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मरुधरा के रण में दिग्गजों की साख दांव पर, मैदान में दो पूर्व सीएम के बेटे और केंद्रीय मंत्री भी - Rajasthan Lok Sabha Election 2024

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 26, 2024, 6:20 AM IST

Rajasthan Lok Sabha Election 2024, लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के लिए मतदान आज है. दूसरे चरण में 13 लोकसभा सीटों पर होने वाले चुनाव में दो पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे भी मैदान में हैं. वहीं, 2 केंद्रीय मंत्री और लोकसभा अध्यक्ष सहित कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है. इसके अलावा दूसरे चरण में कुछ हाई प्रोफाइल सीटें ऐसी हैं, जहां मुकाबला रोमांचक है. देखिए रिपोर्ट...

RAJASTHAN LOK SABHA ELECTION 2024
RAJASTHAN LOK SABHA ELECTION 2024

जयपुर. राजस्थान में दो चरणों में हो रहे लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में 13 सीटों के लिए आज मतदान है. कांग्रेस हो या फिर भाजपा दोनों ही प्रमुख दलों के केंद्रीय और प्रदेश के नेताओं के दौरों ने चुनावी माहौल की तपिश को और बढ़ा दिया है. इन 13 सीटों पर नेताओं की साख दांव पर है, लेकिन करीब सात सीटें ऐसी हैं जहां पर कांग्रेस और भाजपा के बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर है. इनमें जोधपुर, जालोर-सिरोही, बाड़मेर-जैसलमेर, बांसवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारां लोकसभा सीटें शामिल हैं. इन पर दोनों ही पार्टियों के कद्दावर नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. दूसरे चरण की इन सीटों पर प्रदेश के दो पूर्व सीएम की भी प्रतिष्ठा भी दांव पर है. वहीं, दो केंद्रीय मंत्री और लोकसभा अध्यक्ष सहित कई दिग्गजों की राजनीतिक परीक्षा भी है.

दूसरे चरण की 13 सीट पर वोटिंग : राजस्थान के दूसरे चरण में टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा सीट पर वोटिंग होगी. बीजेपी इन सभी 13 सीटों पर चुनावी मैदान में है, जबकि कांग्रेस 12 सीटों पर लड़ रही है. बांसवाड़ा में BAP (भारतीय ट्राइबल पार्टी) की तरफ से राजकुमार रोत मैदान में हैं. दूसरे चरण में ज्यादातर सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी जंग है, जबकि बाड़मेर में निर्दलीय प्रत्याशी रविंद्र सिंह भाटी ने त्रिकोणीय मुकाबला बना दिया है. चुनाव में दो पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे भी मैदान में हैं. इसमें अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे अपने-अपने बेटों को जिताने के लिए उनकी सीटों पर डेरा जमाए हुए हैं. इसके अलावा दूसरे चरण में तीन केंद्रीय मंत्री जिसमें जोधपुर से गजेंद्र सिंह शेखावत, और बाड़मेर से कैलाश चौधरी की अग्नि परीक्षा है. इतना ही नहीं अपनी पार्टी के पूर्व में विधायक रहे प्रह्लाद गुंजल ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को कड़ी चुनौती दे रखी है.

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इन दिग्गजों की साख दांव पर

झालावाड़-बारां लोकसभा सीट : इस सीट पर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत पर पार्टी ने एक बार फिर से भरोसा जताया है. पांचवीं बार मैदान में बेटे दुष्यंत के लिहाज से यह सीट पूर्व सीएम राजे के लिए मायने रखने वाली है. यहां से राजे खुद पांच बार सांसद रह चुकीं हैं. हालांकि, भाजपा के लिए ये सुरक्षित सीट है. दुष्यंत का मुकाबला गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे प्रमोद जैन भाया की पत्नी उर्मिला जैन भाया से है.

टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा सीट : इस लोकसभा सीट से बीजेपी ने पूर्व सांसद सुखबीर जौनपुरिया पर भरोसा जताते हुए फिर से मैदान में उतरा जबकि कांग्रेस ने विधायक हरीश मीणा को मैदान में उतारा है. इस सीट पर कांग्रेस के कद्दावर नेता सचिन पायलट का दबदबा होने के कारण मीणा को जिताने की जिम्मेदारी उन पर आ गई है. ये सीट पायलट के लिहाज से खास मायने रखती है.

जालोर-सिरोही लोकसभा सीट : इस लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत को मैदान में हैं. इससे ये हॉट सीट बन गई है. गहलोत के गृह जिले जोधपुर से पूर्व में हार चुके बेटे को जिताना गहलोत की प्रतिष्ठा की बात होगी. हालांकि, इस सीट पर भाजपा ने लुम्बाराम चौधरी को मैदान में उतरा है. जालोर सीट कभी कांग्रेस का गढ़ माना जाता था, लेकिन पिछले दो चुनावों से यहां पर देवजी पटेल जीतते आए हैं. इस बार के विधानसभा चुनाव में हार के बाद भाजपा ने देवजी पटेल के स्थान पर लुम्बाराम चौधरी को मैदान में उतार दिया है. मोदी इम्पेक्ट और गहलोत की जादूगरी के बीच ये सीटों हाई प्रोफाइल बनी हुई हैं.

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कोटा-बूंदी लोकसभा सीट : इस सीट से लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला चुनावी मैदान में हैं. बिरला के लिहाज से वैसे तो ये सीट सुरक्षित रही है. पिछले दो बार से बिरला ये चुनाव जीतते आ रहे हैं. पार्टी ने तीसरी बार भी उनको ही टिकट दिया है. इस बार कांग्रेस ने भाजपा के पूर्व विधायक प्रह्लाद गुंजल को मैदान में उतरा तो ये सीट हॉट सीट में तब्दील हो गई. इस सीट पर ओम बिरला की खुद की साख दांव पर लगी हुई है.

