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विभाग की ओर से बताए अस्पताल में इलाज नहीं कराने के आधार पर वेतन रोकना उचित नहीं- हाईकोर्ट - Rajasthan High Court

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 23, 2024, 9:04 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए विभाग की ओर से बताए अस्पताल में इलाज नहीं कराने के आधार पर वेतन रोकने को गलत माना है.

RAJASTHAN HIGH COURT,  HOSPITAL RECOMMENDED BY DEPARTMENT
राजस्थान हाईकोर्ट. (Etv Bharat jaipur)

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने रेलवे प्रशासन की ओर से बताए अस्पताल के बजाए दूसरे सरकारी अस्पताल में इलाज कराने के आधार पर आरपीएफ कर्मचारी के वेतन रोकने की कार्रवाई को गलत माना है. इसके साथ ही अदालत ने 24 साल पुराने इस मामले में रेलवे के वेतन रोकने के 4 अक्टूबर, 2000 के आदेश को रद्द कर दिया है. अदालत ने कहा है कि याचिकाकर्ता को 6 फरवरी, 2000 से 27 फरवरी, 2000 और 14 मार्च, 2000 से 4 सितंबर, 2000 की अवधि का वेतन जारी किया जाए. जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश मुकेश खरेरा की याचिका को स्वीकार करते हुए दिए.

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने सरकारी अस्पताल में अपना इलाज कराया है और रिकॉर्ड से स्पष्ट है कि वह इस अवधि में अनफिट था. इसके अलावा उसे तत्काल उपचार की जरूरत थी. ऐसे में उसे इलाज के लिए मुंबई तक की यात्रा करना कष्टदायक होता, ऐसे में उसका कोटा के अस्पताल में ही इलाज कराने का निर्णय सद्भाविक था. याचिका में अधिवक्ता अरिहंत समदडिया ने बताया कि आरपीएफ में कांस्टेबल पद पर तैनात याचिकाकर्ता की 31 दिसंबर, 1999 को बॉम्बे-जम्मू तवी एक्सप्रेस में ड्यूटी के दौरान दुर्घटना हो गई थी.

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रेलवे अस्पताल में इलाज के दौरान उसे गंभीर प्रकृति की चोट बताई गई और उसे मुंबई के जगजीवन राम अस्पताल में इलाज के लिए कहा गया. याचिकाकर्ता ने वहां इलाज ना करवाकर कोटा के एमबीएस अस्पताल में इलाज कराया. इसके चलते रेलवे प्रशासन ने उसका नाम बीमार कर्मचारियों की सूची से हटा दिया और उसे अनुपस्थित बताकर इस अवधि का वेतन रोक लिया. रेलवे प्रशासन की ओर से की गई इस कार्रवाई को याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में चुनौती दी. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को इस अवधि का वेतन देने को कहा है.

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