रतलाम। लोकसभा चुनाव के चौथे चरण का प्रचार चरम पर है. ऐसे में रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट पर चुनावी सभा में लोगों की भीड़ जुटाने के लिए नेताओं ने तरीका खोज लिया है. कांग्रेस व बीजेपी के नेता हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल कर रहे हैं. हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल आमतौर पर नेता समय बचाने के लिए करते हैं. लेकिन आदिवासी क्षेत्रों में हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल सियासी दल लोगों की भीड़ जुटाने के लिए करते हैं. हेलिकॉप्टर देखने के बहाने जनसभा में भीड़ उमड़ पड़ती है.
ग्रामीण आदिवासी हेलिकॉप्टर को कहते हैं 'चीलगाड़ी'
आदिवासी अंचल का पहाड़ियों और टीलों वाला इलाका जहां सैकड़ों लोग एक खास चीज को देखने के लिए उमड़ते हैं, उस चीज का नाम है स्थानीय बोली में चीलगाड़ी. हेलिपैड के पास में ही चुनावी सभा का पंडाल और मंच सजा है. बड़े नेताओं की भाषणबाजी हो रही है लेकिन यहां बैठे लोगों की रुचि किसी खास चीज़ में है. अचानक से गड़गड़ाहट की आवाज आती है और पंडाल में बैठे लोग दौड़ लगा देते हैं. पूछे जाने पर पता चला कि ये सब लोग चीलगाड़ी को देखने जा रहे हैं.
हेलिकॉप्टर की लैंडिंग और रोमांच के क्षण
आदिवासी अंचलों में हेलीकॉप्टर को देखने और निहारने का एक अलग ही क्रेज है. अब आधुनिक हो चुके आदिवासी युवा अपने मोबाइल के कैमरा में भी हेलीकॉप्टर की लैंडिंग और टेकऑफ को कैद कर लेना चाहते हैं. आदिवासी लोगों की इसी क्रेज को देखते हुए राजनीतिक पार्टियां अपनी सभाओं में भीड़ जुटाने के लिए हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल करते हैं. भीड़ जुटाने के लिए रतलाम-झाबुआ संसदीय क्षेत्र के सैलाना, बाजना, झाबुआ,थांदला, जोबट और पेटलावद में जहां भी किसी बड़े नेता की सभा होती है तो हेलीपैड सभास्थल के आसपास ही बनाया जाता है.