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एमपी में पहले चरण में कमजोर वोटिंग, भाजपा या कांग्रेस...किसकी ताकत बढ़ाएगी - Low Voting in first phase MP

मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 6 सीटों पर वोटिंग हुई. लेकिन इस बार 2019 के मुकाबले वोट प्रतिशत कम रहा. पिछली बार जहां 75 फीसदी वोटिंग हुई थी, वहीं इस बार 67 प्रतिशत ही वोट पड़े. भाजपा ने टारगेट रखा था कि हर बूथ पर दस फीसदी तक वोट शेयर बढ़ाना है. लेकिन पार्टी का यह प्लान कामयाब नहीं हो सका.

LOW VOTING IN FIRST PHASE MP
एमपी में पहले चरण में कमजोर वोटिंग
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 22, 2024, 5:55 PM IST

भोपाल। क्या एमपी में बीजेपी की हर बूथ पर दस फीसदी वोट की प्लानिंग धराशायी हो गई है. क्या वजह है कि 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले 2024 में मतदाता ने मतदान में वैसा रुझान नहीं दिखाया. बीजेपी ने तो कई प्रयोग किए थे, बूथ की मजबूती के लिए पार्टी के बड़े नेता भी बूथ पर रुके थे और हर बूथ पर बूथ अध्यक्ष, बूथ महामंत्री और बूथ एजेंट के तौर पर त्रिदेव की तैनाती की गई थी. लेकिन क्या वजह रही कि विधानसभा चुनाव में बीजेपी का बूथ पर वोट शेयर बढ़ाने का फार्मूला लोकसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग में वैसा कमाल करता दिखाई नहीं दिया.

LOW VOTING IN FIRST PHASE MP
67 प्रतिशत ही वोट पड़े

बीजेपी का दस फीसदी बढ़ना था वोट, घट कैसे गया

विधानसभा चुनाव के समय से पन्ना प्रमुख की बैठकें कर चुकी बीजेपी ने चार सौ पार का नारा देने के साथ तैयारी की थी. देश में आदर्श संगठन वाले राज्य मध्यप्रदेश में बूथ स्तर पर मजबूती के दम के साथ टारगेट रखा गा था कि हर बूथ पर दस फीसदी तक वोट शेयर बढ़ाना है. लेकिन पहले फेज में हुई वोटिंग में दस से पंद्रह फीसदी तक घट गए मतदान की तस्वीर क्या कह रही है. क्या बीजेपी की बूथ को मजबूत करने की रणनीति कामयाब नहीं रही.

छिंदवाड़ा में नहीं चला शाह का जादू

जिस छिंदवाड़ा सीट पर विधानसभा चुनाव के समय से पार्टी दिग्गज नेताओं के दौरे प्रवास के साथ पूरी ताकत झौंक रही थी. वहां भी बीजेपी का वोट प्रतिशत विधानसभा चुनाव के मुकाबले घट गया. छिंदवाड़ा में जहां वोटिंग के पहले तक बीजेपी की रणनीतिकार अमित शाह ने लोकसभा सीट पर ही एक रात का डेरा डाला था. वहां 2019 के लोकसभा मुकाबले तीन फीसदी से ज्यादा मत प्रतिशत की गिरावट आई. तब ये प्रतिशत 79 फीसदी के आस पास था, अब 82 फीसदी के लगभग है.

भाजपा को कैसे होगा लाभ

वरिष्ठ पत्रकार पवन देवलिया कहते हैं ''असल में पहले फेज के चुनाव में एमपी की सभी 6 सीटों पर आप देखें कि मतदान प्रतिशत बीते चुनाव के मुकाबले कम हुआ है. वजह ये है कि राजनीतिक दलों ने बहुत सक्रियता नहीं दिखाई. दोपहर तक मतदाताओं को बाहर निकाला गया. लेकिन जब मिजाज पढ़ लिया मतदाता का तो राजनीतिक दल निष्क्रीय हो गए. नतीजा ये कि वोटिंग परसेंटेज गिर गया. लेकिन इसके बावजूद भी ये तय मानिए कि इसका लाभ बीजेपी को ही होगा. कांग्रेस के लिए जमीन ही नहीं है. राम मंदिर का मुद्दा हो या मोदी की गारंटी एक ठंडी लहर बनी हुई है.

