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दुमका से बीजेपी की टिकट पर सीता लड़ेंगी लोकसभा चुनाव, तीन बार बन चुकी हैं विधायक, जानिए कैसा रहा है इनका राजनीतिक सफर - Dumka Lok Sabha Seat

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Mar 25, 2024, 9:56 AM IST

BJP candidate Sita Soren
BJP candidate Sita Soren

BJP candidate Sita Soren. दुमका लोकसभा सीट से बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बदल दिया है. सुनील सोरेन को अपना प्रत्याशी घोषित करने के बाद अब सीता सोरेन को प्रत्याशी बनाया गया है. सीता सोरेन जामा विधानसभा से झामुमो के टिकट पर जीत की हैट्रिक लगा चुकी हैं. जानिए कैसा रहा है अबतक का उनका राजनीतिक सफर.....

दुमका : बीजेपी में शामिल होने के बाद सीता सोरेन राज्य की राजनीति से केंद्र की राजनीति में आ गयी हैं. इससे पहले शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता लगातार तीन बार दुमका के जामा विधानसभा से जीतकर विधायक बन चुकी हैं. वर्तमान में भी वह विधायक थी लेकिन बीजेपी में शामिल होने के बाद उन्होंने विधायक पद से भी इस्तीफा दे दिया.

सुनील सोरेन की जगह सीता बनीं बीजेपी उम्मीदवार

2024 लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद भारतीय जनता पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की जो पहली सूची जारी की थी, उसमें उसने दुमका सीट से अपने निवर्तमान सांसद सुनील सोरेन का टिकट पक्का कर दिया था. 2019 के चुनाव में सुनील सोरेन ने जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन को हराकर जीत हासिल की थी. टिकट मिलते ही उन्होंने अपने स्तर पर प्रचार शुरू कर दिया, लेकिन इसी बीच राजनीतिक परिस्थितियां बदल गईं.

शिबू सोरेन की बड़ी बहू और दिवंगत दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन दिल्ली जाकर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गईं. उनके साथ उनकी दोनों बेटियां जयश्री और राजश्री भी बीजेपी में शामिल हुईं. उसी दिन यह लगभग तय हो गया था कि सीता सोरेन या उनकी बेटी जयश्री बीजेपी के टिकट पर दुमका लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगी.

रविवार देर शाम जब पूरे देश में होलिका दहन मनाया जा रहा था, भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने सीता सोरेन को दुमका से उम्मीदवार बनाकर सुनील सोरेन के 2024 में दोबारा सांसद बनने के सपने को चकनाचूर कर दिया.

2009 में जामा से पहली बार बनीं विधायक

आपको बता दें कि शिबू सोरेन ने 2009 में पहली बार अपनी बड़ी बहू सीता सोरेन को दुमका के जामा विधानसभा से टिकट दिया था. इस चुनाव में वह बीजेपी उम्मीदवार मनोज सिंह पहाड़िया को हराकर पहली बार विधायक बनीं. हालांकि, उनके पति दुर्गा सोरेन भी जामा विधानसभा का नेतृत्व कर चुके हैं. उन्होंने 1995 और 2000 में यहां से चुनाव जीता. 2005 में जामा सीट जेएमएम से बीजेपी के खाते में चली गई. बीजेपी के सुनील सोरेन ने जेएमएम के दुर्गा सोरेन को हराकर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी थी.

2009 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद सीता सोरेन ने जामा विधानसभा की कमान संभाली और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा. 2014 के विधानसभा चुनाव में वह एक बार फिर जेएमएम से जामा की उम्मीदवार बनीं और कड़े मुकाबले में उन्होंने बीजेपी के सुरेश मुर्मू को करीब ढाई हजार वोटों से हराया. 2019 के विधानसभा चुनाव में सुरेश मुर्मू एक बार फिर सीता सोरेन के खिलाफ मैदान में थे. उस चुनाव में सीता सोरेन ने करीब तीन हजार वोटों से जीत हासिल कर सफलता की हैट्रिक लगाई थी.

हेमंत कैबिनेट में जगह चाहती थीं सीता सोरेन

2019 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को पूर्ण बहुमत मिला और हेमंत सोरेन झारखंड के मुख्यमंत्री बने. लगातार तीन बार विधायक बनीं सीता सोरेन भी इस कैबिनेट में अपनी जगह बनाना चाहती थीं, लेकिन ऐसा नहीं हो सका. वहीं साल 2024 में जब ईडी ने हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया तो संभावना जताई गई कि उनकी पत्नी कल्पना सोरेन राज्य की मुख्यमंत्री बन सकती हैं, तब सीता सोरेन खुलकर विरोध में आ गईं और कल्पना के सीएम बनने का विरोध किया.

इधर चंपई सोरेन को झारखंड का मुख्यमंत्री बनाया गया. उस वक्त सीता सोरेन ने मंत्री बनने की पूरी कोशिश की थी. ऐसा लग रहा था कि शायद इस बार उनके सपने पूरे हो जाएंगे, लेकिन जब चंपई सोरेन ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया तो सीता की जगह उनके छोटे देवर बसंत सोरेन को कई विभाग देकर मंत्री बनाया गया. वहीं सीता एक बार फिर हाशिये पर नजर आईं.

लगातार उपेक्षा से सीता सोरेन थीं परेशान

चंपई सोरेन कैबिनेट में जगह नहीं मिलने से सोरेन परिवार की बहू सीता सोरेन नाराज हैं. उन्होंने अपने बयानों में यह भी कहा कि न तो मेरे परिवार वालों को मेरी चिंता है और न ही मेरी बेटियों की. वह भी चाहती थीं कि उनकी बेटी भी राजनीति के मैदान में उतरे, लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा के रवैये को देखकर उन्हें समझ आ गया कि अब न तो उन्हें और न ही उनकी बेटियों को यहां कुछ मिलेगा. आखिरकार वह बीजेपी में शामिल हो गईं.

हेमंत सोरेन से हो सकता है मुकाबला

अब बीजेपी ने सीता सोरेन को दुमका से उम्मीदवार बनाया है. इधर, सोरेन परिवार दुमका को अपनी पारंपरिक सीट मानता है क्योंकि शिबू सोरेन यहां से आठ बार सांसद रह चुके हैं. उनकी पत्नी रूपी सोरेन भी दुमका लोकसभा प्रत्याशी रह चुकी हैं. ऐसे में पूरी संभावना है कि सोरेन परिवार का ही कोई सदस्य दुमका से झामुमो का उम्मीदवार होगा. हालात ऐसे हैं कि झारखंड में बसंत सोरेन मंत्री बन गये हैं, जबकि जेल में बंद हेमंत सोरेन पर सबकी निगाहें हैं. ऐसी संभावना है कि हेमंत सोरेन जेल से ही दुमका सीट से चुनाव लड़ेंगे.

अगर ऐसा हुआ तो मुकाबला बेहद दिलचस्प होगा. चुनाव मैदान में देवर-भाभी भिड़ते दिखेंगे. इसमें किसकी जीत होगी इसका अंदाजा लगाना बड़े-बड़े राजनीतिक पंडितों के लिए भी मुश्किल होगा. एक तरफ सीता सोरेन मोदी लहर पर सवार होंगी और जनता से सोरेन परिवार को नजरअंदाज करने की अपील करेंगी. वहीं, हेमंत सोरेन अपने द्वारा किये गये विकास कार्यों को गिनाने के साथ-साथ केंद्र सरकार और बीजेपी पर यह आरोप भी लगायेंगे कि साजिश के तहत उन्हें जेल भेजा गया है. ऐसे में फैसला तो दुमका की जनता ही करेगी.

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