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अंबिकापुर में गंदे पानी की सफाई का मॉडल, नगर निगम एसटीपी से ट्रीट कर वाटर करेगा रीयूज

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Feb 19, 2024, 11:05 PM IST

Sanitation Mission in Ambikapur: अंबिकापुर में फिर स्वच्छता में अव्वल आने का प्रयास निगम की ओर से शुरू किया गया है. यहां गंदे पानी को नगर निगम एसटीपी से ट्रीट कर रीयूज करेगा.

Sanitation Mission in Ambikapur
अंबिकापुर में फिर स्वच्छता में अव्वल का प्रयास शुरू

अंबिकापुर में पानी की सफाई का मॉडल होगा शुरू

अम्बिकापुर: स्वच्छता सर्वेक्षण में पिछड़ने के बाद अब अम्बिकापुर दोबारा से अव्वल रहने की कवायद में जुट गया है. इस बार नगर निगम दोगुनी ताकत से सर्वेक्षण में शामिल होगा. उसकी तस्वीर अभी से दिखने लगी है. बीते साल के परिणाम आने के तुरन्त बाद ही अम्बिकापुर अगले वर्ष के सर्वेक्षण की तैयारी में जुट गया है. अम्बिकापुर अब नालियों के पानी को एसटीपी से ट्रीट करके या तो रीयूज करेगा या तो ट्रीटेड वाटर को नदियों में छोड़ेगा. इससे गंगा बेसिन शहर होने के कारण सोन और गंगा में साफ पानी जाएगा. इससे सर्वेक्षण में अम्बिकापुर को अधिक अंक भी मिल सकेंगे.

100 करोड़ रुपए की स्वीकृति प्रदान की गई: अंबिकापुर में घरों से निकलने वाले पानी को भी अब स्वच्छ किया जाएगा. शहर के नालों से निकलने वाले गंदे पानी को प्राकृतिक जल स्त्रोत में मिलने से पहले उसका उपचार किया जाएगा. इस काम के लिए राज्य शासन की ओर से अमृत मिशन-2 के तहत लगभग 100 करोड़ रुपए की स्वीकृति प्रदान की गई है. इस राशि से शहर में प्रमुख चिन्हांकित स्थानों पर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना की जाएगी. एसटीपी के माध्यम से उपचारित किए गए जल का पुनः उपयोग भी किया जा सकेगा. शासन से स्वीकृति मिलने के बाद एसटीपी प्लांट की स्थापना को लेकर निगम की ओर से तैयारियां शुरू कर दी गई है.

पानी को किया जाएगा ट्रीट: भारत सरकार सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के साथ ही अब लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट की ओर भी विशेष ध्यान दे रही है. एनजीटी के निर्देश के बाद प्रदेश के प्रमुख निकायों में नालियों से निकलने वाले गंदे पानी को प्राकृतिक जल स्त्रोत में मिलने से पहले उसे उपचारित किया जाना है. बात अगर शहर की करें तो शहर में प्रतिदिन लगभग 20 एमएलडी पानी की सप्लाई की जाती है. सप्लाई किए गए पानी का लगभग 60 से 70 फीसद गंदा पानी नालियों के माध्यम से वापस आता है, लेकिन यह पानी नालियों से होते हुए बड़े नाले और फिर तालाब या शंकरघाट स्थित नदी में जाकर मिल जाता है. इससे पर्यावरण प्रदूषित तो हो ही रहा है, इसके साथ ही पानी की बर्बादी भी हो रही है.

अमृत मिशन 2 के तहत सीवरेज से निकलने वाले पानी को उपचारित करने हेतु शासन से राशि मिली है. निगम द्वारा वर्तमान में निर्माण के लिए ड्राइंग डिजाइन बनाया जा रहा है. शासन स्तर पर ही इसके डीपीआर और टेंडर की प्रक्रिया पूर्ण की जाएगी. स्वच्छता सर्वेक्षण में हमारे अंक भी इससे बढ़ेंगे और गंगा बेसिन शामिल शहर होने के कारण सोन और गंगा में साफ पानी जायेगा जो प्रदूषण को कम करने में भी मदद करेगा. -अजय तिर्की, मेयर

46 एमएलडी का प्लांट स्थापित किया जाएगा: वर्तमान में नगर निगम द्वारा सेनेटरी पार्क में एफएसटीपी लगाकर लोगों के घरों से निकलने वाले फिकल स्लज को उपचारित कर उसके पानी का उपयोग किया जा रहा है, जबकि शहर के मरीन ड्राइव में भी एक प्राकृतिक एसटीपी बनाया गया है. लेकिन इन सब के बीच राज्य शासन द्वारा सितंबर 2023 में प्रदेश के अन्य निकायों के साथ ही अंबिकापुर नगर निगम को अमृत मिशन 2 के तहत 15वें वित्त से 100 करोड़ रुपए की राशि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए स्वीकृति की गई है. शासन से स्वीकृति मिलने के बाद नगर निगम की ओर से इसके लिए ड्राइंग डिजाइन तैयार किया जा रहा है, ताकि आने वाले समय में एसटीपी का निर्माण किया जा सके.

पानी को स्वच्छ कर तालाब या फिर नदी में डाला जाएगा: शहर से निकलने वाले पानी को प्राकृतिक स्रोत में मिलाने से पहले एसटीपी के माध्यम से उपचारित किया जाएगा. उपचारित किए गए जल का उपयोग नगर निगम की ओर से निकाय क्षेत्र में चलने वाले निर्माण कार्यों, गार्डनिंग और अन्य कार्यों के लिए किया जा सकेगा. वर्तमान में भी नगर निगम के फिकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट से भी सेप्टिक टैंक के पानी को उपचारित किया जा रहा है. इस पानी का उपयोग नगर निगम शहर के रिंग रोड और अन्य स्थानों पर लगाए गए पौधों में सिंचाई के लिए करता है. ऐसे में एसटीपी के माध्यम से बड़े पैमाने पर नालों के पानी को उपचारित किए जाने के बाद उसका उपयोग निर्माण, पौधों को सिंचाई के लिए किया जा सकेगा.उसके बाद बचे हुए शेष पानी को उपचारित करने के बाद ही प्राकृतिक जल स्त्रोत नदी, तालाब में डाला जाएगा.

सीवरेज नेटवर्क के लिए भी योजना बनाई गई: शहर में नालियों के माध्यम से निकलने वाला पानी बड़े नाले में जाकर मिलता है, लेकिन शहर में अभी भी ज्यादातर क्षेत्रों में नालियों की कनेक्टिविटी पूरी तरह से नहीं हो पाई है. ऐसे में सीवरेज का पानी जाकर खुले मैदान में बर्बाद हो जाता है. वहीं, बारिश के समय जल भराव की दिक्कत होती है. ऐसे में शहर में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के साथ ही सीवरेज नेटवर्क के लिए भी योजना बनाई गई है. पिछले दिनों हुई एमआईसी की बैठक के दौरान इस बात का निर्णय लिया गया था कि शासन से मिलने वाली राशि से एसटीपी के साथ ही सीवरेज नेटवर्क को दुरुस्त करने का भी कार्य किया जाए.

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