अलवर. आज अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस है. देश-विदेश के पर्यटकों के लिए राजस्थान हमेशा पहली पसंद रहा है. राजस्थान का अलवर जिला अब पर्यटन क्षेत्र में अपनी ख्याति के अनुसार पर्यटकों को रिझा रहा है. यहां आने वाले पर्यटकों के देखने लायक कई पर्यटन स्थल हैं. ऐसा ही एक पर्यटन केंद्र अलवर का संग्रहालय है, जिसे देखे बिना अलवर में यात्रा करने वालों की यात्रा अधूरी मानी जाती है. अलवर के संग्रहालय को प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा संग्रहालय माना जाता है. इस संग्रहालय का निर्माण 1940 में अलवर के अंतिम महाराजा तेज सिंह ने करवाया था. हाल ही में इसमें कई करोड़ रुपए की लागत से रिनोवेशन का कार्य पूरा हुआ है. इसके बाद यहां आने वाले देसी-विदेशी पर्यटकों की संख्या में इजाफा हुआ है.
इतिहासकार हरिशंकर गोयल ने बताया कि शहर के सिटी पैलेस की पांचवी मंजिल पर संग्रहालय में एंटीक कलेक्शन का बड़ा संग्रह है. इस म्यूजियम में अलवर के पूर्व शासक जयसिंह की ओर से इंग्लैंड से मंगवाई गई गियर व ब्रेक वाली साइकिल, जर्मन सिल्वर से निर्मित मेज, इंदौर के महाराजा यशवंत राव होल्कर की युद्ध के दौरान पहनी गई पोशाक, एक म्यान में दो तलवार, कैमल गन के साथ-साथ बाबरनामा, अकबरनामा सहित अन्य कई ग्रंथ हैं. इन सभी एंटीक कलेक्शन को देखने के लिए देसी विदेशी पर्यटकों का जमावड़ा यहां पर लगा रहता है. म्यूजियम को देखने आने वाले देसी पर्यटकों की एंट्री टिकट 20 रुपए है.
![एक म्यान में दो तलवार प्रदर्शित](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/18-05-2024/therearetwoswordsinonescabbardinthismuseumknowthehistoryofthesecondlargestmuseumofthestate_18052024110647_1805f_1716010607_415.jpg)
एक म्यान में दो तलवार है खास : अक्सर लोगों ने यह कहावत सुनी है कि एक म्यान में दो तलवार नहीं हो सकती, लेकिन अलवर के संग्रहालय में ये मुमकिन है. अलवर के संग्रहालय के तीसरे कमरे में एक म्यान में दो तलवार प्रदर्शित है. इन्हें देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक आते हैं. इसके साथ ही इसी कक्षा में हजरत अली की तलवार, जिस पर फारसी लेख लिखा हुआ है, भी प्रदर्शित की गई है.
कई तरह की खाल की ढाल है प्रदर्शित : हरिशंकर गोयल ने बताया कि अन्य राज्यों के संग्रहालय में एक या दो तरह की ढाल देखने को मिलती है, लेकिन अलवर के संग्रहालय में एक ही जगह पर गेंडे की खाल, कछुए की खाल और मगरमच्छ की खाल के साथ मेटल से बनी हुई ढाल भी प्रदर्शित की गई है. साथ ही संग्रहालय में प्रवेश द्वार पर रखी चांदी की मेज का निर्माण कलाकार नंदकिशोर ने किया था. इस मेज के नीचे एक यंत्र लगा हुआ है, जिसके चलते मेज के ऊपर ऐसा लगता है कि पानी में मछलियां तैर रही हैं.
![इंदौर के महाराजा यशवंत राव होल्कर की युद्ध के दौरान पहनी गई पोशाक](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/18-05-2024/therearetwoswordsinonescabbardinthismuseumknowthehistoryofthesecondlargestmuseumofthestate_18052024110647_1805f_1716010607_568.jpg)
16 हजार से ज्यादा आर्टिकल का है संग्रह : इतिहासकार गोयल ने बताया कि अलवर के संग्रहालय में 234 मूर्तियां, 11 शिलालेख, 9 हजार से ज्यादा सिक्के, 2565 पेंटिंग, 2270 अस्त्र-शस्त्र 1809 वाद्य यंत्र प्रदर्शित हैं. इसके अलावा संग्रहालय में हाथी दांत से बनी हुई कलाकृतियों के साथ-साथ अलवर के महाराज की ओर से शिकार किए हुए विदेशी पक्षी, पैंथर, बाघ और महाराज का प्रिय भालू, जिसकी शराब पीने की कहानी काफी प्रचलित है. यह सब संग्रहालय में प्रदर्शित हैं.
सिंहासन पर बैठकर होता था न्याय : अलवर के पूर्व महाराजा जयसिंह की ओर से प्रयोग में लिए जाने वाला सिंहासन आज भी संग्रहालय में मौजूद है. देखने में यह सिंहासन सोने का बना हुआ लगता है, लेकिन इस पर सोने के पानी की पॉलिश की गई है. ऐसा कहा जाता है कि पूर्व महाराज इस सिंहासन पर बैठकर अपनी प्रजा का न्याय करते थे.