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मदर्स डे विशेष : टीचर की पहल से बदली सरकारी स्कूल की फिजा, जरूरतमंद बच्चों को भी लिया गोद - MOTHERS DAY 2024

Mother's Day 2024, कुचामनसिटी के मेहरों की ढाणी में स्थित महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय में टीचर के रूप में कार्यरत बबीता वर्मा ने स्कूल के कई जरूरतमंद बच्चों को गोद लिया है. इसके साथ ही टीचर ने अपने स्तर पर पैसे जुटाकर पूरे स्कूल को ही बदल दिया. पढ़िए पूरी खबर.

जरूरतमंद बच्चों को लिया गोद
जरूरतमंद बच्चों को लिया गोद (ETV Bharat GFX Team)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 12, 2024, 5:34 PM IST

टीचर की पहल से बदली सरकारी स्कूल की फिजा (ETV Bharat kuchaman city)

कुचामनसिटी. निर्मल सरल ममतामयी का ऐसा प्रतिरूप कि बच्चे भी बबीता मैम नहीं, बल्कि बबीता मां कहकर पुकारते हैं. मां के लिए जितना कहा-सुना जाए, उतना कम ही लगता है. मां होती ही ऐसी है. सरल, निर्मल, ममतामयी. बच्चों के लिए तो मानो मां का आंचल ही उनकी दुनिया है, जिसकी शीतल छांव में बच्चों को दुःख के थपेड़ों का अहसास तक नहीं होता. शायद इसी निश्छल ममता की वजह से मां का दर्जा ईश्वर से भी ऊपर है.

कुचामनसिटी के पास स्थित मेहरों की ढाणी में स्थित महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय में एक ऐसी शिक्षिका हैं, जिनको बच्चे मैम नहीं बल्कि मां कहकर पुकारते हैं. शिक्षिका बबीता वर्मा और विद्यार्थियों के बीच ऐसा स्नेह व लगाव शायद ही अन्य विद्यालय में देखने को मिले. शिक्षिका का मानना है कि शिक्षक को भगवान से बड़ा माना गया है. वह गुरु ही नहीं, बल्कि माता-पिता कि भूमिका भी निभाता है. बालक जितना माता-पिता का कहना नहीं मानते, उतना वो अपने शिक्षक कि बात मानते हैं.

इसे भी पढ़ें-जन्नत तो नहीं मैंने मां देखी है... मदर्स डे स्पेशल शेर, जो दिलों पर होते हैं प्रिंट - Mothers Day 2024

जरूरतमंद बच्चों को लिया है गोद : शिक्षिका बबीता वर्मा ने स्कूल के कई बच्चों को गोद ले रखा है. शिक्षिका उन विद्यार्थियों की मूलभूत आवश्यकताओं के साथ-साथ पढ़ने-लिखने के कौशल पर भी काम कर रही हैं. शिक्षिका में जुनून इस कदर है कि उन्होंने विद्यालय परिसर को शैक्षिक जरूरतों के लिए सोशल मीडिया, रिश्तेदारों और मित्रों के माध्यम से आर्थिक सहयोग एकत्रित किया. इसके बाद सम्पूर्ण विद्यालय और दीवारों पर आकर्षक पेन्टिंग का कार्य किया. महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय में जो टीचर लगे हुए हैं वह खुद स्कूल में रंग रोगन अपने हाथों से करते हैं. साथ ही पेंटिंग भी खुद ही करते हैं. इस स्कूल में ऐसे कई काम स्टाफ द्वारा ही किया गया है.

मूलभूत सुविधाओं को भी बना दिया रोचक : शिक्षिका ने विद्यालय की अन्य मूलभूत सुविधाओं को काफी रोचक बना दिया है. भंडार के रूप में उपयोग आ रहे एक कक्ष को पुस्तकालय का रूप दिया है. राजस्थान पुस्तकालय संवर्धन परियोजना से प्रभावित होकर सुन्दर पुस्तकालय बनाया. टीचर बच्चों को बालसभा और विभाग की ओर से सुझाई गतिविधियों में नाटक मंचन, गायन, नृत्य भी सिखाती हैं.

