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स्टोन माइंस माफियाओं ने बदल दी नदी की धारा, खदानों में भर दिया नदी का पानी

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 17, 2024, 7:26 AM IST

Stone mines filled with river water in Palamu. पलामू के छतरपुर में माफियाओं ने नदी की धारा बदलकर स्टोन माइंस को पानी से भर दिया है. बंद पड़े माइंस में 200 से 250 फीट तक पानी जमा है. डीसी ने स्पेशल टीम का गठन कर मामले की जांच कराने की बात कही है.

Stone mines filled with river water
Stone mines filled with river water

स्टोन माइंस के बारे में जानकारी देते संवाददाता नीरज कुमार

पलामू: जिले में स्टोन माइंस माफियाओं ने नदी की धारा बदल दी है. माफियाओं ने माइंस में नदी का पानी भर दिया है. बंद पड़े स्टोन माइंस में 200 से 250 फीट तक पानी जमा है. इन माइंस की बैरिकेडिंग भी नहीं की गयी है. पूरा मामला पलामू के छतरपुर के बगैया माइंस और उससे सटे खरवार टोला माइंस का है. दोनों खदानों के बीच से एक बरसाती नदी गुजरती है, जिसे बगैया नदी कहते हैं, ग्रामीण इसे देहाती नदी ही कहते हैं. बगैया माइंस और खरवार टोला माइंस की लीज दो साल पहले ही समाप्त हो गयी है.

स्थानीय ग्रामीण रामप्रीत यादव ने बताया कि खदानें दो साल से बंद हैं, खदानों में नदी को काट कर पानी भर दिया गया है. एक युवक ने बताया कि खदानों में 200 से 300 फीट तक पानी जमा है, कभी भी खतरा हो सकता है. आसपास के इलाके के लोग भी माइंस क्षेत्र में टहलने जाते हैं. बगैया नदी बटाने नदी की सहायक नदी है, इस नदी से आसपास के कई गांवों में धान की खेती की जाती है. बरसात के दिनों में इस नदी में पानी रहता है.

स्पेशल टीम जांच कर करेगी कार्रवाई

पलामू डीसी शशि रंजन ने कहा कि मीडिया के साथ ही अन्य माध्यमों द्वारा नदी की धारा बदलने और माइंस भरने की जानकारी मिली है. स्पेशल टीम इस मामले की जांच करेगी. जल्द ही स्पेशल टीम गठित कर जांच करायी जायेगी. उन्होंने कहा कि ऐसी लापरवाही बरतने वाले सभी खदानों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. इसमें जमा पानी का उपयोग पेयजल और सिंचाई के लिए किया जाएगा.

डीजीएमएस देता है सर्टिफिकेट, कई तरह के हैं प्रावधान

माइंस से खनन को लेकर डायरेक्टर जेनरल ऑफ माइंस एंड सेफ्टी सर्टिफिकेट देती है. माइंस में खनन से पहले या बाद में एक विस्तृत योजना तैयार की जाती है. विशेषज्ञों ने बताया कि माइनिंग कंपनी यह सुनिश्चित करती है कि खनन के बाद किसी को खतरा नहीं होगा. खनन के बाद स्थानीय ग्रामीणों और ग्राम सभा की मदद से खदानों का उपयोग सार्वजनिक उपयोग के लिए किया जा सकता है. खदानों में मछली पकड़ने या अन्य गतिविधियाँ संचालित की जा सकती हैं. माइनिंग कंपनी को यह सुनिश्चित करना होता है कि खनन के बाद किसी भी जानवर या इंसान को कोई खतरा नहीं होगा.

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