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झारखंड महिला आयोग के साथ हो रहा अन्याय, शिकायतों के निपटारे के लिए आखिर कहां जाएं आधी आबादी? - Jharkhand Women Commission

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : May 17, 2024, 7:57 PM IST

Jharkhand Women Commission Chairperson Post vacant. झारखंड में महिला आयोग के कार्यालय में वर्ष 2020 से अध्यक्ष का पद खाली है. इस कारण महिला की समस्याओं से संबंधित मामलों का निष्पादन नहीं हो पा रहा है.

JHARKHAND WOMEN COMMISSION
झारखंड महिला आयोग का कार्यालय और अध्यक्ष के चेंबर में लगा ताला. (फोटो-ईटीवी भारत)

झारखंड महिला आयोग कार्यालय की बदहाली पर रिपोर्ट और जानकारी देते संवाददाता हितेश कुमार चौधरी. (वीडियो-ईटीवी भारत)

रांची: देशभर में लोकसभा चुनाव हो रहा है और चुनाव के माहौल में हर दल युवा, बुजुर्ग और महिलाओं के हित को लेकर बातें कर रहा है, लेकिन झारखंड में आधी आबादी की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. इसका प्रमुख कारण यह है कि महिलाओं को न्याय दिलाने वाली संस्था महिला आयोग का संचालन पिछले चार वर्षों से ज्यादा समय से झारखंड में नहीं हो रहा है.

आयोग के कार्यालय में महिलाओं की समस्या सुनने वाला कोई नहीं

झारखंड में महिलाओं को न्याय दिलाने वाली संस्था महिला आयोग के कार्यालय की स्थिति काफी दयनीय है. आयोग के कार्यालय में अब महिलाएं अपनी समस्या लेकर नहीं पहुंच रही हैं. इसका वजह है कि कार्यालय में महिलाओं की समस्या सुनने वाला कोई नहीं है.

2020 से महिला आयोग की अध्यक्ष का पद है खाली

इस संबंध में आयोग में काम करने वाले कर्मचारी सुरेंद्र कुमार बताते हैं कि पिछले वर्ष 2020 में तत्कालीन महिला आयोग की अध्यक्ष कल्याणी शरण का कार्यकाल समाप्त हुआ था. उसके बाद से अब तक महिला आयोग की अध्यक्ष का चयन नहीं हो पाया है. इस कारण वर्षों से आयोग में काम करने वाले कर्मचारियों को वेतन भी नहीं मिल पा रहा है.

सुरेंद्र कुमार बताते हैं कि अध्यक्ष का कार्यकाल समाप्त होने के बाद लगभग 15 महीने तक बिना वेतन के सभी कर्मचारियों ने काम किया और जब वेतन देने की बारी आई तो यह कहकर टाल दिया गया कि जब अध्यक्ष का चयन होगा तो सभी को वेतन मुहैया कराया जाएगा.

आयोग में काम करने वाले कर्मचारियों को कई महीनों से नहीं मिला है वेतन

वहीं आयोग में काम करने वाले कर्मचारी अनीश झा बताते हैं कि कई महीनों का वेतन बकाया रखने के साथ-साथ उन्हें काम से भी निकाल दिया गया है. कुछ कर्मचारियों को काम पर रखा गया है जो सिर्फ शिकायत लेकर आने वाली महिलाओं के आवेदन को रिसीव करते हैं.

आयोग में सिर्फ आवेदन किए जा रहे रिसीव

झारखंड महिला आयोग में काम करने वाली रूपा कुमारी बताती हैं कि जो भी शिकायतकर्ता आयोग में पहुंचती हैं उनकी शिकायत संबंधी आवेदन रिसीव कर लिया जाता है, लेकिन उनका निष्पादन नहीं हो पाता. क्योंकि बिना अध्यक्ष और सदस्य के मामले का निष्पादन होना संभव नहीं है.

महिला आयोग में नहीं हो पा रहा मामलों का निष्पादन

वहीं महिला आयोग में काम करने वाली सचिव स्तर के पदाधिकारी विक्रमा राम बताते हैं कि जो भी शिकायतें आ रही हैं उसे पेंडिंग रखा जा रहा है. क्योंकि बिना आयोग की अध्यक्ष और सदस्य के मामले का निष्पादन नहीं हो सकता.

झारखंड में महिलाओं के विरुद्ध आपराधिक मामले में वृद्धि

इस संबंध में महिलाओं के लिए झारखंड और बिहार में काम कर रही सामाजिक कार्यकर्ता और एनजीओ संचालिका सोमी दत्ता बताती हैं कि झारखंड जैसे प्रदेश में महिला आयोग के अध्यक्ष का होना बहुत ही जरूरी है. क्योंकि पुलिस रिकॉर्ड को देखें तो पिछले तीन वर्षों में महिलाओं के विरुद्ध अपराधिक मामले में वृद्धि देखने को मिली है. उन्होंने कहा कि कई ऐसे मामले हैं जो दब जाते हैं.

उन्होंने कहा कि यदि झारखंड महिला आयोग में अध्यक्ष और बाकी के कर्मचारी होते तो शायद ऐसी स्थिति नहीं होती. महिलाओं के विरुद्ध आपराधिक मामले आने पर आयोग के सदस्य और कर्मचारी ऐसे मामलों पर अपने स्तर से पड़ताल करते हैं. जिससे महिलाओं के साथ हुए दुर्व्यवहार और दुराचार का खुलासा हो पता है.

झारखंड में महिलाएं पिछड़ेपन और अशिक्षा की शिकार

एनजीओ संचालिका सोमी दत्ता ने बताती हैं कि झारखंड में आज भी आधी से अधिक महिलाएं पिछड़ेपन और अशिक्षा की शिकार हैं. कई बार महिलाएं अपनी समस्या को खुलकर नहीं बता पाती हैं. ऐसे में महिला आयोग ऐसी महिलाओं को जागरूक कर उन्हें अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित करता है.

झारखंड में महिला आयोग का निष्क्रिय होने दुर्भाग्यपूर्णः सोमी दत्ता

सोमी दत्ता ने बताया कि झारखंड जैसे प्रदेश में महिला आयोग का निष्क्रिय होना दुर्भाग्यपूर्ण है. जरूरत है महिला आयोग के अध्यक्ष का सरकार जल्द से जल्द चयन करें, ताकि राज्य की महिलाओं की पेंडिंग शिकायतों का निदान हो और राज्य की महिलाएं खुद को सुरक्षित महसूस कर सकें.

आयोग में महिला से जड़े पांच हजार से अधिक केस पेंडिंग

बताते चलें कि वर्तमान में करीब महिलाओं के विरुद्ध पांच हजार से अधिक मामले पेंडिंग हैं. इस वजह से महिलाओं को निराश होकर महिला आयोग के कार्यालय से वापस जाना पड़ रहा है.

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