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सरायकेला की चामी मुर्मू को पद्मश्रीः पर्यावरण संरक्षण और महिला स्वयं सहायता समूह के क्षेत्र में किये काम का मिला सम्मान

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 26, 2024, 6:39 AM IST

Padmashree award to Chami Murmu of Seraikela. सरायकेला की चामी मुर्मू को पद्मश्री पुरस्कार मिला है. राजनगर की चामी मुर्मू को 30 लाख पौधे लगाकर पर्यावरण संरक्षण और 2300 महिला स्वयं सहायता समूह का गठन करने के लिए उनका चयन इस पुरस्कार के लिए हुआ है.

Seraikela Chami Murmu selected for Padmashree award
सरायकेला की चामी मुर्मू को पद्मश्री पुरस्कार

सरायकेला: भारत सरकार द्वारा सरायकेला के राजनगर निवासी 52 वर्षीय चामी मुर्मू को पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है. नारी सशक्ति सम्मान समेत कई पुरस्कार से नवाजी गईं चामी मुर्मू को पद्मश्री के लिए चयनित किए जाने पर इन्होंने सरकार के प्रति आभार जताया है. उन्होंने लगातार तीन बार पद्मश्री पुरस्कार के लिए आवेदन किया था.

तकरीबन 30 वर्षों में चामी मुर्मू ने 30 लाख से भी अधिक पौधे लगाकर पर्यावरण का संरक्षण किया है. इसके अलावा महिला सशक्तिकरण, तालाब, जल स्रोत के निर्माण में सहयोग कर ग्रामीणों को भी जागरूक किया है. चामी मुर्मू ने महिलाओं को भी सर्वाधिक स्वावलंबी बनाने के उद्देश्य से कई कार्य किए हैं, जिसे लेकर इन्हें राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त पुरस्कारों से नवाजा चुका है. विशेष बातचीत के क्रम में चामी मुर्मू ने बताया कि गुरुवार दोपहर 3 बजे सरायकेला-खरसावां के जिला उपायुक्त रविशंकर शुक्ला द्वारा दूरभाष पर उन्हें पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयनित होने संबंधित जानकारी दी गई.

2300 महिला स्वयं सहायता समूह का किया गठनः सन 1990 में चामी मुर्मू ने सहयोगी महिला नामक एनजीओ का गठन किया. इसके बाद इन्होंने सबर जनजाति समेत आदिम जनजाति के महिलाओं को एकत्रित कर उन्हें स्वावलंबी बनाने का काम शुरू किया. वर्तमान में 2300 से भी अधिक महिला स्वयं सहायता समूह बनाकर उन्हें बैंक से विभिन्न योजनाओं के तहत ऋण उपलब्ध कराकर रोजगार से जोड़ रही हैं. इसके अलावा दलमा के सुदूरव्रती तराई क्षेत्र में बसे आदिम जनजाति के परिवार के महिला एवं बालिकाओं के उत्थान को लेकर भी कई कार्य किए हैं.

मदर टेरेसा को आदर्श मान शुरू की समाज सेवाः 52 वर्षीय अविवाहित चामी मुर्मू ने बताया कि मदर टेरेसा को अपना रोल मॉडल मान उन्होंने सामाजिक कार्य की शुरुआत की. दो भाई और बहन में सबसे बड़ी चामी मुर्मू ने अपना जीवन महिला सशक्तिकरण और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में गुजारा है. इसी सामाजिक उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री दिए जाने की घोषणा की गई है.

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