जोधपुर लोकसभा सीट : पूर्व सीएम अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर से बीजेपी ने फिर से केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को चुनावी मैदान में उतारा है. गजेन्द्र सिंह शेखावत और पूर्व सीएम गहलोत की राजनीतिक अदावत किसी से छिपी नहीं है. जोधपुर गहलोत का निर्वाचन क्षेत्र भी है, लिहाजा यहां दोनों दिग्गज नेताओं की साख दांव पर है.

बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट : इस सीट से बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी को मैदान में उतारा है. कभी ये सीट कांग्रेस की रही थी, लेकिन पिछले कुछ चुनावों से वहां भाजपा काबिज है. यह सीट इस बार न केवल राजस्थान के लिहाज से हॉट बनी हुई है, बल्कि देश भर की चुनिंदा हाई प्रोफाइल सीटों में से एक है. इसका कारण है कि यहां से निर्दलीय विधायक रविंद्र भाटी लोकसभा में निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. भाटी के नामांकन से लेकर रैलियों तक जिस तरह की भीड़ जुट रही है, उससे कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए टेंशन बन गई है. कांग्रेस ने इस सीट पर उम्मेदाराम बेनीवाल को उम्मीदवार बनाया है. उम्मेदाराम बेनीवाल की भी यहां अच्छी पकड़ है. ऐसे में रविंद्र भाटी ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है. इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी कैलाश चौधरी की प्रतिष्ठा दांव पर है.

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डूंगरपुर-बांसवाड़ा लोकसभा सीट : इस सीट पर दो बार से लगातार भाजपा काबिज हो रही है. इस बार बीजेपी ने यहां वर्तमान सांसद कनक मल कटारा का टिकट काटकर महेंद्रजीत सिंह मालवीय को पार्टी में शामिल कर मैदान में उतारा है. इधर, बीएपी से राजकुमार रोत मैदान में हैं. इस सीट पर कांग्रेस ने बीएपी से गठबंधन किया है, लेकिन रोचक बात ये है कि कांग्रेस ने गठबंधन से पहले जिस प्रत्याशी को उम्मीदवार बना कर सिंबल दिया, उसने नामांकन वापस नहीं लिया. ऐसे में टेक्निकल तौर पर तो यहां बीजेपी, कांग्रेस और बीएपी तीनों दल मैदान में हैं. कांग्रेस का यहां से बीएपी को समर्थन दिया हुआ है. ऐसे में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे अर्जुन सिंह बामनिया की प्रतिष्ठा दांव पर है.

चित्तौड़गढ़ लोकसभा सीट : इस सीट मौजूदा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और सांसद सीपी जोशी की प्रतिष्ठा दांव पर है. चित्तौड़गढ़ लोकसभा सीट पर इस बार सबकी नजरें टिकी हुई हैं. बीजेपी से प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी एक बार फिर से चुनावी मैदान में हैं, वहीं कांग्रेस से उदयलाल आंजना और बहुजन समाज पार्टी से मेघवाल राधेश्याम मैदान में हैं. जोशी के सामने गहलोत सरकार के पूर्व मंत्री उदयलाल आंजना के उतरने से कांटे की लड़ाई बन गई है. विधानसभा चुनाव से ही चंद्रभान सिंह आक्या के साथ उनकी सियासी अदावत चल रही है और आक्या का टिकट कटने के बाद उन्हें विधानसभा चुनाव में निर्दलीय के रूप में जीत मिली थी. इस तरह समीकरणों से जोशी को भितरघात का खतरा बना हुआ है.

राजसमंद लोकसभा सीट : बीजेपी ने इस सीट से मेवाड़ राजपरिवार की सदस्य और भाजपा विधायक विश्वराज सिंह की पत्नी महिमा सिंह को टिकट दिया है. इस सीट की चर्चा इसलिए भी है, क्योंकि पिछली बार इस सीट से उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी मैदान में थीं और अच्छे मार्जिन के साथ चुनाव जीती थीं.

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उदयपुर लोकसभा सीट : ये लोकसभा सीट दो बार से लगातार भाजपा के पास जा रही है, लेकिन इस बार दक्षिणी राजस्थान की उदयपुर लोकसभा सीट पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा. यहां कांग्रेस और भाजपा ने दो पूर्व अधिकारियों को मैदान में उतारा है. भाजपा ने पूर्व परिवहन आयुक्त रहे मन्नालाल रावत को मैदान में उतारा है, तो वहींं कांग्रेस ने उदयपुर में पूर्व कलेक्टर रहे ताराचंद मीणा को टिकट दिया है. वहीं, भारतीय ट्राइबल पार्टी ने प्रकाश चंद्र भुज को उदयपुर लोकसभा सीट से प्रत्याशी घोषित कर इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला बना दिया है.

भीलवाड़ा लोकसभा सीट : इस सीट पर कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी मैदान में हैं. डॉ. जोशी के सामने उतरने से बीजेपी के दामोदर अग्रवाल के लिए चुनौती बढ़ गई है. इस सीट पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी की प्रतिष्ठा दांव पर है.

पाली लोकसभा सीट : इस सीट पर बीजेपी की तरफ से पीपी चौधरी मैदान में हैं तो कांग्रेस से संगीता बेनीवाल चुनावी मैदान में उतरीं हैं. बीजेपी प्रत्याशी पीएम मोदी के नाम और काम के दम पर वोट मांग रहे हैं तो कांग्रेस की संगीता भी स्थानीय मुद्दों को उठा रहीं हैं.

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