ETV Bharat / state

ठाकुरजी का विमान! वृंदावन से आए सतरंगी फूलों से सजी नौका, गर्मी से निजात पाने जलविहार पर निकले बांके बिहारी - sagar 150 years old tradition

author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : May 17, 2024, 8:07 AM IST

Updated : May 17, 2024, 8:37 AM IST

सागर के प्रसिद्ध देव बांके राघव मंदिर में नौका विहार का आयोजन हुआ. भीषण गर्मी में ठंडक देने के लिए ठाकुरजी को नौका विहार कराया गया. दरअसल यह परंपरा पिछले 150 सालों से सागर में मनती हुई आ रही है. इस बार लकड़ी की नौका की बजाय रिमोट से चलने वाली नौका से जलविहार कराया गया. आस्था से भरे इस नजारे को देखने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी.

SAGAR 150 YEARS OLD TRADITION
ठाकुरजी का नौकाविहार (Etv Bharat)

ठाकुरजी ने पवित्र नदियों के पानी से बने कुंड में किया जलविहार (ETV BHARAT)

सागर। गर्मी के मौसम में आम इंसान तपन से बचने के लिए तरह-तरह के जतन करते हैं. सनातन धर्म में परंपरा रही है कि गर्मी के मौसम में भगवान के लिए भी शीतलता प्रदान करने के लिए तरह-तरह के जतन भक्तों द्वारा किए जाते हैं. भगवान शिव के लिए शीतल जल की मटकी शिवलिंग के ऊपर लगायी जाती है, तो वहीं फूल बंगला और नौका विहार जैसी परम्पराएं भी मंदिरों में सदियों से चली आ रही हैं. सागर शहर के सर्राफा इलाके के प्रसिद्ध श्री देव बांके राघव मंदिर में डेढ सौ साल से ठाकुर जी को जलविहार की परम्परा है. जिसमें ठाकुर जी नौका में बैठकर गर्मी में ठंडक का आनंद लेते हैं. खास बात ये है कि परपंरा में समय के साथ बदलाव देखने को मिल रहे हैं. पहले पवित्र नदियों के जल के कुंड में भगवान लकड़ी की नौका में जलविहार करते थे. अब वो रिमोट से संचालित नौका में जलविहार करते हैं.

bhagwan shri dev banke raghav boat ride in sagar
सागर के देव बांके राघव मंदिर में नौका विहार का आयोजन (ETV BHARAT)

अनवरत निभाई जा रही है 150 साल पुरानी परम्परा

सागर के सर्राफा बाजार में स्थित ढाई सौ साल पुराने श्रीदेव बांके राघव जी मंदिर के पुजारी निताई दास बताते हैं कि, ''मंदिर में करीब डेढ सौ साल पहले ठाकुर जी के जलविहार की परम्परा शुरू की गयी थी. गर्मी के मौसम में खासकर वैशाख में जब सूर्य का तप चरम पर रहता है, तब ठाकुर जी को शीतलता प्रदान करने के लिए इस परम्परा की शुरूआत की गयी थी. परम्परा के तहत मंदिर में एक चौकोर जलकुंड बनाया जाता है. जिसमें देश की 11 पवित्र नदियों का जल एकत्रित किया जाता है. गंगा, यमुना, नर्मदा, गोदावरी, कावेरी और दूसरी पवित्र नदियों का जल कुंड में भरा जाता है. जलकुंड में भक्तों द्वारा तरह-तरह के फूल इकट्ठा करके डाले जाते हैं और भगवान को नौका विहार कराया जाता है.''

bhagwan shri dev banke raghav boat ride in sagar
ठाकुरजी को नौका विहार कराया गया (ETV BHARAT)

समय के साथ परम्परा में हुआ बदलाव

मंदिर के पुजारी पंडित निताईदास बताते हैं कि, ''डेढ सौ साल से चली आ रही इस परम्परा के तहत पवित्र नदियों के जलकुंड में ठाकुर जी लकड़ी की नौका में विहार करते थे, लेकिन समय के साथ साथ इस परम्परा में कई बदलाव आए और इस साल पहली बार रिमोट से संचालित नौका ठाकुर जी के विहार के लिए तैयार की गयी है. रिमोट से चलने वाली नौका में ठाकुर जी ने जमकर जलविहार का आनंद लिया. छोटी सी इस नौका को सजाने के लिए वृंदावन से मोगरा और
गुलाब के फूल मंगाए गए थे. जलकुंड में कलकल करता पवित्र नदियों में गुलाब और मोगरे की महक के साथ ठाकुर जी ने जल विहार का भरपूर आनंद लिया.''

Also Read:

भयानक गर्मी में ऐसे कूल रहती है सागर की 'लाड़ली लक्ष्मी', जैसे कह रही हो- 'गर्मी हमको भी लगती है' - KEEPING ELEPHENT LAKSHMI COOL

गर्मी पर लगा ब्रेक, 15 मई तक ऐसा ही बना रहेगा मौसम, आंधी तूफान के साथ हो सकती है बारिश - Releif From Heat Wave

Gwalior Tulip Garden ग्वालियर के गार्डन में दिखी कश्मीर की शान, गांधी उद्यान और जलविहार में खिला ट्यूलिप का फूल

करीब तीन घंटे लिया ठाकुर जी ने जल विहार का आनंद

वैशाख के महीने में ठाकुर जी के नौकाविहार की परम्परा डेढ सौ साल से श्रीदेव बांके राघव जी मंदिर में जारी है. वैशाख के महीने में जब गर्मी चरम पर होती है, तो किसी एक दिन का चयन करके पंडित जी जलविहार की व्यवस्था करते हैं. शाम के समय संध्या आरती के साथ ठाकुर जी का नौका विहार शुरू होता है और ठाकुर जी को जलविहार करते हुए देखने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है. बुधवार शाम को श्रीदेव बांके राघव जी मंदिर में ठाकुर जी का जलविहार करीब तीन घंटे चला और ठाकुर जी को जलविहार करता देख भक्त भी भाव विभोर हो उठे.

Last Updated :May 17, 2024, 8:37 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.