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परीक्षा की घड़ी: मोहन यादव सियासी पिच पर हो सकते हैं आउट, अगर पार नहीं हुआ शिवराज का बेंच मार्क - Mohan Yadav Litmus Test LS Election

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के लिए ये लोकसभा चुनाव किसी इम्तेहान से कम नहीं है. एमपी में लोकसभा चुनाव के परिणाम काफी हद तक मोहन यादव का भविष्य तय करेंगे. शिवराज सिंह का 2019 के लोकसभा चुनाव में 28 सीटें जीतने वाला बेंच मार्क मोहन यादव के गले की फांस भी बन सकता है.

MP LS Results deciding for CM Mohan Yadav Political Future
मोहन यादव की परीक्षा लोकसभा चुनाव के नतीजे
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 11, 2024, 6:50 PM IST

भोपाल। एमपी में लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे सीएम डॉ. मोहन यादव का राजनीतिक भविष्य भी तय करने वाले होंगे. सत्ता संभालते ही इम्तेहान के मैदान में उतरने वाले मोहन यादव के लिए ये लोकसभा चुनाव उनके सियासी जीवन का सबसे बड़ा इम्तेहान है. इसके पहले के 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में एमपी में बीजेपी का चेहरा शिवराज सिंह चौहान रहे थे. लगभग 10 साल बाद ये पहला मौका होगा जब पार्टी का एमपी में चेहरा शिवराज सिंह चौहान नहीं हैं. 2014 में 26 लोकसभा सीटें फिर 2019 में 28 सीटों तक पहुंची बीजेपी ने इस बार एमपी में 29 सीटों पर जीत का टारगेट रखा है. जुटी पूरी बीजेपी है, लेकिन असल कंधे तो मोहन यादव के ही हैं. एमपी में सीएम मोहन यादव के भविष्य की मजबूती पर इस लोकसभा चुनाव के नतीजे भी असर डालेंगे.

Mohan Yadav Litmus Test LS Election
मोहन यादव की परीक्षा लोकसभा चुनाव

सत्ता संभालते ही मोहन यादव का तिमाही इम्तेहान

दिसम्बर में संत्ता संभालने के साथ ही मोहन यादव के सामने लोकसभा चुनाव का तिमाही इम्तेहान आ गया है. इस चुनाव के नतीजे केवल एमपी में बीजेपी के चुनाव नतीजे नहीं होंगे. ये चुनाव नतीजे ये भी बताएंगे कि एमपी की सत्ता में बीजेपी का पीढ़ी परिवर्तन कारगर रहा है या नहीं. एमपी में अब तक शिवराज सिंह चौहान सत्ता की गारंटी माने जाते रहे थे. शिवराज सिंह चौहान एमपी में तो बीजेपी की जीत का तो बेंच मार्क तय कर गए, मोहन यादव को उसे पार करना है.

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक प्रकाश भटनागर कहते हैं, "मोहन यादव पिच पकड़कर खेलने वाले बल्लेबाज हैं. उन्होंने अभी तक अपनी सियासी पारी में ऐसे शॉट खेले ही नहीं कि हिट विकट होने की कोई संभावना बने. वो उनसे की गई अपेक्षाओं को भी भली भांति जानते हैं. लिहाजा किसी जल्दबाजी में नहीं हैं. वे तेज नहीं चल रहे. दिल्ली का इशारा देखकर संभलकर अपनी पारी खेल रहे हैं. ये सही है कि ये चुनाव नतीजे मोहन यादव की सियासी मजबूती के लिहाज से बेहद जरुरी हैं."

ये भी पढ़ें:

CM मोहन यादव का कांग्रेस के घोषणा पत्र पर तंज 'जिन्होंने हमेशा अन्याय किया, वे न्याय की क्या बात करेंगे'

CM मोहन का गजब बयान, बोले- छिंदवाड़ा में न हमारा सांसद, न विधायक, कैसा करुंगा जनता के काम

मोहन यादव की पारी और शिवराज का बेंच मार्क

कांग्रेस में पीसीसी चीफ जीतू पटवारी के मीडिया सलाहकार के. के. मिश्रा का कहना है कि "एमपी में इस समय किसमें कितना है दम के अंदाज में बीजेपी की राजनीति चल रही है. शिवराज सिंह चौहान ये बताने की कोशिश कर रहे हैं कि एमपी में बीजेपी का चेहरा अब भी वही हैं. उधर, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ये मान कर चल रहे हैं कि अब कमान उन्हीं के हाथ है. तो अंदर ही अंदर भारी गुटबाजी से जूझ रही है बीजेपी. पार्टी की प्रदेश इकाई में एक साथ कई शक्ति केन्द्र हो गए हैं. अब ऐसे में मोहन यादव के लिए सबसे ज्यादा मुश्किल है क्योंकि वे हाईकमान की ताकत लेकर मैदान में उतरे हैं. उन्हें तो सबसे ज्यादा परफार्म करके दिखाना होगा."

