देहरादून: लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. भारत निर्वाचन आयोग की ओर से जारी चुनावी तिथियों के अनुसार, उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों पर 19 अप्रैल को मतदान होगा. शांतिपूर्ण और व्यवस्थित ढंग से चुनाव संपन्न कराए जाने को लेकर मुख्य निर्वाचन कार्यालय की ओर से व्यवस्थाओं को मुकम्मल किया जा रहा है.
चुनाव ड्यूटी के लिए 13,039 वाहनों की डिमांड: चुनाव के दौरान चुनाव ड्यूटी में लगे अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए 13,039 वाहनों की व्यवस्था करने के लिए निर्वाचन आयोग ने परिवहन निगम को अपनी डिमांड भेजी थी. इस डिमांड के बाद जिलावार वाहनों के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो गई है. इससे आम जनता को परिवहन के लिए समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. आखिर क्या है इसके पीछे की वजह, आम जनता को क्यों होगी परेशानी? देखिए इस रिपोर्ट में.
निर्वाचन आयोग को 12,395 वाहनों की जरूरत: लोकसभा चुनाव के दौरान निर्वाचन आयोग की ओर से हजारों की संख्या में अधिकारियों और कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाती है. ऐसे में इन अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए बड़ी संख्या में वाहनों की आवश्यकता होती है. इसके चलते चुनाव के दौरान निर्वाचन आयोग की ओर से परिवहन निगम से वाहनों को उपलब्ध कराने के लिए डिमांड भेजी जाती है. इसी क्रम में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर निर्वाचन आयोग ने परिवहन निगम से 13,039 वाहनों की व्यवस्था करने को कहा है. दरअसल, लोकसभा चुनाव को कराने में निर्वाचन आयोग को 12,395 वाहनों की जरूरत है. जिसके सापेक्ष आयोग ने परिवहन निगम से 13,039 वाहनों की मांग की है. बढ़ी हुई मांग इसलिए की गई है कि कहीं इमरजेंसी में वाहन की जरूरत हो तो दिक्कत न हो.
14 अप्रैल से शुरू हो रहा शादियों का सीजन: निर्वाचन आयोग के निर्देश के बाद परिवहन निगम ने वाहनों के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इसी बीच अब तमाम वाहन संचालक समेत आम जनता संबंधित जिला अधिकारियों को पत्र भेजकर वाहनों का अधिग्रहण न करने की बात कह रही है. दरअसल, 14 अप्रैल से शादियों का सीजन शुरू हो रहा है. जिसके लिए लोगों ने पहले से ही बुकिंग कराई हुई है. ऐसे में अब बुकिंग कराई गाड़ियों का जब परिवहन विभाग अधिग्रहण कर रहा है तो लोग इस बाबत पत्र जिलाधिकारी को दे रहे हैं कि उनके वाहनों की पहले ही शादियों में बुकिंग हो चुकी है, लिहाजा उनके वाहनों का अधिग्रहण न किया जाए.
प्रदेश में वाहनों की किल्लत होने की आशंका: इसके अलावा प्रदेश के पर्वतीय मार्गों पर अधिकांश मिनी बस या फिर टैक्सी/ मैक्सी ही यात्रियों के आवागमन के लिए एक बड़ा साधन हैं. ऐसे में अगर अधिकतर वाहनों का अधिग्रहण कर लिया जाएगा, तो आम जनता को भी समस्याओं से दो-चार होना पड़ेगा. प्रदेश की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते पर्वतीय क्षेत्रों पर बड़े वाहन के बजाय लोग छोटे वाहनों से आवागमन करना ज्यादा पसंद करते हैं. साथ ही बड़े वाहनों को संकरी सड़कों में चलाना भी संभव नहीं हो पता है. जिसके चलते पर्वतीय क्षेत्रों पर अधिकतर टैक्सी और मैक्सी वाहनों का संचालन होता है. ऐसे में जिला प्रशासन की ओर से अगर वाहनों का अधिग्रहण कर लिया जाता है तो यात्रियों के आवागमन के लिए पर्याप्त वाहन उपलब्ध नहीं होंगे.
निर्वाचन आयोग के सामने मुश्किल: प्रदेश के तमाम जिलों से निर्वाचन आयोग के पास आ रहे वाहनों के अधिग्रहण संबंधी पत्रों पर अब निर्वाचन आयोग भी बीच का रास्ता निकालने की कवायद में जुट गया है. इसके लिए निर्वाचन आयोग ने परिवहन निगम और सभी जिलों के जिलाधिकारी को इस बाबत निर्देश दिए हैं कि जितनी भी समस्याएं प्राप्त हो रही हैं, उन समस्याओं का निस्तारण 5 अप्रैल तक कर दिया जाए. साथ ही इस बात पर भी फोकस किया गया है कि जिन रूटों पर अत्यधिक यात्री आवागम करते हैं, उन रूटों से ज्यादा वाहनों का अधिग्रहण ना किया जाए. इसके अलावा निर्वाचन आयोग ने जो एक्स्ट्रा वाहनों की डिमांड भेजी थी, अगर जरूरत पड़े तो उन वाहनों को लोगों की शादियों के लिए छोड़ दिया जाए.
