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भाजपा और कांग्रेस की हॉट सीट रही है पूर्वी दिल्ली, इस बार कांग्रेस नहीं उतार रही उम्मीदवार

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 27, 2024, 5:03 PM IST

Updated : Feb 28, 2024, 7:49 PM IST

Lok Sabha election 2024: पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट कांग्रेस के लिए काफी भाग्यशाली सीट रही है. इस सीट का अपना इतिहास है. जहां कांग्रेस और भाजपा दोनों का बारी-बारी से दबदबा रहा है. हालांकि, इस बार गठबंधन के कारण यह सीट आम आदमी पार्टी के खाते में चली गई है.

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नई दिल्ली: 17वीं लोकसभा का कार्यकाल खत्म होने का काउंटडाउन शुरू हो गया है. ऐसे में अगले लोकसभा चुनाव को लेकर भी माहौल बनने लगा है. दिल्ली में जहां सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के साथ देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस का गठबंधन हो गया है तो वहीं, अन्य विपक्षी पार्टियों में भी गठबंधन को लेकर रस्साकशी चल रही है. दिल्ली की सात लोकसभा सीटों में से चार पर आम आदमी पार्टी और तीन पर कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने जा रही हैं.

इन दोनों पार्टियों के गठबंधन से दिल्ली में नए राजनीतिक समीकरण बने हैं तो वहीं, कई नई चीजें भी इस बार होने जा रही हैं. इस सीट का अधिकतर हिस्सा उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद और नोएडा से लगा है. यह सीट जीतने वाली पार्टी को अधिकतर केंद्र की सत्ता में पहुंचाने के लिए जाना जाता है. एक दो बार के अपवाद को छोड़ दें तो इस सीट से जीत दर्ज करने वाली पार्टी को केंद्र की सत्ता का सुख भोगने का मौका जरूर मिला है.

पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट: अगर बात पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट की करें तो यह सीट कांग्रेस के लिए काफी भाग्यशाली सीट रही है. इस सीट का भी अपना इतिहास है. इस सीट पर कांग्रेस और भाजपा दोनों का ही बारी-बारी से दबदबा रहा है. हालांकि, 1966 में अस्तित्व में आने के बाद से पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट पर 2019 तक कांग्रेस ने हमेशा चुनाव लड़ा. लेकिन, 2024 के चुनाव में पहली बार ऐसा होने जा रहा है जब कांग्रेस का प्रत्याशी इस सीट पर मैदान में नहीं होगा.

इसका कारण है गठबंधन में इस सीट का आम आदमी पार्टी के खाते में जाना. पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट में दिल्ली के 10 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. इनमें विश्वास नगर, लक्ष्मी नगर, कोंडली, पटपड़गंज, कृष्णा नगर, ओखला, जंगपुरा, त्रिलोकपुरी, गांधी नगर और शाहदरा. इनमें से ओखला और जंगपुरा सीट मुस्लिम बाहुल्य हैं. इन 10 में से तीन सीट भाजपा और सात आम आदमी पार्टी के पास हैं. दिल्ली के पूर्वी और शाहदरा दो जिलों में यह संसदीय क्षेत्र फैला हुआ है. विश्व प्रसिद्ध अक्षरधाम मंदिर और जामिया मिल्लिया इस्लामिया, निजामुद्दीन औलिया की दरगाह इसी लोकसभा क्षेत्र में स्थित हैं.

पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र की आबादी: यहां की आबादी 25 लाख से अधिक है. चुनाव आयोग के वर्ष 2009 के आंकड़ों के अनुसार इसमें 16 लाख चार हजार 795 कुल मतदाता हैं. इनमें से 8,92,934 पुरुष और 7,11, 861 महिला मतदाता हैं. इसमें दिल्ली नगर निगम के 30 से ज्यादा वार्ड आते हैं.

पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र की आबादी
पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र की आबादी

कांग्रेस के लिए लकी रही यह सीट: वर्ष 1966 में जब यह सीट अस्तित्व में आई तो 1967 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में यहां भारतीय जनसंघ के हरदयाल देवगन ने कांग्रेस प्रत्याशी को हराकर जीत दर्ज की. इसके बाद अगले चुनाव में कांग्रेस के हरि कृष्ण लाल भगत (जिन्हें आज भी पूर्वी दिल्ली के लोग (एचकेएल) भगत के नाम से जानते हैं) ने चुनाव में जीत दर्ज की. अगले चुनाव में कांग्रेस की हार हुई और जनता पार्टी की जीत. यह आपातकाल के बाद का चुनाव था.

