ETV Bharat / state

दिल्ली की राजनीति में दशकों तक सुर्खियों में रहने वाले ये इस बार लोकसभा चुनाव से हैं दूर, जानें इनके बारे में - LOK SABHA ELECTION 2024

author img

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Apr 12, 2024, 5:44 PM IST

Lok Sabha elections 2024: लोकसभा चुनाव के लिए लगभग सभी पार्टियां चुनाव प्रचार में जुट गई हैं, ताकि वे ज्यादा से ज्यादा वोटरों को लुभा सकें. वहीं, दिल्ली की राजनीति में दशकों से सुर्खियों में रहने वाले कुछ नेता इस बार सक्रिय नहीं नजर आ रहे. कौन हैं ये नेता पढ़िए, ईटीवी भारत की इस रिपोर्ट में...

Lok Sabha elections 2024
Lok Sabha elections 2024

नई दिल्ली: देश में लोकसभा चुनाव 2024 की सरगर्मियां तेज हैं. वहीं, दिल्ली में पांचवें चरण में चुनाव होने के चलते राजनीति गतिविधियां धीमी गति से चल रही हैं. जहां एक तरफ भाजपा सातों सीटों पर प्रत्याशी घोषित करके अब संगठनात्मक बैठकों के जरिए अपने कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को चुनाव के लिए तैयार कर रही है, वहीं आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने इस बार गठबंधन किया है. इसमें आप चार और कांग्रेस तीन सीटों पर चुनाव लड़ रही है. 'आप' ने अपने हिस्से की चारों सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं, लेकिन कांग्रेस ने अभी अपनी तीन सीटों पर प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं.

हालांकि इस बार दिल्ली के चुनाव में एक बात और देखने को मिल रही है, वह है भाजपा और कांग्रेस जैसी पुरानी औऱ बड़ी पार्टियों के पुराने बड़े नेताओं की लोकसभा चुनाव में निष्क्रियता. ये वे नेता हैं जो दशकों तक दिल्ली की राजनीति में सुर्खियों में रहे और इन्होंने बढ़ चढ़कर चुनाव में भाग लिया. इनकी सक्रियता पार्टी के लिए काम करने में और चुनाव जीतने की रणनीति बनाने में कभी कम नहीं रही और ये हमेशा आगे दिखे. लेकिन इस बार इनकी सक्रियता चुनाव में नगण्य है. ईटीवी भारत आपको न सिर्फ इन नेताओं से रूबरू कराएगा, बल्कि यह भी बताएगा कि वे अब कहां हैं और क्या कर रहे हैं.

क्रमश: प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा, विजय गोयल और डॉ. हर्षवर्धन
क्रमश: प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा, विजय गोयल और डॉ. हर्षवर्धन

प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा: भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा दक्षिणी दिल्ली लोकसभा से दो बार सांसद रहे. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को भी चुनाव में हराया. वहीं 14वीं लोकसभा में भाजपा संसदीय दल के उपनेता रहे और 2008 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इनका नाम बतौर सीएम चेहरा भी घोषित किया. दिल्ली के हर चुनाव में सक्रिय रहने के बाद करीब 90 साल की उम्र में पैरालाइज्ड होने के चलते इस बार वे चुनाव से दूर हैं और घर पर स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं.

विजय गोयल: दिल्ली विधानसभा के पहले अध्यक्ष रहे भाजपा नेता चरती लाल गोयल के पुत्र विजय गोयल, दिल्ली भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहने के अलावा दो बार चांदनी चौक लोकसभा सीट से सांसद भी रहे. राज्यसभा सांसद रहते हुए वे पिछली मोदी सरकार में मंत्री रहे. इसके अलावा वह अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं और वर्तमान में गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति के उपाध्यक्ष हैं. इस समिति के अध्यक्ष खुद प्रधानमंत्री होते हैं. विजय गोयल, केजरीवाल सरकार के खिलाफ दिल्ली के लोगों के मुद्दों को लेकर आंदोलन करते रहते हैं. उन्हें दिल्ली की राजनीति में काफी सक्रिय देखा गया. कुछ दिन पहले चांदनी चौक लोकसभा सीट से टिकट के लिए भी उनका नाम सामने आ रहा था, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला. इस बार वे चुनाव में भाजपा की बैठकों और चुनावी गतिविधियों से दूर नजर आ रहे हैं.

डॉ. हर्षवर्धन: वे दिल्ली भाजपा के बड़े नेताओं में गिने जाते हैं. इतना ही नहीं, वे दो बार दिल्ली भाजपा अध्यक्ष और पिछले दो चुनाव में चांदनी चौक से सांसद भी रह चुके हैं. इसके अलावा वे दो बार केंद्रीय मंत्री और पांच बार कृष्णा नगर से विधायक भी रहे. वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए भाजपा ने इन्हें सीएम फेस घोषित किया था. इस चुनाव में भाजपा ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 32 सीटों पर जीत दर्ज की थी, हालांकि बहुमत से महज चार सीट कम रहने की वजह से वह मुख्यमंत्री बनने से रह गए थे. वहीं इस बार चांदनी चौक से उन्हें टिकट न दिए जाने के बाद से उनकी सक्रीयता नहीं देखी जा रही.

