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बिना चमक और टूटे-फूटे गेहूं की भी मिलेगी पूरी रकम, जानिये क्या है सरकार का नया प्लान - government relax wheat procurement

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 25, 2024, 2:03 PM IST

WHEAT PROCUREMENT NORMS FOR MP
गेहूं खरीद मानदंडों में ढील

केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश और राजस्थान में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से खराब हुई सफलों के मद्देनजर गेहूं खरीद मानदंडों में ढील दी है. मध्य प्रदेश में सिकुड़े और टूटे हुए अनाज की खरीद सीमा को मौजूदा 6% से बढ़ाकर 15% और राजस्थान में 20% कर दिया गया है.

जबलपुर। मध्य प्रदेश और राजस्थान के गेहूं उत्पादक किसानों के लिए अच्छी खबर है. अब सरकार उनका 15% तक चमक विहीन, सुकड़ा और टूटा फूटा गेहूं भी खरीदेगी. पहले यह सीमा मात्र 6% थी. मतलब जिन किसानों की फसल पर गेहूं की कटाई के दौरान पानी पड़ चुका है, वह भी अपनी फसल समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीद केंद्रों पर बेच सकते हैं. दरअसल सरकार को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत अपने भंडार भरने हैं और इसके लिए ज्यादा गेहूं की जरूरत है.

किसानों के लिए खुशखबरी

इस साल गेहूं की फसल काटने के बाद भी बारिश होती रही. इसकी वजह से कई किसानों की गेहूं की फसल खेत में ही थी. बारिश की वजह से उनकी फसल की चमक चली गई, ऐसी स्थिति में किसानों को इस गेहूं को बेचना थोड़ा कठिन था, क्योंकि सरकार एफएकयू के अनुसार अनाज खरीदनी है और यदि सरकार की गाइडलाइन के अनुसार अनाज नहीं होता तो उसे किसानों से नहीं खरीदा जाता. लेकिन केंद्र सरकार ने गेहूं खरीदी के मापदंडों में भारी ढील दी है.

एमपी में 15% तक चमक विहीन गेंहू खरीदेगी सरकार

मध्य प्रदेश और राजस्थान दोनों ही राज्यों के किसान जहां पहले मात्र 6% तक क्षतिग्रस्त अनाज बेच पा रहे थे,अब मध्य प्रदेश में 6% से बढ़कर इस 15% कर दिया गया है. वहीं राजस्थान में इसे लगभग 20% तक बढ़ा दिया गया है. मतलब मध्य प्रदेश में चमक विहीन गेहूं और टूटे-फूटे गेहूं को पहले केवल 6% तक स्वीकार किया जा रहा था. लेकिन अब मध्य प्रदेश के किसान 15% तक चमक विहीन और टूटा फूटा या टुकड़े हुए दाने का गेहूं भी सरकारी खरीद में बेच सकेंगे.

गेहूं खरीदी की सीमा भी बढ़ाई

दरअसल केंद्र सरकार को चालू मार्केटिंग सीजन में 310 लाख मैट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य है. पिछले साल केवल 262 लाख मैट्रिक टन गेहूं खरीदा गया था. जबकि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्य योजना के तहत ज्यादा गेहूं की जरूरत है. गेहूं की कमी की वजह से पिछले साल गेहूं के आवंटन को लगभग 60% घटा दिया गया था. मतलब जो गेहूं का आवंटन 18.02 मिलियन तन होना था उसे घटकर 7.01 मिलियन तान कर दिया गया था और कई जगहों पर यह सुनने को मिला था कि गेहूं की बजाय गरीबों को चावल बांटे गए. सरकार इसी समस्या को खत्म करने के लिए गेहूं खरीदी की सीमा भी बढ़ा रही है. मध्य प्रदेश में इस सीमा को 50% तक बढ़ाया जा रहा है. वहीं राजस्थान में गेहूं खरीदी की सीमा 70% तक बढ़ाई जा रही है.

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सरकार के फैसले का किसानों को भारी फायदा

मध्य प्रदेश और राजस्थान के 59 प्रमुख जिलों की पहचान की गई है जहां पर बड़े तादाद में गेहूं की खरीदी हो रही है. सरकार को उम्मीद है कि यहीं से उनके स्टॉक को पूरा किया जा सकता है. सरकार के इस फैसले का सबसे ज्यादा फायदा किसानों को मिलेगा, क्योंकि उनकी चमक विहीन फसल को भी अब अच्छे दाम मिलेंगे और इसका असर उन आम उपभोक्ताओं पर भी पड़ेगा. जो सरकारी योजना के तहत गेहूं नहीं खरीद रहे थे और बाजार में खुदरा गेहूं के दाम बढ़ाने की संभावना भी है.

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