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Special : आज ही के दिन धमाकों से दहला था जयपुर, हर साल 13 मई को जख्म हो जाते हैं हरे - Jaipur bomb blast 2008

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 13, 2024, 9:25 AM IST

Updated : May 13, 2024, 1:10 PM IST

जयपुर में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों की आज 16वीं बरसी है. 13 मई 2008 की वो शाम जब गुलाबी शहर की सड़कें लाल हो गई थी. परकोटे में 8 जगह हुए बम ब्लास्ट में 71 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी. जहां ये बम ब्लास्ट हुए वहां आज भी उस भयावह मंजर के निशां बाकी है. जो लोग इसकी चपेट में आए उनके जिस्मों पर आज भी वो जख्म देखे जा सकते हैं, क्योंकि जयपुर के गुनहगार अभी भी जिंदा है.

JAIPUR BOMB BLAST 2008
JAIPUR BOMB BLAST 2008 (फोटो : ईटीवी भारत)

जयपुर बम ब्लास्ट की कहानी (वीडियो फोटो : ईटीवी भारत)

जयपुर . जयपुर में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों की आज 16वीं बरसी है. परकोटे में आठ जगह हुए बम ब्लास्ट में 71 लोगों की मौत हो गई थी. इन बम धमाकों में जिन्होंने अपनों को खोया वो आज भी 13 मई की शाम को याद कर सिहर उठते हैं. यही नहीं, जहां ये बम ब्लास्ट हुए वहां आज भी उस भयावह मंजर के निशां बाकी है. जो लोग इसकी चपेट में आए उनके जिस्मों पर आज भी वो जख्म देखे जा सकते हैं. ये जख्म आज भी हरे हैं, क्योंकि जयपुर के गुनहगार अभी भी जिंदा है.

13 मई 2008 की वो शाम जब गुलाबी शहर की सड़कें लाल हो गई थी. जयपुर में एक के बाद एक आठ सीरियल बम ब्लास्ट हुए, जिसमें 71 लोग काल का ग्रास बन गए थे और 186 लोग घायल हो गए थे. लेकिन इन धमाकों के आरोपी आज भी सजा से दूर हैं. उन्हें पहले निचली अदालत ने तो मृत्युदंड दिया लेकिन हाईकोर्ट ने जांच एजेंसी पर सवाल उठाते हुए, उन्हें बरी कर दिया. हालांकि इस फैसले के खिलाफ पीड़ितों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा जरूर खटखटाया है. इसके अलावा चांदपोल बाजार से ही एक जिंदा बम भी मिला था, जिसका रात 9 बजे का टाइमर सेट था, लेकिन 15 मिनट पहले बम स्क्वायड टीम ने इसे डिफ्यूज कर दिया था. आज बम धमाकों की बरसी पर सांगानेरी गेट पर लोग जुटेंगे, हनुमान चालीसा का पाठ किया जाएगा, लेकिन जो लोग इन बम धमाकों में पीड़ित है या प्रत्यक्षदर्शी हैं, वो इस मंजर को भूला नहीं भुला पा रहे.

छिन्न-भिन्न हालत में घर पहुंचा था पिता का शव : चांदपोल हनुमान मंदिर के बाहर फूलों की थड़ी लगाने वाले गोविंद ने बताया कि जब बम ब्लास्ट हुए तब इसी तरह फूलों की थड़ी लगाकर बैठे थे और उनके पिताजी उनके सामने स्कूटी पर बैठे थे. अचानक धमाका हुआ. धमाका होने के साथ ही बाजार में अंधेरा छा गया. उनके खुद के पैर में चार छर्रे लगे थे और पिताजी का शव छिन्न-भिन्न हालत में घर लाया गया था. हालांकि उन्हें सरकार से सहायता के रूप में 5 लाख रुपए भी मिले. घर में एक परिजन को नौकरी भी मिली. एक डेयरी भी अनाउंस की गई थी, वो नहीं मिल पाई. लेकिन गुस्सा इस बात का है कि जयपुर में जिन दरिंदों ने बम धमाकों को अंजाम दिया, वो आज भी जिंदा है. जबकि उन्हें तो देखते ही बिना पूछताछ के गोली मार देनी चाहिए थी, या जनता के हवाले कर देते. जनता खुद उनका फैसला कर देती.

