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उदयपुर के इस शख्स के पास है शिव पर आधारित प्राचीन स्टांप पेपर का कलेक्शन

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 8, 2024, 3:24 PM IST

Updated : Mar 9, 2024, 8:48 AM IST

उदयपुर के संग्रहकर्ता महेंद्र शर्मा के पास उन सभी रियासतों और ठिकानों के स्टांप मौजूद हैं, जिनमें भगवान शिव अंकित हैं. ये स्टांप पेपर 90 से 310 साल पुराने हैं.

Ancient Stamp Papers Collection
शिव पर आधारित प्राचीन स्टांप पेपर का कलेक्शन

उदयपुर. देश भर में धूमधाम के साथ महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है. भगवान भोलेनाथ को रिझाने के लिए अलसुबह से मंदिरों में श्रद्धालुओं की कतार नजर आ रही है. इस बीच कई श्रद्धालु ऐसे भी हैं, जो इस पर्व को स्पेशल बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे. ऐसे ही एक शख्सियत हैं उदयपुर के महेंद्र शर्मा, जिन्होंने महाशिवरात्रि के अवसर पर एक अनूठा कलेक्शन तैयार किया है. देश में भगवान शिव पर आधारित कई पोस्ट कार्ड और डाक टिकट जारी हुए हैं. महेंद्र शर्मा के पास ऐसे कई ई-पोस्ट कार्ड हैं.

एकलिंगजी के चार मुख: महेंद्र शर्मा ने बताया कि उदयपुर जिले के प्रसिद्ध एकलिंग नाथ जी मंदिर में भोलेनाथ को एकलिंगजी रुप में पूजा जाता है. इस रूप में शिव परम ब्रह्म है. वे मेवाड़ क्षेत्र के शासक हैं और सिसोदिया राणा उनके दीवान (मंत्री) के रूप में मंदिर में प्रवेश करते हैं, और दीवान रूप में ही इस क्षेत्र पर शासन करते हैं. एकलिंगजी के रूप में पूजे जाने वाला शिवलिंग चार मुखी है. एकलिंगजी के चार मुख इस प्रकार हैं- पश्चिम में भगवान ब्रह्मा, उत्तर में भगवान विष्णु, दक्षिण में महेश्वर (शिवजी) और पूर्व में सूर्य का प्रतीक है.

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उन्होंने कहा कि लोगों का मानना है मेवाड़ को कभी भी जीता नहीं जा सकता, क्योंकि इस भूमि को एकलिंगजी का आशीर्वाद प्राप्त है. ऐसे में काफी वर्षों से मेवाड़ और मेवाड़ के सभी ठिकानों के स्टांप पेपर पर सबसे ऊपर 'श्री एकलिंगजी' लिखा जाता है. ठिकाना देवगढ़, कानोर, भिंडर, गोगुंदा, देलवाड़ा, सलूंबर, बांसी, बोहेरा, आमेट, घाणेराव सभी ठिकानों के स्टांप पेपर व कोर्ट फीस पर सबसे ऊपर श्री 'एकलिंगनाथ जी' को स्थान दिया गया है.

एकलिंग नाथ का विशेष कलेक्शन : मेवाड़ की तरह ही इस समय छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित खेरागढ़ ठिकाने के स्टांप पेपर पर स्वयं शिव शंकर भोलेनाथ विराजमान है. खेरागढ़ के महाराजा भी भगवान शिव के अनन्य भक्त थे. इसी क्रम में महाराष्ट्र के भोर ठिकाने के स्टांप पेपर पर भगवान भोलेनाथ का मंदिर सबसे ऊपर अंकित है. ये सभी स्टांप पेपर रियासत काल में सभी राजाओं की शिव भक्ति को प्रदर्शित करते हैं. ये स्टांप पेपर 90 से 310 साल पुराने हैं. मेवाड़ फिलेटरी सोसाइटी के सचिव व लेकसिटी के जाने माने संग्रह कर्ता महेंद्र शर्मा के कलेक्शन में ये सभी स्टांप पेपर संग्रहित है. उनके पास करीब 225 ठिकानों व रियासतों के स्टांप पेपर उपलब्ध है.

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एकलिंग जी मंदिर का इतिहास : मेवाड़ का नाम आते ही वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप जेहन में आते हैं, लेकिन महाराणा प्रताप उदयपुर के राजा नहीं रहे, बल्कि एक दीवान के रूप में काम करते थे. अब आप सोच रहे होंगे ऐसा क्यों? क्योंकि मेवाड़ का असली राजा भगवान एकलिंगनाथ ही हैं. उदयपुर शहर से करीब 22 किलोमीटर दूर भगवान एकलिंग नाथ का मंदिर स्थित है. कैलाशपुरी नामक स्थान पर भगवान एकलिंग नाथ विराजमान है. जहां भगवान भोलेनाथ का भव्य मंदिर बना हुआ है. भगवान एकलिंग नाथ ही मेवाड़ के महाराजाओं और यहां की प्रजा के कुल देवता के रूप में पूजे जाते हैं. इतिहासकार चंद्रशेखर शर्मा ने बताया कि जब भी कोई राजा युद्ध लड़ने के लिए जाता, उससे पहले वह भगवान एकलिंग नाथ के दरबार में जरूर पहुंचता था. उदयपुर के एकलिंग नाथ महादेव को मेवाड़ के महाराणा के रूप में पूजा जाता है और मेवाड़ के महाराणा खुद को दीवान मानकर राज कार्य संपन्न करते हैं. इतिहासकारों ने बताया कि ऐसा आज से नहीं बल्कि 1500 वर्षों से होता आया है. इतिहासकार चंद्रशेखर शर्मा ने बताया कि युद्ध क्षेत्र में लड़ाई लड़ने के दौरान जब राजा विजयी घोषित होते थे तो युद्ध के मैदान में मेवाड़ जय स्वामी भगवान एकलिंग नाथ के जयकारे गूंजते थे. बप्पा रावल के काल से मेवाड़ के राजा एकलिंग नाथ को माना जाता है. राजतंत्र के दौरान लिखे गए कई पत्रों में जब किसी को महाराणा आदेश देते तो वे पत्र के अंदर मेवाड़ के दीवान के आदेश से शब्द को काम में लेते थे.

Last Updated :Mar 9, 2024, 8:48 AM IST
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