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राजस्थान हाईकोर्ट ने मंडोर पहाड़ियों में वन भूमि पर अतिक्रमण को लेकर मांगा हलफनामा

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 6, 2024, 9:12 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट में मंडोर क्षेत्र की पहाड़ियों में वन विभाग की भूमि पर किए जा रहे अतिक्रमण को लेकर सुनवाई हुई. कोर्ट ने 8 अप्रेल को अगली सुनवाई पर प्रभारी अधिकारी को विस्तृत रिपोर्ट हलफनामे के जरिए पेश करने के निर्देश दिए हैं.

Rajasthan High Court
Rajasthan High Court

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट की ओर से मंडोर क्षेत्र की पहाड़ियों में वन विभाग की भूमि पर किए जा रहे अतिक्रमण को लेकर दिए गए आदेश की पालना में हलफनामा पेश करने के निर्देश दिए हैं. न्यायाधीश डॉ. पुष्पेन्द्रसिंह भाटी और न्यायाधीश मुन्नुरी लक्ष्मण की खंडपीठ में हरियाली और प्राकृतिक पर्यावरण विकास संस्थान की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई.

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित ने कहा कि पिछले आदेश की अभी तक पालना नहीं की गई है. कोर्ट में राज्य सरकार की ओर से मौजूद अतिरिक्त महाधिवक्ता प्रवीण खंडेलवाल ने 2 नवम्बर 2023 की पालना के लिए समय मांगा. इस पर कोर्ट ने कहा कि पिछले आदेश में कहा गया था कि मंडोर क्षेत्र की पहाड़ियों पर अतिक्रमण को चिह्नित कर रिपोर्ट पेश करें, लेकिन अभी तक रिपोर्ट पेश नहीं हुई है. कोर्ट ने 8 अप्रेल को अगली सुनवाई पर प्रभारी अधिकारी को विस्तृत रिपोर्ट हलफनामे के जरिए पेश करने के निर्देश दिए हैं.

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गौरतलब है कि जोधपुर विकास प्राधिकरण की ओर से मंडोर स्थित वन भूमि पर धार्मिक इमारत के निर्माण के लिए टेंडर जारी किया था. कोर्ट में याचिका पेश होने पर जोधपुर विकास प्राधिकरण ने टेंडर को निरस्त करने की प्रति पेश करते हुए बताया कि अभी किसी तरह का निर्माण नहीं किया जाएगा. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता राजपुरोहित ने कहा था कि जोधपुर के मंडोर के पास वन भूमि है जो कि आरक्षित है. दरगाह के अलावा भी वन भूमि पर बहुत अतिक्रमण है, जबकि राजस्थान में वन भूमि कानून 1953 से लागू है तब से अब तक जितने भी अतिक्रमण हुए हैं, उनको हटाया जाए. साथ ही वन भूमि को यथावत रखा जाए. वन विभाग की ओर से पेश जवाब में कहा गया था कि एक अन्य जनहित याचिका के दौरान वन विभाग ने अतिक्रमण को चिह्नित किया है, जिसमें 676 अतिक्रमण हैं. ये वन विभाग की भूमि पर 631 हैं, जिस पर कोर्ट ने विस्तृत आदेश जारी करते हुए पूरे क्षेत्र के अतिक्रमण चिह्नित करते हुए रिपोर्ट मांगी थी.

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