क्रमश: डॉ. योगानंद शास्त्री, जय प्रकाश अग्रवाल और अजय माकन
क्रमश: डॉ. योगानंद शास्त्री, जय प्रकाश अग्रवाल और अजय माकन

डॉ. योगानंद शास्त्री: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. योगानंद शास्त्री, दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष से लेकर शीला दीक्षित सरकार में कई बार कैबिनेट मंत्री रहे. वह हर चुनाव में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते रहे हैं. वहीं दिल्ली में कांग्रेस के कमजोर होने के बाद वह, दो साल पहले एनसीपी में चले गए. एनसीपी ने उन्हें दिल्ली का प्रदेश अध्यक्ष बनाया. अब एनसीपी के विघटन के बाद, वह एनसीपी शरदचंद्र पवार गुट में हैं. हालांकि, दिल्ली में उनकी सक्रियता बिल्कुल दिखाई नहीं दे रही है. दशकों बाद ऐसा हुआ है कि दिल्ली के चुनाव में वह सक्रिय नहीं हैं. सक्रियता को लेकर उनकी एक उम्र भी कारण हो सकती है, क्योंकि वह करीब 80 वर्ष के है.

जय प्रकाश अग्रवाल: वे कांग्रेस के पुराने नेता हैं. जय प्रकाश अग्रवाल चांदनी चौक से चार बार और उत्तर पूर्वी दिल्ली से एक बार सांसद रहे हैं. इसके अलावा वे कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं. मौजूदा समय में मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी की भूमिका निभा रहे हैं और उनको चांदनी चौक सीट से टिकट का दावेदार माना जा रहा है. हालांकि अभी तक उनकी सक्रियता नहीं दिखाई दे रही है. वह कई दशकों से दिल्ली की राजनीति में रहे हैं और टिकट वितरण से लेकर पार्टी की अन्य गतिविधियों में उनकी भूमिका रहती है. फिलहाल वे लोकसभा चुनाव से दूर दिखाई दे रहे हैं.

अजय माकन: अजय माकन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ललित माकन के बेटे हैं. वे नई दिल्ली लोकसभा सीट से सांसद रहने के साथ केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे हैं. इसके अलावा वह दिल्ली कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं. वर्तमान में वह राज्यसभा सांसद एवं राजस्थान प्रभारी हैं. हालांकि इस बार वे लोकसभा चुनाव से पूरी तरह दूर नजर आ रहे हैं. अजय माकन की दिल्ली के हर चुनाव में दशकों तक सक्रियता रही है. हर चुनाव में वह पार्टी के टिकट वितरण और चुनाव प्रचार की रणनीति बनाने में शामिल रहे हैं.

क्रमश: सुभाष चोपड़ा और कृष्णा तीरथ
क्रमश: सुभाष चोपड़ा और कृष्णा तीरथ

सुभाष चोपड़ा: दिल्ली कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहने के साथ ही वे कालकाजी विधानसभा से विधायक रहे हैं. प्रदेश कांग्रेस की बैठकों से लेकर हर चुनाव में सक्रिय नजर आते थे. इस बार के चुनाव में अभी तक उनकी कोई सक्रियता नहीं देखी जा रही है. हर चुनाव और पार्टी की हर बैठक में उनकी सक्रियता देखने को मिलती थी. इस बार अभी तक वह लोकसभा चुनाव गतिविधियों से दूर हैं.

कृष्णा तीरथ: उत्तर पश्चिमी लोकसभा सीट से कांग्रेस से दो बार सांसद व केंद्र सरकार में मंत्री रहीं वरिष्ठ नेता कृष्णा तीरथ भी इस बार के लोकसभा चुनाव में दिल्ली की राजनीति में सक्रिय नहीं दिखाई दे रही हैं. वह कांग्रेस से कई बार विधायक रही हैं. तीरथ दिल्ली कांग्रेस की बड़ी महिला दलित नेता रही हैं. पिछला चुनाव वह कांग्रेस के टिकट पर हार गई थीं. इस बार गठबंधन में भी यह सीट कांग्रेस के पास है. लेकिन, कृष्णा तीरथ को टिकट मिलने की उम्मीद नहीं है और शायद इसलिए वह इस लोकसभा चुनाव से दूर दिखाई दे रही हैं. वह शीला दीक्षित की सरकार में मंत्री रहने से लेकर दिल्ली विधानसभा में उपाध्यक्ष व संगठन में भी हमेशा सक्रिय रही हैं.

यह भी पढ़ें-'केजरीवाल नहीं चाहते कि AAP से कोई दूसरा CM बने'... भाजपा का आतिशी के बयान पर पलटवार

वरिष्ठ पत्रकार ने कही ये बात: वरिष्ठ पत्रकार मनोज मिश्रा का कहना है कि ये बात सही है कि ये नेता दशकों तक दिल्ली की राजनीति में सक्रिय रहे और खूब सुर्खियों में रहे. लेकिन, एक समय के बाद हर जगह बदलाव होना निश्चित है. वह बदलाव भाजपा और कांग्रेस दोनों में हुआ है. कुछ नेताओं को पार्टी ने साइड कर दिया तो कुछ ने टिकट न मिलने के कारण किनारा कर लिया. इसके अलावा कुछ की स्वास्थ्य और उम्र संबंधी मजबूरियां हैं. कांग्रेस के लंबे समय तक सत्ता से दूर रहने के चलते अब कार्यकर्ताओं की कमी हो गई है. नेता सिर्फ टिकट मिलने पर ही सक्रियता दिखाना चाहते हैं, इसलिए अभी तक चुनाव से दूर हैं. टिकट मिलेगा तो वे सक्रिय दिखाई देंगे. लेकिन सभी को टिकट मिल जाए ये भी संभव नहीं हैं. इसलिए कुछ नेताओं का टिकट वितरण के बाद भी दूर रहना तय है.

यह भी पढ़ें-सोमनाथ भारती ने जेल का जवाब वोट से कैंपेन के साथ किया चुनाव प्रचार, कहा- मुख्यमंत्री को गलत फंसाया गया

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.