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ऐसा है शिमला में देश के राष्ट्रपति का निवास, 175 साल पुरानी इमारत पर भूकंप का भी असर नहीं, यहां चार दिन ठहरेंगी महामहिम - Shimla Rashtrapati Niwas Retreat

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : May 3, 2024, 5:24 PM IST

शिमला में देश के राष्ट्रपति का निवास
शिमला में देश के राष्ट्रपति का निवास (Etv Bharat)

Shimla Retreat Building History: शिमला में देश के राष्ट्रपति का निवास रिट्रीट 175 साल पुराना है. इस इमारत में पारंपरिक धज्जी निर्माण शैली का प्रयोग किया गया है. इस इमारत की खासियत है कि ये भूकंप रोधी है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अपने शिमला दौरे पर इसी भवन में ठहरेंगी. पढ़िए पूरी खबर..

शिमला: विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत की संवैधानिक प्रमुख का शिमला स्थित निवास 175 साल पुराना है. इमारत में बेशक अधिकांश काम लकड़ी और मिट्टी का है, लेकिन मजबूती ऐसी है कि भूकंप का भी इस पर कोई असर नहीं हो सकता. कारण ये है कि राष्ट्रपति निवास की इमारत में पारंपरिक धज्जी निर्माण शैली का प्रयोग किया गया है. धज्जी दीवाल (पहाड़ में पारंपरिक दीवार के लिए प्रयुक्त होने वाला शब्द) की खासियत ये है कि इसकी मजबूती पर भूकंप का भी असर नहीं होता है. रियासत काल में ये इमारत कोटी रियासत की संपत्ति थी. अब यही इमारत भारत के राष्ट्रपति का ग्रीष्मकालीन निवास है.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का शिमला दौरा

देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अपने चार दिन के प्रवास पर हिमाचल आ रही हैं. शिमला में उनका ठहराव इसी इमारत में होगा. पिछले साल भी राष्ट्रपति 18 अप्रैल को तीन दिवसीय दौरे पर आई थीं. अब चार दिन शिमला की इसी इमारत से राष्ट्रपति फाइलों को देखेंगी. चार दिन के लिए राष्ट्रपति भवन दिल्ली का सचिवालय शिमला में शिफ्ट हो जाएगा.

इमारत में पारंपरिक धज्जी निर्माण शैली का प्रयोग

शिमला के समीप छराबड़ा में स्थित राष्ट्रपति के ग्रीष्मकालीन निवास रिट्रीट की दीवारें मिट्टी से बनी हैं. इन दीवारों को धज्जी दीवाल कहा जाता है. राष्ट्रपति बनने के बाद द्रौपदी मुर्मू दूसरी बार शिमला आ रही हैं. छराबड़ा में स्थित राष्ट्रपति निवास वैसे तो आम जनता के लिए भी खुला रहता है, लेकिन राष्ट्रपति के दौरे के समय यहां कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रहती है. आम जनता और सैलानियों का यहां आवागमन पूरी तरह से बंद रहता है. एक हजार से अधिक जवान सुरक्षा में तैनात रहते हैं. इसके अलावा राष्ट्रपति का निजी सुरक्षा घेरा भी अभेद्य है.

शिमला में देश के राष्ट्रपति का निवास
शिमला में देश के राष्ट्रपति का निवास (ETV bharat Page)

साल 1850 में प्रकृति की गोद बनी थी ये इमारत

छराबड़ा के एक शांत-एकांत प्राकृतिक और सुरम्य वातावरण में स्थित इमारत वर्ष 1850 में बनी थी. रिट्रीट इमारत राजधानी की गहमागहमी से दूर प्रकृति की गोद में है. रिट्रीट इमारत मूल रूप से कोटी रियासत के शाही परिवार की थी. यह इमारत एक हजार वर्गफीट से भी अधिक क्षेत्र में फैली है. ब्रिटिश हुकूमत के दौर में तत्कालीन शासकों ने इसे रियासत के राजा से पट्टे पर लिया था. ये बात वर्ष 1850 की है. बाद में कोटी रियासत के शासक ने वर्ष 1886 में इसे ब्रिटिश हुकूमत से वापिस ले लिया था. चूंकि अंग्रेजों को ये इमारत भा गई थी, लिहाजा साल 1895 में तत्कालीन वायसराय ने इसे फिर से ब्रिटिश शासन के अधीन कर लिया.

रिट्रीट में देश-विदेश की फूलों से सजा बगीचा

इस इमारत के बाहर एक सुंदर लॉन है. इस लॉन में कई बार मेहमानों के लिए जलपान का इंतजाम होता है. राष्ट्रपति निवास रिट्रीट की संपत्ति में शानदार फुलवारी और एक बागीचा भी है. इस बगीचे में सेब के देशी और विदेशी किस्म के पौधे लगे हैं. फुलवारी की देखभाल के लिए दर्जनों माली तैनात हैं. यहां देश और विदेश से कई किस्मों के फूल मंगवा कर लगाए गए हैं.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का दूसरी बार शिमला दौरा

द्रौपदी मुर्मू देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं. पहली महिला प्रमुख के तौर पर प्रतिभा पाटिल भी शिमला आ चुकी हैं. द्रौपदी मुर्मू लगातार दूसरे साल शिमला दौरे पर आ रही हैं. पिछले साल उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के दौरान वायसराय के निवास वायसरीगल लॉज का दौरा भी किया था. वायसरीगल लॉज आजादी के बाद राष्ट्रपति निवास कहलाता था. बाद में तत्कालीन राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने वायसरीगल लॉज को उच्च अध्ययन के केंद्र के रूप में प्रतिष्ठित किया था. अब वायसरीगल लॉज भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान के नाम से पहचाना जाता है.

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