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कृषि विस्तार अधिकारी बने धार जिले के इस युवा की संघर्ष की कहानी से लें प्रेरणा

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 21, 2024, 2:01 PM IST

Success story Dhar youth : संघर्ष की आग में तपकर ही सफलता मिलती है. ऐसी सफलता हासिल की है हार्टिकल्चर कॉलेज चंदनगांव के छात्र अनिल मेढ़ा ने. अनिल ने मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मंडल द्वारा आयोजित परीक्षा में नौवी रैंक हासिल की. वह अब कृषि विस्तार अधिकारी बनेंगे.

Success story Dhar youth
कृषि विस्तार अधिकारी बने धार जिले के अनिल मेढ़ा का संघर्ष

छिंदवाड़ा। धार जिले के उमरिया गांव निवासी अनिल मेढ़ा बेहद गरीब परिवार से हैं. उन्होंने मामा के घर पर रहकर प्राइमरी स्कूल की शिक्षा हासिल की. गांव से 10 किमी दूर स्कूल से मिडिल की पढ़ाई की. फिर हॉस्टल में रहकर हायर सेकंडरी परीक्षा पास की. पीएटी उत्तीर्ण कर बीएससी हार्टिकल्चर की डिग्री हासिल करने वे छिंदवाड़ा पहुंचे. पहली से बारहवीं कक्षा तक उन्हें भारी अभाव का सामना करना पड़ा. यहां न तो हॉस्टल सुविधा, न खाने का इंतजाम था. एडमिशन लेने के बाद उन्होंने कॉलेज छोड़ने का फैसला कर लिया. ऐसे में चंदनगांव निवासी रामलाल घागरे के परिवार ने उसकी मदद की. समय के साथ मददगार बढ़ते गए और अनिल ने डिग्री पूरी कर सरकारी नौकरी भी हासिल कर ली.

4 साल तक दीनदयाल रसोई में किया भोजन

आमतौर पर चंदनगांव क्षेत्र में टिफिन के दाम दो हजार से तीन हजार रुपए प्रतिमाह हैं. इतनी रकम चुकाने में अनिल सक्षम नहीं थे. ऐसे में अनिल को जिला अस्पताल में संचालित दीनदयाल रसोई में सहारा मिला. यहां 5 रुपए में एक थाली भोजन मिल जाता था. कॉलेज से अस्पताल तक जाने के लिए वह कभी दोस्त तो कभी घागरे परिवार से साइकिल लेते थे. अनिल ने बताया कि छुट्टी के दिन या जिस दिन भोजन का इंतजाम नहीं होता था, उस दिन घागरे परिवार से भोजन का इंतजाम हो जाता था.

चाहकर भी नहीं लौट सका घर, अब बना अधिकारी

एडमिशन के बाद पहले उसने कॉलेज में पढ़ने वाले एक छात्र के साथ शेयरिंग में कमरा लिया लेकिन बहुत दिन तक वह साथ नहीं रह पाया. एक बार फिर अनिल ने घर लौटने का निर्णय लिया. ऐसे में कॉलेज परिसर के करीब निवास करने वाले शिक्षक इंद्रजीत चौधरी ने महज 500 रुपए प्रतिमाह में एक कमरा उपलब्ध कराया. समय-समय पर उन्होंने अनिल का सहयोग किया. कॉलेज के डीन डॉ. विजय पराडकर ने अनिल की पढ़ाई पर विशेष ध्यान दिया. अनिल को समय-समय पर उनसे विशेष मार्गदर्शन मिलता रहा.

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लाचारी, गरीबी के साथ शारीरिक समस्या भी

व्यक्ति को एक चुनौती से संघर्ष करना तो पड़े तो कोई बात नहीं लेकिन अनिल को गरीबी के साथ विकलांगता ने दोहरी परेशानियों से घेर रखा था. हाथ में त्वचा रोग से पीड़ित अनिल का कुछ साल पहले ऑपरेशन हुआ लेकिन ऑपरेशन सफल नहीं हो पाया. उसकी अंगुलियों में टेड़ापन और नाजुक त्वचा के कारण अनिल खुद खाना पकाने में सक्षम नहीं थे. वह गर्म खाना भी हाथ से नहीं खा पाते थे. अनिल ने बताया कि कई बार हम संघर्ष किए बिना ही चुनौतियों से हार मान लेते हैं लेकिन जब कोई आपका हौसला बढ़ाए तो चुनौतियां आपसे हार मान लेती हैं.

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