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प्रभु राम के साथ किन्नरों ने भी काटा था वनवास, कलियुग में राज करने का मिला था आशीर्वाद

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 22, 2024, 6:43 AM IST

Ram Mandir Inauguration: अयोध्या में रामलला प्रतिष्ठित हो गए हैं. जितनी अधिक खुशी इस कार्यक्रम को लेकर महिलाओं को पुरुषों में उससे कहीं अधिक खुशी किन्नरों में देखने को मिल रही है. हो भी क्यों न. ये वही किन्नर समाज है, जिसके पूर्वजों ने सबसे पहले भगवान राम को गोद में खिलाने के साथ रामलला के लिए 14 साल तक सरयू नदी के तमसा के तट पर इंतजार किया था. भगवान के साथ ही इन्होंने भी वन में कंदमूल फल खाकर जीवन बिताया था. आइए जानते हैं क्या है किन्नरों के राम की कहानी.

Ram Mandir
Ram Mandir

अयोध्या के किन्नर समाज पर संवाददाता प्रतिमा तिवारी की खास रिपोर्ट.

अयोध्या: अवध नगर के राजा प्रभु श्री राम को लेकर अनेक कहानियां व मान्यताएं प्रचलित है. जिसमें अनेक किरदार भी शामिल है जो प्रभु के जीवन से जुड़े हुए हैं.ऐसे में आज हम आपको प्रभु श्री राम के जीवन से जुड़े उस किरदार के बारे में बताने जा रहे है, जिसने प्रभु श्री राम के साथ 14 साल तक वनवास काटा. यकीनन आपको लग रहा होगा कि ये वनवास काटने वाला किरदार भाई लक्ष्मण भरत या माता सीता होंगी.

लेकिन, हैरान करने वाली बात यह है कि इन लोगों के इतर भी एक ऐसा वर्ग रहा जिसने प्रभु के लिए 14 साल तक तपस्या की. यह सुनकर आप आश्चर्य में होंगे लेकिन यह सच है. इस तपस्या को करने का काम किसी साधु, महात्मा, संत ने नहीं बल्कि अयोध्या के किन्नरों ने किया है, जिसे स्वयं प्रभु श्री राम ने कलियुग में राज करने का आशीर्वाद भी दिया है.

अयोध्या में स्वर्ग से आए किन्नर: अयोध्या में किन्नर समाज की गद्दी है. ये गद्दी उन किन्नरों के पूर्वजों की है, जिन्होंने भगवान राम के जन्म के बाद सबसे पहले उन्हें गोद में लिया था. किन्नर समाज का कहना है कि राजा दशरथ के घर में रामलला के आने के बाद ही किन्नरों को स्वर्ग से उतारा गया था. किन्नरों का जन्म नहीं हुआ बल्कि उन्हें लाया गया था. भगवान शिव का अर्धनारीश्वर रूप ही किन्नर समाज का रूप है. अयोध्या के किन्नर समाज का कहना है कि राम जब वन जा रहे थे तब उन्होंने नर, नारी को वापस जाने का आदेश दिया था. उन्होंने किन्नरों का नाम नहीं लिया था, जिसके बाद हमारे पूर्वजों ने उनका 14 साल तक इंतजार किया था.

भगवान ने नर-नारी को दिया लौटने का आदेश: अयोध्या की किन्नर गद्दी की गद्दीपति पिंकी मिश्रा कहती हैं, 'भगवान राम जब वनवास के लिए अयोध्या छोड़कर जा रहे थे तो तमसा के तट तक उनके साथ पूरी अयोध्या गई. नर, नारी, किन्नर, जीव-जन्तु सभी उन्हें विदा करने के लिए पहुंचे हुए थे. भरत कुण्ड के पास ही तमसा तट स्थित है. वहां पर भगवान राम ने कहा कि, अयोध्या की जनता नर, नारी सभी लोग अयोध्या लौट जाएं. 14 साल बाद हमारी मुलाकात होगी. इतना कहने के बाद प्रभु नाव में बैठकर तमसा तट पार कर गए. हमारे पूर्वजों ने कहा कि प्रभु ने नर और नारी को अयोध्या लौटने के लिए कहा है. मगर किन्नरों को वापस जाने के लिए नहीं कहा है. न हम नर हैं और न ही नारी हैं. इसका मतलब है कि प्रभु ने हमें जाने के लिए आदेश नहीं दिया है.'

14 साल तक भगवान का करते रहे इंतजार: उन्होंने बताया, 'हमारे पूर्वज तमसा के तट पर प्रभु के लौटने के इंतजार में 14 साल तक तपस्या करते रहे. वन में जो कंदमूल फल प्रभु ने खाया वही हमारे पूर्वज खाते रहे. जिस तरह से प्रभु ने गंगा का जल पीया उसी तरह से हमारे किन्नर समाज के पूर्वज भी जल ग्रहण करते रहे. 14 तक भगवान राम का इंतजार करते-करते हमारे किन्नर समाज के कुछ बुजुर्गों के राम नाम जपते-जपते पूरी शरीर पर दीमक मिट्टी चढ़ गई थी. जब भगवान राम वनवास से वापस अयोध्या आए तो उनका तमसा तट पर सबसे पहले किन्नरों से सामना हुआ. प्रभु ने पूछा कि ये कौन लोग हैं. जाते समय तो ये लोग नहीं थे. उनसे हमारे पूर्वज ने कहा कि, हम किन्नर समाज से हैं. आपके जन्म पर हमने बधाई बजाई थी.'

श्रीराम ने दिया कलियुग में राज करने का आशीर्वाद: पिंकी मिश्रा कहती हैं, 'हमारे पूर्वजों ने भगवान राम से बताया, आपके पिताजी ने हमें स्वर्ग से उतारा है. हमने आपके इंतजार में 14 साल तक वन में कंदमूल फल खाए हैं. भगवान राम ने हमारे पूर्वजों को आशीर्वाद देते हुए कहा कि कलियुग में आपका राज होगा. जिसका भी परिवार बढ़ेगा उसके दरवाजे आप जाएंगे, जिसका घटेगा उसके दरवाजे पर आप नहीं जाएंगे. सोने की हवेली, दौलत, माया जैसी चीजों को देखकर नहीं जाएंगे. अगर किसी वंश बढ़ता है तभी किन्नर उसके यहां जाएगा. सोने की हवेली है, लेकिन वह बिना औलाद के है तो वहां नहीं जाएंगे. हमारे पूर्वजों पूछा कि प्रभु अगर हमारी कोई नहीं सुनेगा तो फिर हम क्या करेंगे. प्रभु ने कहा कि उसके बाद हम तुम्हारी सुनेंगे.'

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