वोट शेयर बढ़ेगा, अभी तीन चरण बाकी है

बीजेपी ने चार सौ पार सीटों की प्लानिंग का जमीनी स्तर पर बूथ से शुरु किया. तैयारी ये कि हर बूथ पर वो शेयर बढ़ाया जाए. लेकिन पहले चरण में घटे दस फीसदी तक वोट शेयर को क्या माना जाए. पार्टी के प्रदेश बूथ प्रबंधक रजनीश अग्रवाल कहते हैं, अभी तीन चरण की वोटिंग बाकी है. हम हर बूथ पर वोट शेयर बढ़ाने के लिए जुटे हुए हैं. पार्टी के बूथ स्तर पर तैनात त्रिदेव से लेकर आम कार्यकर्ता तक लक्ष्य एक ही है कि वोट शेयर कैसे बढे़. अगले चरण में हम लक्ष्य पर होंगे. हर बूथ पर पार्टी का वोट प्रतिशत पहले के मुकाबले बढ़ा हुआ होगा.

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एमपी की 6 सीटों पर वोट प्रतिशत कहां कितना

2019 के लोकसभा चुनाव के आईने में देखें तो छिंदवाड़ा जो देश की हाईप्रोफाईल सीटों में शुमार हो गई है, जहां करीब तीन फीसदी मतदान घट गया. 2019 में जो 82 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ था वो 2024 में 79 फीसदी रह गया. बालाघाट सीट पर 2019 में 77 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ था जो 2024 में 73 फीसदी ही रह गया. शहडोल में 74 फीसदी का मतदान सीधे खिसक कर 63 फीसदी के आस पास आ गया. इसी तरह से सीधी सीट पर 69 फीसदी से घटकर 55 फीसदी रह गया मतदान. मंडला में भी 77 प्रतिशत से ज्यादा मतदान जो 2019 में हुआ वो 2024 में 72 फीसदी के आस पास आ गया. जबलपुर में 69 प्रतिशत वोटिंग 2019 में हुई जो अब 60 फीसदी पर आ गई.

भोपाल। क्या एमपी में बीजेपी की हर बूथ पर दस फीसदी वोट की प्लानिंग धराशायी हो गई है. क्या वजह है कि 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले 2024 में मतदाता ने मतदान में वैसा रुझान नहीं दिखाया. बीजेपी ने तो कई प्रयोग किए थे, बूथ की मजबूती के लिए पार्टी के बड़े नेता भी बूथ पर रुके थे और हर बूथ पर बूथ अध्यक्ष, बूथ महामंत्री और बूथ एजेंट के तौर पर त्रिदेव की तैनाती की गई थी. लेकिन क्या वजह रही कि विधानसभा चुनाव में बीजेपी का बूथ पर वोट शेयर बढ़ाने का फार्मूला लोकसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग में वैसा कमाल करता दिखाई नहीं दिया.

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67 प्रतिशत ही वोट पड़े

बीजेपी का दस फीसदी बढ़ना था वोट, घट कैसे गया

विधानसभा चुनाव के समय से पन्ना प्रमुख की बैठकें कर चुकी बीजेपी ने चार सौ पार का नारा देने के साथ तैयारी की थी. देश में आदर्श संगठन वाले राज्य मध्यप्रदेश में बूथ स्तर पर मजबूती के दम के साथ टारगेट रखा गा था कि हर बूथ पर दस फीसदी तक वोट शेयर बढ़ाना है. लेकिन पहले फेज में हुई वोटिंग में दस से पंद्रह फीसदी तक घट गए मतदान की तस्वीर क्या कह रही है. क्या बीजेपी की बूथ को मजबूत करने की रणनीति कामयाब नहीं रही.