वाहनों का अधिग्रहण हुआ शुरू: परिवहन निगम से मिली जानकारी के अनुसार, लोकसभा चुनाव को संपन्न कराने के लिए चुनाव आयोग को 12,395 वाहनों की जरूरत है. जिसके सापेक्ष आयोग ने परिवहन निगम से 13,039 वाहनों की डिमांड की है. आयोग को 1044 सरकारी गाड़ियां, 3653 बस/मिनी बस, 537 माल गाड़ी और 7161 टैक्सी/मैक्सी की जरूरत है. जिसके सापेक्ष मुख्य निर्वाचन कार्यालय ने 930 सरकारी गाड़ी, 3598 बस/मिनी बस, 519 माल गाड़ी और 7992 टैक्सी/मैक्सी वाहनों की मांग की है. साथ ही इन वाहनों के लिए 13,039 चालक और 630 परिचालकों की भी मांग की गई है. निर्वाचन आयोग की इस डिमांड के बाद से ही जिला अधिकारी की ओर से आरटीओ को निर्देश दिए गए. इसके बाद आरटीओ की ओर से वाहनों का अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू कर दिया गया है.
अब तक अधिग्रहित हुए इतने वाहन: चुनावी प्रक्रिया के लिए निर्वाचन आयोग की ओर से भेजी गई डिमांड के तहत 24 मार्च तक 3,494 वाहनों का अधिग्रहण करते हुए चुनावी ड्यूटी में लगा दिया गया है. इन वाहनों में 826 सरकारी गाड़ियां, 99 बस/मिनी बस, 156 माल गाड़ी और 2,413 टैक्सी/मैक्सी वाहन शामिल हैं. चुनाव की तिथियों का ऐलान होने के बाद ही निर्वाचन आयोग की प्रक्रिया शुरू हो गई थी. साथ ही शांतिपूर्ण और व्यवस्थित ढंग से चुनाव संपन्न कराए जाने को लेकर गठित की गई टीमों की डेप्लॉयमेंट प्रक्रिया भी शुरू हो गया थी. जिसमें मुख्य रूप से फ्लाइंग स्क्वॉयड की टीम के साथ ही अन्य टीमें धरातल पर काम करना शुरू कर चुकी हैं.
अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने ये कहा: अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान तमाम श्रेणी के वाहनों की जरूरत पड़ती है. इसमें छोटी गाड़ी, बस के साथ ही माल गाड़ी शामिल हैं. ऐसे में परिवहन निगम को वाहन उपलब्ध कराने की मांग भेजी गई. जिस दिन मतदान है, उसके आसपास शुभ मुहूर्त भी हैं, जिसमे शादी-विवाह के साथ ही अन्य कार्यक्रम होने की संभावना है. इसकी जानकारी निर्वाचन आयोग को भी मिल रही है. जिसके चलते परिवहन निगम से समन्वय बनाते हुए ये कोशिश की जा रही है जितनी वाहनों की जरूरत है, उतनी संख्या में ही वाहनों का अधिग्रहण किया जाएगा. साथ ही बाकी वाहनों को शादी-विवाह के लिए उपलब्ध रखने के निर्देश दिए गए हैं. जिसकी कार्ययोजना भी तैयार की जा रही है. साथ ही कहा कि जिलों में कई बार अतिरिक्त वाहन अधिग्रहित कर रिजर्व में रखे जाते हैं. लिहाजा, शादी विवाह में जरूरत पड़ने पर इन वाहनों को उपलब्ध कराया जाएगा.
जिलावार वाहनों की डिमांड-
- निर्वाचन आयोग ने देहरादून जिले से 1,829 वाहन मांगे हैं. इसके सापेक्ष अभी तक 534 वाहन उपलब्ध कराए गए हैं
- हरिद्वार जिले से 1,472 वाहन मांगे हैं. इसके सापेक्ष अभी तक 348 वाहन उपलब्ध कराए गए हैं
- टिहरी जिले से 1,034 वाहन मांगे गए हैं. इसके सापेक्ष अभी तक 334 वाहन उपलब्ध हुए हैं
- उत्तरकाशी जिले से 709 वाहन मांगे हैं. इसके सापेक्ष अभी तक 205 वाहन उपलब्ध कराए गए हैं
- चमोली जिले से 968 वाहन मांगे हैं. इसके सापेक्ष अभी तक 364 वाहन उपलब्ध कराए गए हैं
- रुद्रप्रयाग जिले से 524 वाहन मांगे हैं. इसके सापेक्ष अभी तक 100 वाहन उपलब्ध कराए गए हैं
- पौड़ी जिले से 968 वाहन मांगे हैं. इसके सापेक्ष अभी तक 332 वाहन उपलब्ध कराए गए हैं
- नैनीताल जिले से 1,507 वाहन मांगे हैं. इसके सापेक्ष अभी तक 400 वाहन उपलब्ध कराए गए हैं
- उधमसिंह नगर जिले से 1,055 वाहन मांगे हैं. इसके सापेक्ष अभी तक 414 वाहन उपलब्ध कराए गए हैं
- चंपावत जिले से 465 वाहन मांगे हैं. इसके सापेक्ष अभी तक 143 वाहन उपलब्ध कराए गए हैं
- अल्मोड़ा जिले से 993 वाहन मांगे हैं. इसके सापेक्ष अभी तक 304 वाहन उपलब्ध कराए गए हैं
- बागेश्वर जिले से 676 वाहन मांगे हैं. इसके सापेक्ष अभी तक 185 वाहन उपलब्ध कराए गए हैं
- पिथौरागढ़ जिले से 839 वाहन मांगे हैं. इसके सापेक्ष अभी तक 197 वाहन उपलब्ध कराए गए हैं
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