भोपाल। एमपी में लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे सीएम डॉ. मोहन यादव का राजनीतिक भविष्य भी तय करने वाले होंगे. सत्ता संभालते ही इम्तेहान के मैदान में उतरने वाले मोहन यादव के लिए ये लोकसभा चुनाव उनके सियासी जीवन का सबसे बड़ा इम्तेहान है. इसके पहले के 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में एमपी में बीजेपी का चेहरा शिवराज सिंह चौहान रहे थे. लगभग 10 साल बाद ये पहला मौका होगा जब पार्टी का एमपी में चेहरा शिवराज सिंह चौहान नहीं हैं. 2014 में 26 लोकसभा सीटें फिर 2019 में 28 सीटों तक पहुंची बीजेपी ने इस बार एमपी में 29 सीटों पर जीत का टारगेट रखा है. जुटी पूरी बीजेपी है, लेकिन असल कंधे तो मोहन यादव के ही हैं. एमपी में सीएम मोहन यादव के भविष्य की मजबूती पर इस लोकसभा चुनाव के नतीजे भी असर डालेंगे.

Mohan Yadav Litmus Test LS Election
मोहन यादव की परीक्षा लोकसभा चुनाव

सत्ता संभालते ही मोहन यादव का तिमाही इम्तेहान

दिसम्बर में संत्ता संभालने के साथ ही मोहन यादव के सामने लोकसभा चुनाव का तिमाही इम्तेहान आ गया है. इस चुनाव के नतीजे केवल एमपी में बीजेपी के चुनाव नतीजे नहीं होंगे. ये चुनाव नतीजे ये भी बताएंगे कि एमपी की सत्ता में बीजेपी का पीढ़ी परिवर्तन कारगर रहा है या नहीं. एमपी में अब तक शिवराज सिंह चौहान सत्ता की गारंटी माने जाते रहे थे. शिवराज सिंह चौहान एमपी में तो बीजेपी की जीत का तो बेंच मार्क तय कर गए, मोहन यादव को उसे पार करना है.

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक प्रकाश भटनागर कहते हैं, "मोहन यादव पिच पकड़कर खेलने वाले बल्लेबाज हैं. उन्होंने अभी तक अपनी सियासी पारी में ऐसे शॉट खेले ही नहीं कि हिट विकट होने की कोई संभावना बने. वो उनसे की गई अपेक्षाओं को भी भली भांति जानते हैं. लिहाजा किसी जल्दबाजी में नहीं हैं. वे तेज नहीं चल रहे. दिल्ली का इशारा देखकर संभलकर अपनी पारी खेल रहे हैं. ये सही है कि ये चुनाव नतीजे मोहन यादव की सियासी मजबूती के लिहाज से बेहद जरुरी हैं."

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मोहन यादव की पारी और शिवराज का बेंच मार्क

कांग्रेस में पीसीसी चीफ जीतू पटवारी के मीडिया सलाहकार के. के. मिश्रा का कहना है कि "एमपी में इस समय किसमें कितना है दम के अंदाज में बीजेपी की राजनीति चल रही है. शिवराज सिंह चौहान ये बताने की कोशिश कर रहे हैं कि एमपी में बीजेपी का चेहरा अब भी वही हैं. उधर, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ये मान कर चल रहे हैं कि अब कमान उन्हीं के हाथ है. तो अंदर ही अंदर भारी गुटबाजी से जूझ रही है बीजेपी. पार्टी की प्रदेश इकाई में एक साथ कई शक्ति केन्द्र हो गए हैं. अब ऐसे में मोहन यादव के लिए सबसे ज्यादा मुश्किल है क्योंकि वे हाईकमान की ताकत लेकर मैदान में उतरे हैं. उन्हें तो सबसे ज्यादा परफार्म करके दिखाना होगा."

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