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क्या बीजेपी का विजय रथ रोक पाएंगे फातमी, जानिए मधुबनी लोकसभा सीट का इतिहास और सियासी समीकरण - MADHUBANI LOK SABHA SEAT

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : May 17, 2024, 11:23 AM IST

Updated : May 17, 2024, 1:35 PM IST

MADHUBANI LOK SABHA SEAT: कभी कांग्रेस और कम्युनिस्टों का गढ़ रहा मधुबनी लोकसभा सीट अब बीजेपी का मजबूत किला बन चुका है. पिछले तीन चुनावों में बीजेपी ने अपने विरोधियों को धूल चटाते हुए मधुबनी में कमल खिलाया है. जीत का चौका लगाने की तैयारी के साथ बीजेपी ने इस बार भी मौजूदा सांसद अशोक यादव को चुनावी दंगल में उतारा है तो महागठबंधन ने अली अशरफ फातमी पर दांव लगाकर MY समीकरण को साधने की कोशिश की है,.तो क्या कहता है मधुबनी लोकसभा सीट का सियासी समीकरण आप भी जानिये.

मधुबनी लोकसभा सीट
मधुबनी लोकसभा सीट (ETV BHARAT)

मधुबनीः लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण के दौरान 20 मई को मधुबनी लोकसभा सीट पर वोटिंग होगी. जाहिर है चुनाव प्रचार अब अंतिम दौर में है. बीजेपी कैंडिडेट के पक्ष में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और सीएम नीतीश कुमार सहित कई बड़े नेता चुनावी सभाएं कर चुके हैं तो अली अशरफ फातमी के लिए भी आरजेडी नेता तेजस्वी यादव सहित महागठबंधन के कई नेता लगातार चुनावी सभाएं कर रहे हैं. इसके साथ ही मधुबनी लोकसभा सीट पर जीत-हार की तमाम रणनीतियां भी आकार होने लगी हैं, तो चलिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं मधुबनी लोकसभा सीट का इतिहास और ताजा समीकरण.

मधुबनी सीट का इतिहासः 1976 से पहले ये लोकसभा सीट जयनगर लोकसभा सीट के नाम से जानी जाती थी. पुनर्गठन के बाद 1977 में हुए पहले चुनाव में जनता पार्टी के टिकट पर हुकुमदेव नारायण यादव ने इस सीट से जीत दर्ज की थी. कभी कांग्रेस और कम्युनिस्टों के गढ़ के रूप में मशहूर मधुबनी लोकसभा सीट पर अब बीजेपी का सिक्का चलता है.

मधुबनी लोकसभा सीट
मधुबनी लोकसभा सीट (ETV BHARAT)

रिकॉर्ड वोट से जीते अशोक यादवः 2019 के लोकसभा चुनाव में तो बीजेपी के अशोक यादव ने 4 लाख 54 हजार से अधिक मतों से जीत हासिल कर बिहार में सबसे अधिक अंतर से जीतने का रिकॉर्ड बनाया था. वहीं उनके पिता और बीजेपी नेता हुकुमदेव नारायण यादव के नाम पर मधुबनी से सबसे ज्यादा 5 बार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड भी है.

NDA और महागठबंधन के बीच सीधी टक्करः बिहार की अधिकतर सीटों की तरह मधुबनी लोकसभा सीट पर भी NDA और महागठबंधन के बीच सीधी टक्कर है. NDA ने बीजेपी के मौजूदा सांसद अशोक यादव को फिर से मैदान में उतारा है तो महागठबंधन की ओर से आरजेडी के अली अशरफ फातमी इस बार चुनौती पेश कर रहे हैं. चुनाव से ठीक पहले फातमी ने जेडीयू को बाय-बाय बोलकर आरजेडी ज्वाइन की थी.

बीजेपी का मजबूत किला बन चुका है मधुबनीः पिछले कुछ चुनावों पर नजर डालें तो मधुबनी लोकसभा सीट बीजेपी का अभेद्य दुर्ग बन चुकी है.बीजेपी ने सबसे पहले 1999 के लोकसभा चुनाव में मधुबनी सीट से जीत दर्ज की, हालांकि 2004 में यहां बीजेपी की हार हुई लेकिन उसके बाद से बीजेपी यहां जीत की हैट्रिक लगा चुकी है और अब लगातार चौथी जीत की तैयारी कर रही है.

