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प्राण प्रतिष्ठा के बाद के संतों में उत्साह, बोले-लाठी गोली खाने के बदले मिला है प्रभु श्री राम का मंदिर

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 23, 2024, 5:26 PM IST

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा (Ramlala Pran Pratistha) के बाद अयोध्या के संतों में गजब का उत्साह देखने को मिला. संतों का कहना है कि लाठी, गोलियां खाने के बदले प्रभु श्री राम का मंदिर मिला है.

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उदासीन अखाड़े के महंत डॉ भरत दास ने दी जानकारी

अयोध्या: 22 जनवरी की दोपहर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित तमाम विशिष्ट अतिथियों की मौजूदगी में प्रभु श्री राम के नवीन विग्रह के प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम संपन्न होने के बाद रामनगरी में आस्था का जन्म सैलाब उमड़ पड़ा है. लगभग 2 लाख से अधिक श्रद्धालु रामनगरी अयोध्या पहुंच गए हैं. सुबह के 4:00 बजे से ही राम मंदिर के बाहर राम भक्तों की एक बड़ी कतार लगी हुई है. आलम यह है कि आईजी कमिश्नर एसपी और डीएम को राम मंदिर के गेट पर खड़ा होना पड़ा और श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करना पड़ा. प्रभु श्री राम की स्थापना के साथ अयोध्या के साधु संतों का उल्लास और उत्साह चरम पर है. भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में बड़ी संख्या में अयोध्या के महंत और संत शामिल हुए थे. ईटीवी भारत ने उदासीन अखाड़े के महंत डॉ भरत दास से खास बातचीत करते हुए प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में शामिल होने को लेकर उनके अनुभव को जाना.

सकल मनोरथ पूर्ण भये जब राम लिए अवतार: ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए उदासीन अखाड़े के महंत डॉ. भरत दास ने कहा कि स्वयं प्रभु श्री राम जब अपने नवीन भवन में विराजमान हो गए हैं, तो पूरी अयोध्या में मंगल ही मंगल है. अयोध्या के साधु संत भाव विभोर होकर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में शामिल हुए हैं. अयोध्या के संतों ने लाठी गोली खाई है, कई दशकों तक कष्ट सहे हैं. आज सबका मनोरथ पूर्ण हुआ है. प्रभु श्री राम के मंदिर की स्थापना हुई है. निश्चित रूप में अपने आप में यह अद्वितीय क्षण है. राम भक्तों का स्वागत करने के लिए अयोध्या और यहां के साधु संत पूरी तरह से तैयार हैं.

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महोत्सव का विरोध करने वाले है मूर्ख: प्रभु श्री राम के स्वरूप पर चर्चा करते हुए उदासीन अखाड़े के महंत डॉ भरत दास ने कहा कि प्रभु श्री राम के विग्रह और उनका स्वरूप देखकर वैसी ही तस्वीर मन में आती है, जैसी वास्तविकता में प्रभु श्री राम की रही होगी. निश्चित रूप से एक अद्वितीय और बेहद सुंदर प्रतिमा का निर्माण अरुण योगीराज ने किया है और उन्हें प्राण प्रतिष्ठित किया गया है.जहां तक सवाल सही तिथि, समय और मुहूर्त का है, तो जब प्रभु श्री राम स्वयं विराजमान हो रहे हैं, तो सब कुछ मंगल है. देश की सर्वोच्च न्यायालय ने रामलला के पक्ष में फैसला दिया है. इस आनंद की कोई सीमा नहीं है. सभी साधु संतों की सदियों की तपस्या सफल हुई है. महोत्सव का विरोध करने वाले मूर्ख हैं.

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