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मुलायम सिंह यादव की कर्मभूमि संभल में बेहद रोचक हुआ मुकाबला, इन दो पार्टियों में होगी कांटे की टक्कर - lok sabha election 2024

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 20, 2024, 8:38 PM IST

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लोकसभा चुनाव 2024 के प्रथम चरण का चुनाव संपन्न हो चुका है. यूपी की संभल लोकसभा सीट (lok sabha election 2024) पर इस चुनाव काफी दिलचस्प नजर आ रहा है. आइये जानते हैं कि यह सीट कब किसके खाते में गई?

संभल : उत्तर प्रदेश की संभल लोकसभा सीट प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की कर्मभूमि के रूप में जानी जाती है. मुस्लिम बाहुल्य इस सीट पर फिलहाल समाजवादी पार्टी का कब्जा है. एक समय में यहां पर यादव बिरादरी का दबदबा रहा करता था, क्योंकि यहां से 6 सांसद यादव बिरादरी से चुने गए थे. लेकिन, अब परिसीमन के बाद इस सीट पर यादव बिरादरी का दबदबा कुछ कम हो गया है. 2014 के चुनाव को छोड़ दिया जाए तो यहां पर सपा और बसपा का ही दबदबा रहा है, यहां से चार बार सपा और दो बार बसपा के सांसद रहे हैं.

2014 में मोदी लहर में भाजपा के सत्यपाल सिंह सैनी यहां से सांसद बने थे. वहीं, अब 2024 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने जिया उर रहमान बर्क को चुनावी मैदान में उतारा है. भाजपा ने 2019 के बाद लगातार दूसरी बार परमेश्वर लाल सैनी पर भरोसा जताया है. 2019 के चुनाव में परमेश्वर लाल सैनी सपा के डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क से करीब पौने दो लाख वोट से हार गए थे. बसपा ने संभल सीट से पूर्व विधायक शौलत अली को टिकट दिया है. संभल लोकसभा सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला है हालांकि, टक्कर सपा और भाजपा के बीच मानी जा रही है.

सभी दलों ने प्रत्याशियों का किया एलान : आपको बता दें कि चुनावी मैदान में उत्तर प्रदेश की संभल लोकसभा सीट इस समय सबसे हॉट सीट है, यहां पर चुनावी घमासान शुरू हो गया है. सभी दलों ने अपने-अपने प्रत्याशियों का एलान कर दिया है. इस सीट पर समाजवादी पार्टी के सांसद रहे डॉ शफीकुर्रहमान बर्क का बीते 27 फरवरी को निधन हो गया था. 2019 के लोकसभा चुनाव में संभल सीट से समाजवादी पार्टी के डॉ शफीकुर्रहमान बर्क विजयी हुए थे, तब डॉ बर्क को 6.58 लाख वोट मिले थे. उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार परमेश्वर लाल सैनी को हराया था.

बीजेपी को 4.83 लाख वोट मिले थे. करीब पौने दो लाख वोट से सपा उम्मीदवार डॉ बर्क चुनाव जीते थे. समाजवादी पार्टी ने डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क के निधन के बाद संभल सीट से उनके पोते एवं मुरादाबाद की कुंदरकी विधानसभा सीट से सपा विधायक जियाउर्रहमान को टिकट देकर चुनावी मैदान उतारा है. सियासी रूप से यहां बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी ने ज्यादा राज किया है. वोटरों के लिहाज से संभल लोकसभा क्षेत्र में कुल वोटरों की संख्या 18,92,360 हैं. इसमें 10,09,956 पुरुष मतदाता और 8,82,404 महिला वोटर हैं.

सीट पर 50 फीसदी से अधिक मुस्लिम मतदाता : संभल सीट को मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र माना जाता है. संभल लोकसभा सीट पर 50 फीसदी से अधिक मुस्लिम मतदाता हैं, जबकि 40 फीसदी के करीब हिंदू वोटर्स हैं. अनुसूचित जाति के करीब 2.75 लाख मतदाता हैं तो वहीं 1.5 लाख वोटर्स यादव बिरादरी से आते हैं. 5.25 लाख मतदाता पिछड़ा और सामान्य वर्ग के हैं. मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अधिक होने की वजह से हमेशा संभल सीट पर एसपी और बीएसपी की जीत होती रही है.