हर साल 13 मई को जख्म हो जाते हैं हरे
हर साल 13 मई को जख्म हो जाते हैं हरे (फोटो ईटीवी भारत GFX)

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200 मीटर दूर कांच की खिड़कियां तक टूटी : वहीं प्रत्यक्षदर्शी रहे चेतन शर्मा ने बताया कि चांदपोल में जब धमाका हुआ तो पहले लगा कि कोई सिलेंडर फट गया, लेकिन जब दुकान से बाहर निकल करके देखा तो वहां तबाही का मंजर था. हर तरफ चीत्कार मची हुई थी. लोग बदहवास इधर-उधर दौड़ रहे थे. हर तरफ धुआं ही धुआं था. पुलिस प्रशासन भी तत्काल यहां पहुंच गया था. एंबुलेंस शव और पीड़ितों को लेकर अस्पताल जा रही थी. उन्होंने खुद भी कई घायलों को अस्पताल पहुंचाया, लेकिन उस तबाही के मंजर को आज भी नहीं भूल सकते. उस धमाके की वजह से 150- 200 मीटर की दूरी में भी घरों की कांच की खिड़कियां टूट गई थी. बम से निकले झर्रे शटर, पोल और दीवारों में जा लगे थे. उन्होंने कहा कि बम धमाकों में जिन परिवारों ने अपनों को खोया वो आज भी उस दिन को याद कर सिहर उठते हैं. क्योंकि गुनहगार अब तक जिंदा है, लेकिन यकीन है कि जयपुर को न्याय जरूर मिलेगा.

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किसी ने बेटा खोया तो किसी ने अंग : इसी तरह जयपुर बम धमाका के प्रत्यक्षदर्शी रहे सांगानेरी गेट हनुमान मंदिर के पुजारी भंवरलाल शर्मा ने बताया कि उस दिन मंगलवार का दिन था. बजरंगबली के दुग्धाभिषेक होना था. मंदिर में तैयारी चल रही थी. तब अचानक बम ब्लास्ट हुआ, जिसमें उनके साथी पंडित, मंदिर के बाहर मौजूद प्रसाद वितरक, उनका बेटा और मंदिर के बाहर ही भिक्षा मांगने वाले कई इस बम धमाके की चपेट में आकर काल का ग्रास बन गए. वहीं चांदपोल मंदिर के बाहर मिले पीड़ित देवी सिंह ने बताया कि वो अखबार बांटने का काम करते थे. इस काम से फ्री होकर लौट रहे थे. तभी अचानक बम ब्लास्ट हुआ और उनके शरीर में दो छर्रे लगे. जिससे उनकी एक किडनी डैमेज हो गई. आज वो सिर्फ एक किडनी के सहारे जीवन यापन कर रहे हैं. सरकार से एक लाख रुपए तो मिला, लेकिन चार बार ऑपरेशन हुआ तो उसके बाद कुछ नहीं बचा. आज कोई भारी सामान उठा नहीं पाते परिवार की माली हालत ठीक नहीं. इसलिए सरकार से राहत की अपेक्षा लगाए बैठे हैं.

16 बरस बीते, लेकिन न्याय नहीं मिला : बहरहाल, आज 16 साल बाद भी जयपुर को न्याय मिलना बाकी है. गुनहगारों को सजा देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है. ऐसे में लोगों को उम्मीद है कि जयपुर को जल्द न्याय मिलेगा.

Last Updated : May 13, 2024, 1:10 PM IST
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