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पटना हाईकोर्ट ने BSEB पर लगाया 25 हजार का जुर्माना, शिक्षकों को परेशान करने का मामला

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 19, 2024, 11:06 PM IST

पटना हाईकोर्ट ने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति पर 25 हजार का दंड लगाया है. यह मामला 25 परीक्षकों के खिलाफ प्राथमिकी से जुड़ा हुआ है. पढ़ें पूरी खबर.

Patna High Court Etv Bharat
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पटना : पटना हाईकोर्ट ने इन्टरमीडिएट 2019 के वार्षिक (सैद्धांतिक) परीक्षा की अव्यहृत एवं बारकोडेड उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन कार्य के लिए नियुक्त परीक्षक द्वारा जान बूझकर मूल्यांकन कार्य में बाधा उत्पन्न करने के मामले पर सुनवाई की. जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने अमित कुमार व अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दर्ज प्राथमिकी को रद्द कर दिया. साथ ही कोर्ट ने बिना कारण कानून का दुरुपयोग कर प्राथमिकी दर्ज किये जाने और शिक्षकों को अकारण परेशान किये जाने पर बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (BSEB) को 25 हजार रूपए का दंड लगाया.

25 परीक्षकों के खिलाफ प्राथमिकी : दरअसल, नियुक्त परीक्षकों द्वारा मूल्यांकन में जानबूझ कर बाधा उत्पन्न करने के उद्देश्य से मूल्यांकन केन्द्रों पर योगदान नहीं करने के कारण प्रखंड शिक्षा अधिकारी ने करीब 25 परीक्षकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का एक पत्र हाजीपुर सदर थाना को दी. इस पत्र के आलोक में पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर कानूनी कार्रवाई शुरू की.

आवेदकों का पक्ष क्या था? : आवेदक के वकील राजेश रंजन का कहना था कि जब शिक्षक मूल्यांकन करने से इंकार कर दिये, तो फिर कैसे मूल्यांकन कार्य में बाधा उत्पन्न किये. उनका कहना था कि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति शिक्षकों के ऊपर दबाव बना काम करवाना चाहती है. समिति जानबूझकर कर प्राथमिकी दर्ज कराई, ताकि दूसरे शिक्षक प्राथमिकी के डर से मूल्यांकन काम से भागे नहीं.

'शिक्षकों के एक ग्रुप कार्य का करते हैं विरोध' : वहीं सरकारी वकील अजय ने अर्जी का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि शिक्षकों के एक ग्रुप ऐसे है, जो मूल्यांकन कार्य का विरोध करते हैं. उनका कहना था कि ऐसे शिक्षक नहीं चाहते हैं कि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति समय पर बच्चों का रिजल्ट जारी करे. वहीं राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता सुमन झा ने कोर्ट को बताया कि जिला शिक्षा अधिकारी की ओर से दिए गए आवेदन पर पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की है. उनका कहना था कि पुलिस में की गई शिकायत पर पुलिस ने कार्रवाई की है.

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पटना : पटना हाईकोर्ट ने इन्टरमीडिएट 2019 के वार्षिक (सैद्धांतिक) परीक्षा की अव्यहृत एवं बारकोडेड उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन कार्य के लिए नियुक्त परीक्षक द्वारा जान बूझकर मूल्यांकन कार्य में बाधा उत्पन्न करने के मामले पर सुनवाई की. जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने अमित कुमार व अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दर्ज प्राथमिकी को रद्द कर दिया. साथ ही कोर्ट ने बिना कारण कानून का दुरुपयोग कर प्राथमिकी दर्ज किये जाने और शिक्षकों को अकारण परेशान किये जाने पर बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (BSEB) को 25 हजार रूपए का दंड लगाया.

25 परीक्षकों के खिलाफ प्राथमिकी : दरअसल, नियुक्त परीक्षकों द्वारा मूल्यांकन में जानबूझ कर बाधा उत्पन्न करने के उद्देश्य से मूल्यांकन केन्द्रों पर योगदान नहीं करने के कारण प्रखंड शिक्षा अधिकारी ने करीब 25 परीक्षकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का एक पत्र हाजीपुर सदर थाना को दी. इस पत्र के आलोक में पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर कानूनी कार्रवाई शुरू की.

आवेदकों का पक्ष क्या था? : आवेदक के वकील राजेश रंजन का कहना था कि जब शिक्षक मूल्यांकन करने से इंकार कर दिये, तो फिर कैसे मूल्यांकन कार्य में बाधा उत्पन्न किये. उनका कहना था कि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति शिक्षकों के ऊपर दबाव बना काम करवाना चाहती है. समिति जानबूझकर कर प्राथमिकी दर्ज कराई, ताकि दूसरे शिक्षक प्राथमिकी के डर से मूल्यांकन काम से भागे नहीं.

'शिक्षकों के एक ग्रुप कार्य का करते हैं विरोध' : वहीं सरकारी वकील अजय ने अर्जी का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि शिक्षकों के एक ग्रुप ऐसे है, जो मूल्यांकन कार्य का विरोध करते हैं. उनका कहना था कि ऐसे शिक्षक नहीं चाहते हैं कि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति समय पर बच्चों का रिजल्ट जारी करे. वहीं राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता सुमन झा ने कोर्ट को बताया कि जिला शिक्षा अधिकारी की ओर से दिए गए आवेदन पर पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की है. उनका कहना था कि पुलिस में की गई शिकायत पर पुलिस ने कार्रवाई की है.

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