कांग्रेस ने आखिरी बार यहां 1984 में जीत दर्ज की थी, तब शांति देवी यहां से कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव जीतकर सांसद बनी थीं. तब से लेकर अब तक कांग्रेस यहां से चुनाव नहीं जीत सकी है. संभल सीट को यादव परिवार का गढ़ माना जाता रहा है. 1989 से लेकर 2004 तक के लगातार 6 चुनाव में यादव बिरादरी के नेता ही चुनाव जीतने में कामयाब रहे. हालांकि, बाद में परिसीमन के बाद इस सीट पर यादव बिरादरी का दबदबा कुछ कम हो गया. फिलहाल मौजूदा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क के निधन के बाद एक बार संभल का समीकरण बदलता हुआ दिखाई दे रहा है. इस सीट पर तीसरे चरण में 7 मई को मतदान है.

1977 में अस्तित्व में आई लोकसभा सीट: संभल लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा सीट संभल, असमोली, चंदौसी, बिलारी और कुंदरकी आती है. इसमें से चंदौसी को छोड़कर सभी पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है. संभल में इकबाल महमूद, असमोली में पिंकी यादव, बिलारी में फहीम और कुंदरकी में जिया उर रहमान बर्क सपा विधायक हैं. जबकि, चंदौसी में बीजेपी विधायक और वर्तमान में उत्तर प्रदेश सरकार में माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री गुलाब देवी हैं. संभल लोकसभा सीट 1977 में अस्तित्व में आई थी. यहां भारतीय लोकदल से शांति देवी पहली सांसद चुनी गई थीं. 1980 और 1984 के चुनाव में यह सीट कांग्रेस के खाते में आ गई.

1980 के चुनाव में कांग्रेस से विजेंद्र पाल सिंह यादव यहां सांसद बने तो वहीं 1984 में शांति देवी कांग्रेस के टिकट पर सांसद बनीं. 1989 और 1991 में इस सीट से जनता दल के श्रीपाल सिंह यादव ने जीत हासिल की. 1996 में बीएसपी के डीपी यादव सांसद बने. इस तरह से संभल सीट से यादव दबदबा शुरू हुआ. 1998 और 1999 के चुनाव में समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव सांसद बने, जबकि 2004 में मुलायम सिंह के भाई राम गोपाल यादव यहां से सांसद चुने गए. 2009 के चुनाव में यह सीट मुलायम परिवार से फिसल कर बहुजन समाज पार्टी के खाते में आ गई और डॉ शफीकुर्रहमान बर्क हाथी पर सवार होकर संसद पहुंचे.

भारतीय जनता पार्टी को हासिल हुई जीत: 2014 में यहां से पहली बार भारतीय जनता पार्टी को जीत हासिल हुई. मोदी लहर में सत्यपाल सिंह सैनी सांसद बने. तब डॉ शफीकुर्रहमान बर्क समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. 2019 के चुनाव में समाजवादी पार्टी ने डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क को साइकिल के निशान पर चुनाव मैदान में उतारा तो वहीं, भाजपा ने परमेश्वर लाल सैनी को टिकट दिया था. लेकिन, परमेश्वर लाल सैनी को पराजय का सामना करना पड़ा था. सपा के डॉ. बर्क ने उन्हें करीब पौने दो लाख वोट से हराया था. हालांकि, अब 2024 के लिए बीजेपी ने फिर से परमेश्वर लाल सैनी पर ही भरोसा जताया है. जबकि, समाजवादी पार्टी ने डॉ शफीकुर्रहमान बर्क के निधन के बाद उनके विधायक पौत्र ज़िया उर रहमान बर्क को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा है.

इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी ने शौलत अली को टिकट दिया है. ऐसे में संभल लोकसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है, लेकिन माना जा रहा है कि यहां सपा और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर रहेगी. हालांकि संभल लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी का कब्जा रहता है या फिर भाजपा 2014 का इतिहास दोहराएगी यह तो लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद ही पता चल पाएगा. लेकिन, फिलहाल समाजवादी पार्टी का गढ़ कहे जाने वाले संभल सीट पर भाजपा का जीतना आसान नहीं है.

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