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भाजपा प्रत्याशी ज्योति मिर्धा कांग्रेस और RLD के लिए बड़ी चुनौती, लेकिन मंजिल इतनी आसान भी नहीं

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 3, 2024, 12:22 PM IST

Jyoti Mirdha, नागौर लोकसभा चुनाव में भाजपा ने डॉ. ज्योति मिर्धा को पार्टी का प्रत्याशी घोषित किया है. इसके बाद अब नागौर की राजनीति में एक बार फिर कुछ बदलाव देखने को मिलेगा. विधानसभा चुनाव हार चुकीं मिर्धा अब लोकसभा चुनाव लड़ेंगी. जिसमें कांग्रेसी नेता रिछपाल मिर्धा समेत कई कांग्रेसी नेता भी ज्योति के समर्थन में प्रचार की कमान संभालेंगे.

Lok Sabha Elections 2024
ज्योति मिर्धा कांग्रेस और आरएलपी के लिए बड़ी चुनौती

कुचामनसिटी. नागौर लोकसभा चुनाव में भाजपा ने डॉ. ज्योति मिर्धा को पार्टी का प्रत्याशी घोषित किया है. इसके बाद अब नागौर की राजनीति में एक बार फिर कुछ बदलाव देखने को मिलेगा. विधानसभा चुनाव हार चुकीं मिर्धा अब लोकसभा चुनाव लड़ेंगी, जिसमें कांग्रेसी नेता रिछपाल मिर्धा समेत कई कांग्रेसी नेता भी ज्योति के समर्थन में प्रचार की कमान संभालेंगे.

नागौर लोकसभा चुनाव को लेकर अब सभी प्रमुख पार्टियां अपनी रणनीति बनाने में जुटी हैं. इस दौरान नेताओं के खेमा बदलने की खबरें भी सामने आती रही हैं. कभी कद्दावर कांग्रेसी रहीं ज्योति मिर्धा ने कुछ महीने पहले ही बीजेपी का दामन थाम लिया था और नागौर विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी के रूप में विधानसभा चुनाव भी लड़ा था, लेकिन हार का सामना करना पड़ा. नागौर में पेशे से डॉक्टर ज्योति मिर्धा 2009 में नागौर से लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बनीं. वो कांग्रेस से विधायक भी रहीं. हालांकि 2014 और 2019 चुनाव में उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा.

नागौर लोकसभा सीट से कांग्रेस की पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा के भाजपा में शामिल होने के बाद राजनीतिक उठापटक हो रही है. ज्योति कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे नाथूराम मिर्धा की पोती हैं. नाथूराम मिर्धा की कांग्रेस और राज्य की राजनीति में अच्छी पकड़ थी. वह सांसद और विधायक रहे थे. मिर्धा परिवार दशकों तक मारवाड़ की राजनीति की धुरी भी रहा है. ज्योति ने 2009 में नागौर से लोकसभा चुनाव जीता, लेकिन उसके बाद वह लगातार 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव और विधानसभा 2024 का चुनाव हार चुकीं हैं. नागौर जिले में कुल 10 विधानसभा सीटें हैं और लोकसभा में 8 विधानसभा सीटें है. मेड़ता और डेगाना राजसमन्द लोकसभा क्षेत्र में आते हैं. भाजपा को ज्योति के आने से यहां की कुछ सीटों पर फायदा मिला था. हालांकि ज्योति मिर्धा की पहचान मुख्यतया उनके दादा के नाम से ही है.

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कांग्रेस ने दिया था तीन बार टिकट : 2009 में नाथूराम मिर्धा की पोती होने के कारण उन्हें लोगों का भारी समर्थन मिल गया, लेकिन उसके बाद कभी वैसा समर्थन नहीं मिल पाया. 2009 के बाद 2014 और फिर 2019, कांग्रेस ने लगातार तीन बार ज्योति मिर्धा को लोकसभा चुनाव का टिकट दिया. तब उनके समर्थन में यह नारा भी चलाया गया- ‘बाबा की पोती है, नागौर की ज्योति है’. लेकिन इस नारे का कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा.

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2019 में भाजपा ने किया था रालोपा से गठबंधन : राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के हनुमान बेनीवाल के सामने ज्योति मिर्धा को 2019 में फिर हार का सामना करना पड़ा. उस समय भाजपा ने बेनीवाल से गठबंधन किया था. नागौर जाट बाहुल्य इलाका है. पिछले कुछ वर्षों में इस इलाके में RLP ने अपनी पकड़ बनाने की काफी कोशिश की है. BJP में जाने के बाद ज्योति हनुमान बेनीवाल को यह कहते हुए चुनौती दे रही हैं कि पिछली बार वह भाजपा के समर्थन से जीते थे, इस बार अपने अकेले के दम पर जीत कर दिखाएं. ज्योति के दादा का जाट बहुल क्षेत्रों में अच्छा प्रभाव था. ऐसे में अब देखना होगा कि भाजपा के बैनर तले क्या ज्योति लोकसभा चुनाव में कोई कमाल दिखा सकती हैं ? 26 जुलाई, 1972 को नई दिल्ली में जन्मीं ज्योति ने जयपुर के SMS मेडिकल कॉलेज से MBBS की डिग्री ली है.

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