छिंदवाड़ा में नहीं चला शाह का जादू

जिस छिंदवाड़ा सीट पर विधानसभा चुनाव के समय से पार्टी दिग्गज नेताओं के दौरे प्रवास के साथ पूरी ताकत झौंक रही थी. वहां भी बीजेपी का वोट प्रतिशत विधानसभा चुनाव के मुकाबले घट गया. छिंदवाड़ा में जहां वोटिंग के पहले तक बीजेपी की रणनीतिकार अमित शाह ने लोकसभा सीट पर ही एक रात का डेरा डाला था. वहां 2019 के लोकसभा मुकाबले तीन फीसदी से ज्यादा मत प्रतिशत की गिरावट आई. तब ये प्रतिशत 79 फीसदी के आस पास था, अब 82 फीसदी के लगभग है.

भाजपा को कैसे होगा लाभ

वरिष्ठ पत्रकार पवन देवलिया कहते हैं ''असल में पहले फेज के चुनाव में एमपी की सभी 6 सीटों पर आप देखें कि मतदान प्रतिशत बीते चुनाव के मुकाबले कम हुआ है. वजह ये है कि राजनीतिक दलों ने बहुत सक्रियता नहीं दिखाई. दोपहर तक मतदाताओं को बाहर निकाला गया. लेकिन जब मिजाज पढ़ लिया मतदाता का तो राजनीतिक दल निष्क्रीय हो गए. नतीजा ये कि वोटिंग परसेंटेज गिर गया. लेकिन इसके बावजूद भी ये तय मानिए कि इसका लाभ बीजेपी को ही होगा. कांग्रेस के लिए जमीन ही नहीं है. राम मंदिर का मुद्दा हो या मोदी की गारंटी एक ठंडी लहर बनी हुई है.

वोट शेयर बढ़ेगा, अभी तीन चरण बाकी है

बीजेपी ने चार सौ पार सीटों की प्लानिंग का जमीनी स्तर पर बूथ से शुरु किया. तैयारी ये कि हर बूथ पर वो शेयर बढ़ाया जाए. लेकिन पहले चरण में घटे दस फीसदी तक वोट शेयर को क्या माना जाए. पार्टी के प्रदेश बूथ प्रबंधक रजनीश अग्रवाल कहते हैं, अभी तीन चरण की वोटिंग बाकी है. हम हर बूथ पर वोट शेयर बढ़ाने के लिए जुटे हुए हैं. पार्टी के बूथ स्तर पर तैनात त्रिदेव से लेकर आम कार्यकर्ता तक लक्ष्य एक ही है कि वोट शेयर कैसे बढे़. अगले चरण में हम लक्ष्य पर होंगे. हर बूथ पर पार्टी का वोट प्रतिशत पहले के मुकाबले बढ़ा हुआ होगा.

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2019 के लोकसभा चुनाव के आईने में देखें तो छिंदवाड़ा जो देश की हाईप्रोफाईल सीटों में शुमार हो गई है, जहां करीब तीन फीसदी मतदान घट गया. 2019 में जो 82 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ था वो 2024 में 79 फीसदी रह गया. बालाघाट सीट पर 2019 में 77 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ था जो 2024 में 73 फीसदी ही रह गया. शहडोल में 74 फीसदी का मतदान सीधे खिसक कर 63 फीसदी के आस पास आ गया. इसी तरह से सीधी सीट पर 69 फीसदी से घटकर 55 फीसदी रह गया मतदान. मंडला में भी 77 प्रतिशत से ज्यादा मतदान जो 2019 में हुआ वो 2024 में 72 फीसदी के आस पास आ गया. जबलपुर में 69 प्रतिशत वोटिंग 2019 में हुई जो अब 60 फीसदी पर आ गई.

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