कोरबा: डिंगापुर के प्यारेलाल कंवर ई लाइब्रेरी में अलग-अलग परीक्षाओं की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स को नई दिशा मिली है. नगर निगम के अधीन ई लाइब्रेरी का संचालन एक निजी संस्था की ओर से किया जा रहा है, जहां छात्रों की जरूरत को ध्यान में रखकर सुविधाओं का विकास किया गया है. ई लाइब्रेरी में फ्री कंप्यूटर, टैब और वाई-फाई की सुविधा उपलब्ध है, जिनमें अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स के सॉफ्टवेयर इंस्टॉल हैं. इसके जरिए छात्र जब चाहे ई क्लास अटेंड कर सकते हैं. फिलहाल छात्रों के लिए लाइब्रेरी पूरी तरह से नि:शुल्क है. हालांकि आने वाले समय में छात्रों का पंजीयन कर, शुल्क लिए जाने की बात प्रबंधन ने कही है.
इस तरह की मिल रही सुविधा: महानगरों में जिस तरह की सुविधा के लिए स्टूडेंट्स मोटी रकम खर्च करते हैं. वैसी सुविधा उन्हें कोरबा जैसे शहर में नि:शुल्क दी जा रही है. सिंगापुर में मौजूद ई-लाइब्रेरी स्टूडेंट्स के लिए बेहद उपयोगी साबित हो रहा है. लाइब्रेरी के ग्राउंड फ्लोर पर 3 से 6 साल तक के बच्चों के लिए 10 टैब मौजूद हैं, जिसके जरिए वह अलग-अलग कम्युनिकेशन स्किल का ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं.
दृष्टि और श्रवण बाधित छात्रों के लिए भी आठ कंप्यूटर की व्यवस्था यहां की गई है. दूसरे तल पर 32 कंप्यूटर मौजूद हैं, जहां ई लर्निंग की सुविधा देने वाले अलग-अलग प्लेटफार्म के सॉफ्टवेयर इंस्टॉल हैं. नि:शुल्क कंप्यूटर और वाई-फाई का उपयोग कर बच्चे घंटों पढ़ाई कर सकते हैं. खासतौर पर स्कूल, कॉलेज और कॉम्पिटेटिव एग्जाम की पढ़ाई करने वाले बच्चे भी यहां आकर अपना पूरा दिन बिताते हैं. यह लाइब्रेरी उन बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है, जो पढ़ाई कर अपना लक्ष्य हासिल करना चाहते हैं.
कंप्यूटर से पढ़ने का मिल रहा बच्चों को मौका: शहर की गव्या कॉम्पिटेटिव परीक्षाओं की तैयारी कर रही हैं. वो कहती है कि, "सभी युवाओं के पास महंगा स्मार्टफोन नहीं होता. वह लंबे समय तक ई लर्निंग के लिए मोहताज होते हैं, इसलिए ई लाइब्रेरी हम जैसे छात्रों के लिए बेहद उपयोगी है. यहां हम किसी भी तरह के परीक्षा की तैयारी कर सकते हैं. लाइब्रेरी खुलने का टाइम सुबह 10 से शाम 7 बजे तक है. पढ़ाई करने के लिए यहां बेहद अच्छा माहौल है. कोई डिस्टरबेंस नहीं है. जैसी भी सुविधा हमें चाहिए. वह सब कुछ यहां मौजूद है. वह भी फ्री."
ई क्लास अटेंड करने के लिए बेहद उपयोगी: एसएससी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे ओम प्रकाश शंकर का कहना है कि, "यहां मैं पिछले 1 महीने से आ रहा हूं. पढ़ाई के लिए इस लाइब्रेरी में बेहद अच्छा माहौल है. कंप्यूटर के माध्यम से ई-लर्निंग के लिए सेकंड फ्लोर बेस्ट है, जहां हमें सभी तरह के ई क्लास अटेंड करने का मौका मिलता है. कंप्यूटर में सॉफ्टवेयर पहले से इंस्टॉल हैं, जहां मैं ई क्लास अटेंड करता हूं. उम्मीद है कि इसकी सहायता से मुझे अच्छे परिणाम भी मिलेंगे."
कॉलेज से कुछ ही दूरी पर यह लाइब्रेरी मौजूद है. यहां का माहौल काफी शांत रहता है. पढ़ाई करने के लिए कॉलेज के बाद यह एक अच्छा स्थान है. कंप्यूटर से पढ़ना हो या फिर फिजिकल बुक के जरिए, यहां रीडिंग जोन भी बने हुए हैं. यहांं ग्रुप डिस्कशन के साथ अच्छी तैयारी हो जाती है. -निखिल साहू, छात्र, पीजी कॉलेज
बच्चों के लिए सभी तरह की सुविधा: निजी कंपनी के अधीन लाइब्रेरी में पदस्थ सहायक लाइब्रेरियन पिंटू मंडल का कहना है कि, "यहां हमने वह सभी सुविधाएं दी हैं, जो ई लर्निंग के साथ बेहतर पढ़ाई के लिए किसी एक छात्र की जरूरत होती है. फर्स्ट फ्लोर से लेकर थर्ड फ्लोर तक फिजिकल बुक हो या हाईटेक ई क्लास से जुड़े संसाधन. हमने सभी उपलब्ध कराए हैं. 32 कंप्यूटर है, जिनमें अलग-अलग प्लेटफार्म के सॉफ्टवेयर मौजूद हैं. इसके जरिए छात्र ई क्लास अटेंड कर सकते हैं. 10 बजे से 7 बजे तक वह किसी भी समय आ सकते हैं. प्रतिदिन यहां लगभग 150 छात्र आ जाते हैं. सिस्टम खाली नहीं रहने की वजह से हमें छात्रों को दूसरे कमरों में भी बिठाना पड़ता है. हमारी क्षमता के मुताबिक अभी हमें किताबें प्राप्त नहीं हुई है. बच्चों से ही किताबों के नाम लिए जा रहे हैं, ताकि और किताबों का भी हम ऑर्डर कर सकें."
फिलहाल यहां महज दो कर्मचारी: डिंगापुर में ई लाइब्रेरी की शुरुआत पिछले साल अगस्त में की गई थी. कोरोना काल के कारण ई लाइब्रेरी को शुरू करने में काफी समय भी लगा, लेकिन इसकी परिकल्पना काफी उपयोगी रही, जो किसी भी तरह के छात्र के लिए काफी मददगार है. लाइब्रेरी के विषय में जानकारी होने पर रोज अब छात्रों की संख्या यहां बढ़ रही है, लेकिन यहां सिर्फ दो ही कर्मचारी पदस्थ हैं, जो पूरी लाइब्रेरी का संचालन करते हैं. उनके लिए व्यवस्था संभालना अब मुश्किल हो रहा है. लाइब्रेरी में फिजिकल किताबों की भी कमी बनी हुई है. 60 किताबों की क्षमता वाले लाइब्रेरी में वर्तमान में केवल साढ़े 3 हजार किताबें मौजूद हैं. लाइब्रेरी प्रबंधन का कहना है कि किताबों की मांग की गई है. बच्चों से भी फीडबैक लिया जा रहा है.