शिक्षिका बबीता ने बताया कि इन सभी कार्यों को पूरा करने में विद्यालय के प्रधानाचार्य जयराम चौधरी, शिक्षक कमल कुमार जांगिड़ महेश गुर्जर, रफीक अहमद, राज गोठवाल, कैलाशचंद, सुनिता, हंसा कुमारी, चंद्रकांता ने भी समय-समय पर अपेक्षित सहयोग किया. बबीता वर्मा ने बताया कि मैं अपनी सृजन शक्ति को बालकों के सहयोग से उनमें कौशल विकास के लिए काम करना चाहतू हूं. प्रत्येक शिक्षिका में भी मातृत्व का भाव होना चाहिए. उन्होंने कहा कि मातृत्व की कला बच्चों को जीने की कला सिखा देता है.

टीचर की पहल से बदली सरकारी स्कूल की फिजा (ETV Bharat kuchaman city)

कुचामनसिटी. निर्मल सरल ममतामयी का ऐसा प्रतिरूप कि बच्चे भी बबीता मैम नहीं, बल्कि बबीता मां कहकर पुकारते हैं. मां के लिए जितना कहा-सुना जाए, उतना कम ही लगता है. मां होती ही ऐसी है. सरल, निर्मल, ममतामयी. बच्चों के लिए तो मानो मां का आंचल ही उनकी दुनिया है, जिसकी शीतल छांव में बच्चों को दुःख के थपेड़ों का अहसास तक नहीं होता. शायद इसी निश्छल ममता की वजह से मां का दर्जा ईश्वर से भी ऊपर है.

कुचामनसिटी के पास स्थित मेहरों की ढाणी में स्थित महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय में एक ऐसी शिक्षिका हैं, जिनको बच्चे मैम नहीं बल्कि मां कहकर पुकारते हैं. शिक्षिका बबीता वर्मा और विद्यार्थियों के बीच ऐसा स्नेह व लगाव शायद ही अन्य विद्यालय में देखने को मिले. शिक्षिका का मानना है कि शिक्षक को भगवान से बड़ा माना गया है. वह गुरु ही नहीं, बल्कि माता-पिता कि भूमिका भी निभाता है. बालक जितना माता-पिता का कहना नहीं मानते, उतना वो अपने शिक्षक कि बात मानते हैं.

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जरूरतमंद बच्चों को लिया है गोद : शिक्षिका बबीता वर्मा ने स्कूल के कई बच्चों को गोद ले रखा है. शिक्षिका उन विद्यार्थियों की मूलभूत आवश्यकताओं के साथ-साथ पढ़ने-लिखने के कौशल पर भी काम कर रही हैं. शिक्षिका में जुनून इस कदर है कि उन्होंने विद्यालय परिसर को शैक्षिक जरूरतों के लिए सोशल मीडिया, रिश्तेदारों और मित्रों के माध्यम से आर्थिक सहयोग एकत्रित किया. इसके बाद सम्पूर्ण विद्यालय और दीवारों पर आकर्षक पेन्टिंग का कार्य किया. महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय में जो टीचर लगे हुए हैं वह खुद स्कूल में रंग रोगन अपने हाथों से करते हैं. साथ ही पेंटिंग भी खुद ही करते हैं. इस स्कूल में ऐसे कई काम स्टाफ द्वारा ही किया गया है.

मूलभूत सुविधाओं को भी बना दिया रोचक : शिक्षिका ने विद्यालय की अन्य मूलभूत सुविधाओं को काफी रोचक बना दिया है. भंडार के रूप में उपयोग आ रहे एक कक्ष को पुस्तकालय का रूप दिया है. राजस्थान पुस्तकालय संवर्धन परियोजना से प्रभावित होकर सुन्दर पुस्तकालय बनाया. टीचर बच्चों को बालसभा और विभाग की ओर से सुझाई गतिविधियों में नाटक मंचन, गायन, नृत्य भी सिखाती हैं.

शिक्षिका बबीता ने बताया कि इन सभी कार्यों को पूरा करने में विद्यालय के प्रधानाचार्य जयराम चौधरी, शिक्षक कमल कुमार जांगिड़ महेश गुर्जर, रफीक अहमद, राज गोठवाल, कैलाशचंद, सुनिता, हंसा कुमारी, चंद्रकांता ने भी समय-समय पर अपेक्षित सहयोग किया. बबीता वर्मा ने बताया कि मैं अपनी सृजन शक्ति को बालकों के सहयोग से उनमें कौशल विकास के लिए काम करना चाहतू हूं. प्रत्येक शिक्षिका में भी मातृत्व का भाव होना चाहिए. उन्होंने कहा कि मातृत्व की कला बच्चों को जीने की कला सिखा देता है.

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