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राहुल के 'मुद्दे' पर भाजपा साध रही निशाना, क्या वोट बैंक में भी लगेगी सेंध ?

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 19, 2024, 3:35 PM IST

Updated : Mar 19, 2024, 5:59 PM IST

Politics in Rajasthan
राजस्थान की राजनीति

Lok Sabha Elections 2024, राजस्थान में लोकसभा चुनाव से पहले नेताओं का कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने का सिलसिला जारी है. कांग्रेस को कमजोर करने के साथ ही पार्टी छोड़कर आने वाले इन नेताओं के जरिए भाजपा एक बड़े वोट बैंक में सेंध लगाने की भी कवायद में जुटी है. पढ़िए यह रिपोर्ट.

जयपुर. राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों पर दो चरण में होने वाले चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने वाले नेताओं की तादाद लगातार बढ़ रही है. राजस्थान के अलग-अलग क्षेत्रों और जातियों में अपनी पकड़ रखने वाले कांग्रेस के पुराने नेताओं को अपने पाले में कर भाजपा एक तरफ कांग्रेस को कमजोर करने की रणनीति अपना रही है. दूसरी तरफ, जिन क्षेत्रों और जातियों से ये नेता आते हैं. उनमें अपना वर्चस्व बढ़ाने का भी भाजपा का सपना है, ताकि किसी भी तरह राजस्थान की सभी 25 सीटों पर कमल खिलाने का लक्ष्य साधा जा सके. हालांकि, यह तो लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद ही साफ हो पाएगा कि भाजपा अपने इस लक्ष्य में कितना कामयाब हो पाती है.

जिन वर्गों की राहुल ने बात की, उनके नेता निशाने पर : कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने हाल ही में मणिपुर से मुंबई तक की अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा पूरी की है. इस पूरी यात्रा में राहुल गांधी ने आदिवासी, दलित और ओबीसी को हक दिलाने की बात कही और इन वर्गों की उपेक्षा का आरोप भाजपा पर लगाया है. राजस्थान में जो नेता कांग्रेस से भाजपा में गए हैं, उनमें से ज्यादातर दलित, ओबीसी और आदिवासी समाज से आते हैं. हालांकि, सामान्य वर्ग से आने वाले कई नेताओं ने भी कांग्रेस से हाथ छुड़ाकर भाजपा का दामन थामा है.

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सबसे पहले मालवीय ने बदला पाला : बांसवाड़ा-डूंगरपुर में प्रमुख आदिवासी चेहरे के तौर पर पहचान रखने वाले महेंद्रजीत सिंह मालवीय पहले कद्दावर नेता हैं, जो विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए. उनके जाने के बाद डूंगरपुर-बांसवाड़ा के साथ ही उदयपुर सीट पर भी सियासी समीकरण बदले हैं. उन्हें भाजपा ने डूंगरपुर-बांसवाड़ा सीट से मैदान में उतारा है. हालांकि, कांग्रेस नेताओं का कहना है कि मालवीय के जाने से पार्टी को कोई नुकसान नहीं होगा. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा तो यहां तक कह चुके हैं कि मालवीय जीतकर लोकसभा नहीं पहुंचेंगे.

एससी आयोग के अध्यक्ष बैरवा भी हुए बागी : गहलोत सरकार के समय राजस्थान अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष रहे खिलाड़ीलाल बैरवा भी मालवीय की राह पर आगे बढ़े और भाजपा के हो गए. हालांकि, उन्होंने विधानसभा चुनाव से पहले ही अपने बागी तेवर दिखा दिए थे. जब उनका बसेड़ी से कांग्रेस ने टिकट काट दिया था, लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया. हालांकि, वे बसेड़ी से टिकट कटने के बाद निर्दलीय विधानसभा चुनाव भी लड़े थे, लेकिन बहुत कम वोट हासिल कर पाए.

समधी और दामाद के साथ भाजपा के हुए कटारिया : पूर्व केंद्रीय मंत्री और गहलोत सरकार में मंत्री रहे लालचंद कटारिया प्रमुख जाट चेहरे माने जाते हैं. वे भी लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस से हाथ छुड़ाकर भाजपा में शामिल हो गए. खास बात यह है कि वे अपने समधी किसान नेता रिछपाल मिर्धा और दामाद विजयपाल मिर्धा (पूर्व विधायक, डेगाना) के साथ भाजपा में शामिल हुए. कटारिया के जरिए भाजपा ने जयपुर जिले में और मिर्धा पिता-पुत्र के जरिए नागौर जिले में जाट समाज के वोटर्स को साधने का दांव खेला है.

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नागौर के मिर्धा परिवार में बिखराव : नागौर जिले की राजनीती और कांग्रेस में किसी समय मिर्धा परिवार का दबदबा था. विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने ज्योति मिर्धा को अपने पाले में किया. फिर लोकसभा चुनाव से पहले रिछपाल मिर्धा और उनके बेटे विजयपाल मिर्धा भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए. ज्योति मिर्धा को भाजपा ने नागौर से प्रत्याशी बनाया है. ऐसे में नागौर के अलावा आसपास की सीटों पर जाट मतदाताओं पर भी इसका असर पड़ सकता है. हालांकि, रिछपाल मिर्धा और विजयपाल मिर्धा को अभी भाजपा में अपनी भूमिका तय होने का इंतजार है.

इन दो नेताओं से यादव वोट बैंक पर नजर : गहलोत सरकार में मंत्री रहे राजेंद्र सिंह यादव ने भी पिछले दिनों कांग्रेस छोड़कर भाजपा ज्वाइन कर ली. फिर कांग्रेस की पहली सूची आने के बाद टिकट नहीं मिलने से नाराज अलवर से पूर्व सांसद डॉ. कर्ण सिंह यादव रहे ने भी कांग्रेस से पल्ला झाड़ लिया और अगले ही दिन भाजपा में शामिल हो गए. इसे भी भाजपा की यादव वोट बैंक में सेंध लगाने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है. अलवर और जयपुर ग्रामीण सीट पर यादव वोट ज्यादा हैं.

रामपाल मेघवाल ने भी थामा भाजपा का दामन : एससी वर्ग कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक माना जाता रहा है. हाल ही में जालोर से आने वाले रामलाल मेघवाल व अन्य नेताओं ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा ज्वाइन की है. मेघवाल का भाजपा में शामिल होना कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. इसे भाजपा की कांग्रेस के परंपरागत एससी वोट बैंक में सेंध के तौर पर देखा जा रहा है. इसके अलावा अन्य समाजों से आने वाले कई नेताओं ने भी पिछले दिनों कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ली है.

Last Updated :Mar 19, 2024, 5:59 PM IST
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