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लोकसभा चुनाव में प्राइवेट वाहन स्वामी वाहन देने से कर रहे इंकार, परिवहन विभाग ने दी चेतावनी - Lok Sabha election

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 5, 2024, 7:00 PM IST

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देशभर में 19 अप्रैल से लोकसभा चुनाव (LOK SABHA ELECTION) शुरू हो रहा है. इस बीच लखनऊ आरटीओ कार्यालय की तरफ से प्राइवेट वाहन स्वामियों को 17 मई तक हरहाल में 8000 प्राइवेट वाहन उपलब्ध कराने के आदेश दिए हैं. लेकिन वाहन स्वामी वाहन उपलब्ध कराने से इनकार कर रहे हैं.

लखनऊ: देश में 19 अप्रैल से लोकसभा चुनाव 2024 (LOK SABHA ELECTION) के पहले चरण का वोटिंग होगा. इस बीच लखनऊ जिलाधिकारी की तरफ से परिवहन विभाग को प्राइवेट वाहनों की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं. अब लखनऊ आरटीओ की तरफ से शहर के 8000 वाहन स्वामियों को नोटिस भेजा जा रहा है.

नोटिस में दिया गया चेतावनी

नोटिस में साफ तौर पर कहा गया है कि 17 मई को दोपहर एक बजे तक अपने वाहनों के सभी वैध प्रपत्रों के साथ वाहन स्वामी उपस्थित हों. साथ ही चेतावनी भी दी गई है कि चुनाव में वाहन न देने वाले वाहन स्वामियों पर मुकदमा दर्ज किया जाएगा. बड़े वाहन स्वामी स्मृति उपवन और छोटे वाहन स्वामी पुलिस लाइन में अपने वाहन के साथ हरहाल में 17 मई को उपस्थित हों. बता दें कि लखनऊ समेत आसपास के क्षेत्र में 20 मई को चुनाव संपन्न होना है.

अब आरटीओ कार्यालय की तरफ से नोटिस मिलने पर प्राइवेट वाहन स्वामियों का कहना है कि पिछले विधानसभा चुनाव में भी वाहन ले लिए गए थे, लेकिन अभी तक उनका पैसा नहीं दिया गया है. ऐसे में वाहन भेजने में भी काफी समस्याएं हैं. वहीं इसपर परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि किसी भी कीमत पर वाहन देना ही होगा नहीं तो, एफआईआर दर्ज होगी. अब वाहन स्वामी की मजबूरी है, वाहन दें नहीं तो मुकदमा झेलें.

'पिछले चुनाव का पैसा नहीं मिला'
प्राइवेट वाहन स्वामियों का कहना है कि 2200 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से चुनाव के दौरान वाहन भेजने पर दो दिन का भुगतान किए जाने का नियम है, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में वाहन भेजने के बाद अभी तक पैसा नहीं मिल पाया है. ऐसे में चुनाव में वाहन भेजकर अपना ही पैसा खर्च करना पड़ता है, जिससे काफी घाटा हो जाता है. वहीं, प्रदेश के बस ओनर्स एसोसिएशन के महामंत्री राकेश बाजपेई का कहना है कि नियम तो यह भी है कि उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में अनुबंध पर लगी, बस सेवाओं को परिवहन विभाग नहीं ले सकता है, क्योंकि यह अनिवार्य सेवा में आती हैं. बावजूद इसके अभी से आरटीओ की तरफ से मोटर मालिकों को नोटिस मिलने लगी है कि हरहाल में बस उपलब्ध कराएं नहीं तो मुकदमा दर्ज करेंगे. अब जब नियम है कि जिन बसों का कॉन्ट्रैक्ट यूपीएसआरटीसी के पास है, उन्हें न लिया जाए फिर भी यह जबरदस्ती की जा रही है.

एआरटीओ (प्रशासन) अखिलेश द्विवेदी का कहना है कि जब भी चुनाव होते हैं तो, पोलिंग पार्टियों को मतदान स्थल तक पहुंचाने के लिए प्राइवेट वाहनों की आवश्यकता होती है. जिलाधिकारी की तरफ से वाहनों को किराए पर लिए जाने का आदेश है. ऐसे में वाहन स्वामियों को हरहाल में वाहन उपलब्ध ही करना होगा.

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