इस गांव में नवरात्रि में होती है 'बुलेट' की पूजा, जानिए ओमबन्ना की रोचक कहानी - Chaitra Navratri 2024

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 16, 2024, 6:32 AM IST

Updated : Apr 16, 2024, 12:18 PM IST

OM BANNA TEMPLE

जोधपुर से 50 किमी दूर एक गांव में एक ऐसा मदिंर है, जहां पर बुलेट की पूजा की जाती है. नवरात्रि में 9 दिन तक यहां पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है.आकिर क्यों की जाती है इस बुलेट की पूजा जानिए इस रिपोर्ट में.

राजस्थान के इस गांव में होती है 'बुलेट' की पूजा.

जोधपुर. सूर्यनगरी से करीब 50 किमी दूर चोटिला गांव में एक ऐसा स्थान है, जहां बुलेट की पूजा होती है. यहां RNJ 7773 नंबर की यह बुलेट ओमसिंह राठौड़ की थी, जो अब ओमबन्ना के नाम से पूजे जाते हैं. पाली-जोधपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित इस मंदिर में हर दिन सैंकड़ों लोग मन्नत मांगने आते हैं. नवरात्रि में तो यहां भारी जनसैलाब उमड़ता है. इन दिनों नवरात्रि है, ऐसे में 9 दिन तक श्रद्धालुओं का पूरे दिन रैला लगा है.

थाने से गायब हो जाती थी बुलेट : ओमबन्ना को बुलेट बाबा कहा जाता है. उनके साथ उनकी बुलेट की पूजा से जुड़ी कहानी काफी रोचक है. घटना 1988 की है, जब ओमसिंह राठौड़ ससुराल से अपने गांव चोटिला आ रहे थे. इस दौरान उनकी बाइक एक पेड़ से टकरा गई, मौके पर ही उनकी मृत्यु हो गई. मौके पर पहुंची रोहट थाना पुलिस बाइक को जब्त कर थाने लेकर गई. कहा जाता है कि अगले ही दिन बाइक थाने से गायब होकर वापस घटनास्थल पर अपने आप पहुंच गई. पुलिसकर्मियों ने जितनी बार बाइक को थाने लाया, बाइक उतनी ही बार घटनास्थल पर पहुंच जाती. इसके बाद लोगों ने इसे दैवीय चमत्कार मानना शुरू कर दिया. उस दिन के बाद से ओमसिंह राठौड़ ओम बन्ना के नाम से पूजे जाने लगे. लोगों ने ओम बन्ना की लोकदेवता मानकर पूजा शुरू कर दी. आज इन्हें बुलेट बाबा भी कहते हैं. बीते दो दशक में ओम बन्ना के धार्मिक स्थल की मान्यता तीव्र गति से बढ़ी है. खास तौर से वाहन चालक इन्हें अपना देवता मान कर पूजा करते हैं. माना जाता है कि ओम बन्ना सड़क हादसों से इन्हें पूजने वालों को बचाते हैं. यहां अब एक ट्रस्ट बन चुका है जो व्यवस्थाएं देखता है.

अब राजस्थान के बाहर भी मंदिर : 1988 में सिर्फ एक चबूतरे पर यह बुलेट रखी गई थी, जिसके बाद धीरे-धीरे लोगों की आस्था बढ़ी तो यहां काम होने लगा. लोगों की संख्या बढ़ने लगी तो सुविधाएं विकसित होने लगी. मुख्य सड़क के आस-पास होटल्स और दुकानें भी बन गई. चोटिला की तरह ही राजस्थान, गुजरात व मध्यप्रदेश में कई जगहों पर ओमबन्ना के मंदिर बन गए हैं, जहां श्रद्धालू नियमित जाते हैं. कई श्रद्धालु यहां पर मन्नत पूरी होने पर शराब भी चढ़ाते हैं.

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डुग डुग फिल्म में दिखाई गई कहानी : ओमबन्ना से मिलती जुलती कहानी पर एक फिल्मकार ने 'डुग डुग' नाम से एक शॉर्ट फिल्म भी बनाई. जिसमें किरदार, जगह व हालात बदले, लेकिन कहानी हुबहू ओम सिंह राठौड़ से जुडती हैं. 2021 में बनी यह फिल्म टोरंटो फिल्म फेस्टिवल में दिखाई गई थी, जिसकी काफी प्रशंसा भी हुई. हालांकि ओम बन्ना के अनुयायियों ने इस फिल्म का विरोध भी किया.

नवरात्र में उमड़ता है श्रद्धालुओं का सैलाब : इन दिनों चैत्र नवरात्र चल रहे हैं जिसके चलते यहां श्रद्धालुओं की भीड़ ज्यादा हो रही है. सूरत से आए बस चालक प्रेमाराम ने बताया कि हम अपने वाहन से यहां आए हैं. ओमबन्ना का नाम लेकर जाते हैं, तो सही सलामत मंजिल तक पहुंचने का विश्वास रहता है. श्रद्धालु चेतनसिंह का कहना है कि इस मंदिर के सामने से निकलने वाला हर वाहन चालक अपनी धोक के रूप में हार्न बजाता है. नागौर से आए परिवार ने बताया कि हमारी सभी मनोकामनाएं पूरी हुई है.

डिस्क्लेमर: यह कहानी मान्यताओं पर आधारित है. इस स्टोरी की ईटीवी भारत जिम्मेदारी नहीं लेता.

Last Updated :Apr 16, 2024, 12:18 PM IST
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