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पीएम मोदी का गोद लिया गांव अब इस हाल में, जानिए कैसे टूटा घर-घर सोलर का सपना? - PM Modi adopted village condition

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 12, 2024, 12:28 PM IST

रातों रात चर्चा में आने वाला पीएम मोदी का गोद लिया पहला आदर्श सांसद गांव जयापुर का हाल अब कुछ और ही है. ईटीवी भारत ने गांव जाकर सही मायनों में जो वादे किए गए थे, उसकी तहकीकात की है. स्थानिय लोगों ने इस गांव की कुछ और ही तस्वीर हमारे सामने पेश की. देखें यह रिपोर्ट.

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पीएम मोदी का गोद लिया गांव अब है इस हाल में (Etv Bharat reporter)

वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2014 में बनारस से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद प्रधानमंत्री बने, तो उन्होंने कुछ अलग करने के लिए सांसदों को प्रेरित करना शुरू किया. उसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र बनारस की एक रैली में गांव को आदर्श सांसद गांव बनाने के लिए गोद लेने के ऐलान के साथ की. 2014 में पीएम मोदी ने सबसे पहले वाराणसी शहर से लगभग 25 किलोमीटर दूर बसे जयापुर गांव को गोद लिया.

स्थानिय लोगों और ग्राम प्रधान ने दी जानकारी (etv bharat reporter)

जयापुर गांव पीएम मोदी के गोद लेने के साथ ही अचानक से चर्चा में आ गया. रातों-रात इस गांव का नाम हर की जुबान पर चढ़ गया. खैर चर्चा में आने के बाद इस गांव की तस्वीर और तकदीर भी बदलने लगी. जो गांव कभी विकास के नाम से भी कोसों दूर था, वहां रातों-रात इतनी कंपनियों और गो पहुंच गई कि काम धड़ाधड़ शुरू हो गया. सरकारी व्यवस्था के साथ प्राइवेट सेक्टर ने भी जमकर यहां पर काम किया. लेकिन, वास्तव में अब 10 साल बाद पीएम मोदी के पहले गोद लिए गांव की हकीकत क्या है, इस गांव का वह रियल चेहरा जिसे 10 साल पहले चमकाया गया था. इन्हीं सवालों का जवाब तलाशने के लिए ईटीवी भारत की टीम आज जयपुर गांव पहुंची. जहां हमें कुछ अच्छा और कुछ बुरा दोनों देखने मिला.

नहीं है यहां हर घर सोलर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गोद लिए गांव जयपुर में हर घर सोलर का सपना टूटा दिखाई दिया. इसकी बड़ी वजह यह है कि कुछ सामाजिक संस्थाओं और एनजीओज की मदद से यहां पर 25-25 किलो वाट के 2 सोलर प्लांट लगाए गए. इस सोलर प्लांट के जरिए जयापुर गांव के 650 घरों को दो यूनिट बिजली का कनेक्शन देकर रोशन करने का काम किया गया. लेकिन, लगभग 2 वर्षों से ज्यादा का समय बीत चुका है. यह सोलर संयंत्र पूरी तरह से खराब पड़ा है. इस बारे में खुद यहां के ग्रामप्रधान राजकुमार यादव का कहना है, कि 10 सालों में जो जरूरत थी. वह सब मिला. आमतौर पर गांव में बैंक नहीं होते,लेकिन यहां पर दो बैंक खुला.

दोनों सरकारी बैंकों के खुलने के साथ ही डाकघर की व्यवस्था मिली. प्राथमिक विद्यालय वह भी एकदम स्टैंडर्ड लेवल का खुला. महिलाओं को रोजगार देने के लिए खादी ट्रेनिंग सेंटर खुला. जिसमें 200 से ज्यादा ग्रामीण महिलाएं धागा काटने और सूत कातने का काम करती हैं. इसके अलावा किसानों के लिए गेहूं क्रय केंद्र, पंचायत भवन, बच्चों के खेलने के लिए मैदान, लोगों के बैठने के लिए विश्राम स्थल. यह तमाम सुविधा उपलब्ध करवाई गई. इसके अलावा अटल नगर का निर्माण भी किया गया. साथ ही सामुदायिक शौचालय और प्रधानमंत्री आवास भी यहां पर दिए गए हैं. इन 10 सालों में इस गांव में इतना बदलाव आया है, जो किसी शहरी क्षेत्र में भी संभव नहीं है. इतनी तेजी से हुए बदलाव के बाद लोगों की जीवन शैली में भी बदलाव आया है.

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प्राथमिक विद्यालय की है जरूरत: हालांकि, ग्राम प्रधान ने खुद माना कि अभी बहुत से क्षेत्रों में काम होना बाकी है, जो गांव को कनेक्ट करने वाली सड़क हैं, वह अभी भी खराब पड़ी है. इनको ठीक करना जरुरी है. इसके अलावा गांव में इंटर कॉलेज नहीं है. बालिकाओं के लिए एक प्राथमिक विद्यालय की जरूरत है, ताकि बालिकाओं को दूर पढ़ने के लिए न जाना पड़े. इन सब के अलावा सबसे महत्वपूर्ण है, यहां लगा सोलर प्लांट 25- 25 किलोवाट के दो सोलर प्लांट यहां पर दो हिस्सों में लगाए गए हैं. जिससे 650 घरों को शाम के वक्त दो कनेक्शन देकर घर रोशन करने का काम किया जा रहा था. इसके बदले में एक नॉमिनल चार्ज 20 रुपये महीना हर घर से लिया भी जाता था, लेकिन यह प्लांट लंबे वक्त से खराब है और इसे ठीक करने की व्यवस्था लगातार की जा रही है, लेकिन कामयाबी नहीं मिल रही है.

अब तक नहीं मिला रोजगार: इस गांव के लोगों की मिली जुली प्रतिक्रिया है. गांव की महिलाओं का कहना है कि विकास तो बहुत हुआ, लेकिन अभी भी गांव की महिलाओं को रोजगार की तलाश है. जिसके लिए उन्हें इधर-उधर जाना पड़ता है. यहां कोई ट्रेनिंग सेंटर और महिलाओं के रोजगार की व्यवस्था हो जाए तो बहुत अच्छा होगा. वहीं स्थानीय लोगों का कहना है, कि 10 साल पहले जो मिला, उसे संजोकर रखना मुश्किल हो रहा है, जो तोहफा दिया गया उसे कभी मेंटेन करने की कोशिश किसी ने की ही नहीं है. ग्राम प्रधान या किसी से भी कहो तो कोई सुनता नहीं है.

हालांकि, कुछ लोगों का कहना है कि सारी जिम्मेदारी प्रधानमंत्री या ग्राम प्रधान की नहीं है स्थानीय लोगों की भी है. सब लोग मिलकर अगर अपने गांव को डेवलप करेंगे और मेंटेन करेंगे, तो शिकायत करने का मौका भी नहीं मिलेगा. फिलहाल, जयापुर की जो हकीकत है वह आपके सामने है. 10 साल के विकास का आईना यह साफ तौर पर लोगों को दिखाई दे रहा है. लेकिन, कुछ मामलों में जयपुर में हुआ विकास औंधे मुंह गिरा हुआ है. खास तौर पर सड़क सोलर प्लांट और अंधकार मिटाने के लिए लगी स्ट्रीट लाइट्स. इन सबको दुरुस्त करने के बाद इस गांव को आदर्श गांव माना जा सकता है.

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