मधुबनी लोकसभा सीटः2009 से अब तकः इस सीट से 2009 में हुए चुनाव में NDA प्रत्याशी के तौर पर बीजेपी के हुकुमदेव नारायण यादव ने आरजेडी के अब्दुल बारी सिद्दीकी को हराकर जीत दर्ज की. 2014 के लोकसभा चुनाव में भी हुकुमदेव नारायण और अब्दुल बारी सिद्दीकी आमने-सामने थे और इस बार भी नतीजा दोहराते हुए हुकुमदेव ने मधुबनी में कमल खिलाया. 2019 में बीजेपी ने जीत की हैट्रिक लगाई और इस बार हुकुमदेव नारायण यादव के पुत्र अशोक यादव ने वीआईपी के बद्री कुमार पूर्वे को 4 लाख 54 हजार से अधिक मतों के अंतर से मात दी.

मधुबनीः अपनी लोक संस्कृति और पेंटिग के लिए मधुबनी पूरी दुनिया में विख्यात है. मैथिल कोकिल के नाम से प्रसिद्ध कवि विद्यापति का जन्मस्थान भी मधुबनी ही रहा है. 1972 में दरभंगा जिले से अलग होकर मधुबनी को जिले का दर्जा प्राप्त हुआ. मधुबनी को मिथिला की सांस्कृतिक राजधानी भी कहा जाता है. मधुबनी पेंटिग के जरिये यहां के कई कलाकारों ने पूरे विश्व में अपनी पहचान बनाई है.

मधुबनी में 6 विधानसभा सीटः मधुबनी लोकसभा सीट के अंतर्गत विधानसभा की 6 सीटें आती हैं. जिनमें केवटी और जाले दरभंगा जिले में हैं जबकि मधुबनी, हरलाखी, बेनीपट्टी, और बिस्फी मधुबनी जिले में हैं. इन 6 सीटों में मधुबनी को छोड़कर 5 सीटों पर NDA का कब्जा है. वहीं मधुबनी सीट पर आरजेडी का कब्जा है.

मधुबनी में जातिगत समीकरणः मधुबनी में मतदाताओं की कुल संख्या 19,34,235 है. जिनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 10,13,971 है और महिला मतदाताओं की संख्या 9,20,173 है, जबकि थर्ड जेंडर के भी 91 मतदाता हैं.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat.)

ब्राह्मण बहुल है मधुबनीः समीकरण की बात करें तो यहां सबसे अधिक ब्राह्मण वोटर्स हैं और दूसरे नंबर पर यादव मतदाताओं की संख्या है. इसके अलावा मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी जीत-हार में बड़ी भूमिका निभाती है. अति पिछड़े मतदाताओं की संख्या 6 लाख से अधिक है तो दलित 2 लाख से ऊपर और कोइरी मतदाताओं की संख्या भी 1 लाख से अधिक है.

क्या 2019 दोहरा पाएंगे अशोक यादव ?: 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के अशोक यादव ने वीआईपी के बद्री पूर्वे को बड़े भारी अंतर से हराया था. तब अशोक यादव ने कुल वोटिंग का 61.83 फीसदी हिस्सेदारी के साथ 5 लाख 95 हजार से अधिक वोट हासिल किए थे, जबकि वीआईपी के बद्री पूर्वे को 14.62 फीसदी हिस्सेदारी के साथ सिर्फ 1 लाख 40 हजार 903 वोट मिले थे. इस तरह जीत का अंतर 4 लाख 54 हजार से भी ज्यादा रहा था.इस अंतर को पाटने के लिए महागठबंधन ने इस बार MY समीकरण पर भरोसा जताते हुए अली अशरफ फातमी को अपनै कैंडिडेट बनाया है. देखना ये है कि फातमी अशोक यादव के लिए कितनी बड़ी चुनौती बन पाएंगे.

जीत के दावे कर रहे हैं दोनों प्रत्याशीः फिलहाल दोनों प्रत्याशी इस सीट से जीत के दावे कर रहे हैं. बीजेपी प्रत्याशी अशोक यादव का कहना है कि पिछले 10 सालों में केंद्र सरकार ने समाज के हर वर्ग के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं. साथ ही पूरी दुनिया में भारत की एक मजबूत छवि कायम की है. वहीं महागठबंधन का कहना है कि देश में महंगाई और बेरोजगारी चरम पर है और इस बार जनता तेजस्वी के रोजगार की गारंटी पर वोट करेगी और बीजेपी की हार होगी.

कड़ी टक्कर की उम्मीदः जीत की हैट्रिक लगा चुकी बीजेपी को अपने कैडर वोट के अलावा पीएम नरेंद्र मोदी के मैजिक पर भरोसा है तो महागठबंधन को लग रहा है कि मधुबनी में इस बार उनका MY समीकरण भारी पड़ेगा. अब देखना है कि पांचवें चरण में 20 मई को दरभंगा के मतदाता अपना बहुमूल्य मत देकर किसकी जीत की राह प्रशस्त करते हैं.

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Last Updated : May 17, 2024, 1:35 PM IST
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