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चंद उद्योगपति मित्रों के लिए बजट लाती भाजपा, जनता को नहीं कोई उम्मीद : आरएलडी

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 1, 2024, 7:08 AM IST

गुरुवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अंतरिम बजट सदन (budget 2024) में प्रस्तुत करेंगी. बजट से सभी को काफी उम्मीदें हैं. बजट को लेकर राष्ट्रीय लोकदल के नेताओं ने प्रतिक्रिया जाहिर की है.

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राष्ट्रीय लोकदल व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष रोहित अग्रवाल

लखनऊ : केंद्र की मोदी सरकार में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण केंद्र सरकार का इस बार का आखिरी अंतरिम बजट सदन में प्रस्तुत करेंगी. इस बजट से सभी को काफी उम्मीदें हैं क्योंकि यह सरकार का अंतरिम बजट है. ऐसे में सरकारी योजनाएं जो वर्तमान में संचालित हो रही हैं उन्हें रफ्तार देने के लिए यह अंतरिम बजट लाया जा रहा है. पूर्ण बजट नई सरकार के गठन के बाद जुलाई में प्रस्तुत किया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत भारतीय जनता पार्टी को पूरी उम्मीद है कि अगली बार भी सरकार उनकी ही आएगी, लेकिन विपक्षी दल मोदी सरकार का यह आखिरी बजट मान रहे हैं. राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के नेताओं का कहना है कि 2024 में फिर से मोदी सरकार की वापसी नहीं हो पाएगी. यह सरकार का आखिरी बजट साबित होगा.


राष्ट्रीय लोकदल व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष रोहित अग्रवाल ने केन्द्र सरकार के अंतरिम बजट से पूर्व अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव पूर्व यह सरकार का आखिरी चुनावी बजट होगा, क्योंकि इसके बाद भाजपा सत्ता से बाहर होने वाली है. सरकार देश के मतदाताओं को लुभाने के लिए चुनाव से पूर्व वही पुराना जुमला दोहराएगी. व्यापार प्रकोष्ठ के अध्यक्ष रोहित अग्रवाल ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था चरमरा गयी है. देश के किसानों, महिलाओं, गरीबों और युवाओं के लिए कोई लक्ष्य नहीं है और न ही उनके लिए बजट में कोई गुंजाइश होगी. 10 साल के कार्यकाल में नरेंद्र मोदी सरकार ने कुछ चंद उद्योगपतियों को छोड़कर आम जनमानस के लिए कुछ नहीं किया, इसलिए यह उनका आखिरी अन्तरिम बजट होगा, क्योंकि 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा सरकार को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ेगा. जिस प्रकार पिछले बजटों में उन्होंने जनता को झुनझुना थमा दिया उसी तरह आने वाले बजट में भी ऐसा ही होगा क्योंकि इनकी नीयत साफ नहीं है.




उन्होंने कहा कि अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज जनता को भाजपा सरकार से बजट में कोई उम्मीद नहीं है. जनता समझ चुकी है जब 10 साल में कुछ नहीं दिया तो चुनावी बजट होने पर सरकार कौन से रोजगार सृजन के लिए बजट प्रस्तुत करने जा रही है. 2014 के अगर वादे याद करें तो 100 स्मार्ट सिटी, दो करोड़ रोजगार तरह-तरह के प्रलोभन दिए थे, लेकिन सब जुमले ही निकले.

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