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कोरोना काल में सबको सस्ता खाना खिलाया, उसी 'रोटी वाली अम्मा' का निगम ने रोजगार उजाड़ दिया

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 22, 2024, 7:01 PM IST

'रोटी वाली अम्मा'
'रोटी वाली अम्मा'

आगरा में कोराना काल में लोगों को सस्ता खाना खिलाने वाली 'रोटी वाली अम्मा' आज खुद रोटी के लिए मोहताज हो गई. मेट्रो के विकास के चलते नगर निगम ने बुजुर्ग महिला भगवान देवी का रोजगार छिन लिया. ऐसे में बुजुर्ग ने मदद की गुहार लगाई है.

'रोटी वाली अम्मा' आज खुद रोटी के लिए मोहताज

आगरा: कोराना काल में लोगों को सस्ता खाना खिलाने वाली 'रोटी वाली अम्मा' आज खुद रोटी के लिए मोहताज हो गई. मेट्रो के विकास के चलते नगर निगम ने बुजुर्ग महिला भगवान देवी का रोजगार छीन लिया. अब दुकान के लिए नया ठिकाना देने के बदले उनसे रुपयों की मांग की जा रही है. ऐसे में बुजुर्ग ने मदद की गुहार लगाई है.

निगम ने हटा दी 'रोटी वाली अम्मा' की दुकानः ताजनगरी में सोशल मीडिया की आंख का तारा रहीं 'रोटी वाली अम्मा' की दुकान को नगर निगम ने हटवा दी हैं. जिसके बाद 82 साल की बुजुर्ग भगवान देवी आज खुद रोटी के लिए दूसरे की मोहताज हो गई. कोराना काल में लोगों को सस्ता खाना देकर मदद करने वाली भगवान देवी को पिछले कुछ महीनों से जीवन यापन करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

दरअसल कोरोना काल में सोशल मीडिया पर "रोटी वाली अम्मा" के नाम से भगवान देवी काफी फेमस हो गई थी. तत्कालीन डीएम के आदेश पर सरकारी वित्तीय सहायता के साथ शहर की समाजसेवी संस्थाओं ने भरपूर मदद की थी. उन्हें नगर निगम ने सेंट जोंस चौराहे के फुटपाथ पर जगह के साथ एक ठेल भी प्रदान की थी. जिससे भगवान देवी के बुजुर्ग हाथों को रोजगार मिल सके. कुछ महीनों तक तो सब कुछ ठीक रहा लेकिन अब सब कुछ छिन गया. आज वह खुद सड़क पर आ गई.

पति की मौत के बाद बहू-बेटे ने घर से निकालाः बाग मुज्जफर खां की रहने वाली भगवान देवी ने बताया कि चार महीने पहले नगर निगम की टीम आयी थी. अधिकारियों ने कहा कि यहां मेट्रो का विकास कार्य होगा. तुमने अतिक्रमण कर रखा है. यहां से दुकान हटानी होगी. कार्रवाई के डर के कारण फुटपाथ पर चल रही दुकान हटानी पड़ी. पति मरने के बाद बहु-बेटे ने पहले ही घर से बाहर निकाल दिया था. जैसे-तैसे फुटपाथ पर छोटी सी दुकान लगाकर सस्ते में लोगो को अच्छा खाना देती थी. उससे जीवन यापन चल रहा था. लेकिन अब दुकान भी नही रही. जिससे अब दाने-दाने के लिए भी मोहताज हो गई. कोई भी मदद के लिए हाथ नहीं बढ़ा रहा. मेरी बस एक मांग है कि मुझे दुकान लगाने के लिए नया ठिकाना दिला दिया जाए. जिससे मेरी रोजी-रोटी चलती रहे.

ठिकाना देने के बदले मांगी जा रही रिश्वतः बुजुर्ग भगवान देवी ने आरोप लगाया कि एक समय डीएम के आदेश पर नगर निगम ने पंजीकरण कर 10 हज़ार की आर्थिक मदद भी दी थी. लेकिन दुकान हटने के बाद में नया ठिकाना नगर निगम से मांगने गई, तो कर्मचारियों ने 10 हज़ार की मांग कर डाली. मेरे पास दवा के लिए ठीक से पैसा नही हैं. मेरी बस यही मांग है कि मुझे दुकान लगाने के लिए नया ठिकाना दे दिया जाए.

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