इसके बाद 1980 के चुनाव में कांग्रेस ने फिर हरि कृष्ण लाल भगत को टिकट दिया. इस चुनाव में जीत के बाद भगत ने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा और वे इंदिरा गांधी के खास बन गए. भगत ने इस सीट से एक के बाद एक लगातार तीन जीत दर्ज की. फलस्वरूप उन्हें तत्कालीन केंद्र सरकार में राज्यमंत्री भी बनाया गया. अगर इस सीट पर 1967 के पहले चुनाव और 1991 के चुनाव को छोड़ दें तो बाकी के चुनावों में यह सीट कांग्रेस के लिए इतनी भाग्यशाली रही है कि जब भी कांग्रेस इस सीट पर चुनाव जीती तो निश्चित रूप से उसकी केंद्र में सरकार बनी. आंकड़ें खुद इस बात की गवाही दे रहे हैं.

चुनावी वर्ष विजेता और पार्टी का नाम
चुनावी वर्ष विजेता और पार्टी का नाम

किसके पास कितनी बार रही यह सीट: 1967 में इस सीट पर पहला चुनाव हुआ, जिसमें भारतीय जनसंघ के देवगन ने बाजी मारी. इस तरह 1967 से अब तक कुल 15 चुनाव हुए हैं. इनमें से सात बार कांग्रेस, छह बार भाजपा, एक बार जनता पार्टी और एक बार भारतीय जनसंघ ने जीत दर्ज की है. हालांकि, भाजपा भारतीय जनसंघ का ही परिवर्तित स्वरूप है. जनसंघ की जीत को भी भाजपा के खाते में जोड़ें तो भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों का इस सीट पर बराबर कब्जा रहा है.

इस सीट पर मां को देखनी पड़ी हार, बेटे ने दो बार दर्ज की जीत: पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट पर दिल्ली की मुख्यमंत्री बनने से पहले वर्ष 1998 में शीला दीक्षित ने भी चुनाव लड़ा था. लेकिन, उन्हें भाजपा के लाल बिहारी तिवारी से 45 हजार से भी अधिक मतों से हार का सामना करना पड़ा था. हालांकि, इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में शीला दीक्षित ने नई दिल्ली विधानसभा सीट पर जीत दर्ज करते हुए दिल्ली का मुख्यमंत्री पद संभाला था. जिस पर वह लगातार 15 साल तक काबिज रहीं.

हालांकि, उनके मुख्यमंत्री रहते हुए 1999 के लोकसभा चुनाव में भी इस सीट पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद वर्ष 2004 और 2009 में शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित ने इस सीट को जीतकर कांग्रेस की झोली में डाला. उस समय भी शीला दीक्षित मुख्यमंत्री थीं.

2019 लोकसभा चुनाव परिणाम: 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां मुख्य रूप से भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे. भाजपा से पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर, कांग्रेस मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली और आप से मौजूदा शिक्षा मंत्री आतिशी चुनवा मैदान में थीं. भाजपा प्रत्याशी गौतम गंभीर ने कुल 6,96,156 वोट पाकर जीत दर्ज की. जबकि लवली को 3,04, 934 और आतिशी को 2,19,328 वोट मिले. गंभीर ने 3,91,222 वोंटों के भारी अंतर से जीत दर्ज की.

पिछले आंकड़ों के अनुसार अगर कांग्रेस और आप दोनों के प्रत्याशियों के वोटों को जोड़ दिया जाए तो भी यह सीट इस बार गंठबंधन करके भी जीतना काफी मुश्किल लगता है. दोनों के वोटों को मिलाकर भी करीब डेढ़ लाख वोट भाजपा प्रत्याशी को अधिक मिले थे.

पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट के दावेदार: भाजपा से इस बार मौजूदा सांसद गौतम गंभीर को टिकट मिलने की संभावना कम है. इसका कारण उनका क्षेत्र में कम सक्रिय रहना बताया जा रहा है. यहां से भाजपा विधायक ओम प्रकाश शर्मा, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विरेंद्र सचदेवा, उपाध्यक्ष विष्णु मित्तल, प्रदेश मंत्री विनोद बछेती और पूर्व प्रदेश महामंत्री कुलजीत चहल शामिल हैं. वहीं, आम आदमी पार्टी ने विधायक कुलदीप कुमार को टिकट दे दिया है.

Last Updated : Feb 28, 2024, 7:49 PM IST
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