शुरू करने का जो उद्देश्य शुरुआत से रखा गया वह तेजी से पूरा हो रहा है. उनके अनुसार यह उन कैदियों के लिए बहुत ही लाभदायक है, जो अपनी सजा पूरी करने के अंतिम चरण में पहुंचते हैं और फिर समाज में उनके एक्सेप्टेंस को लेकर कोई दिक्कत नहीं होती.

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