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बिल में छुपे आतंकियों को चुन-चुनकर मारेगा ये ड्रोन; बिल्डिंग में हों या पहाड़ी पर, पहले जासूसी फिर गोलियों की बौछार - IIT Kanpur Drone

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 24, 2024, 11:21 AM IST

Updated : May 24, 2024, 1:09 PM IST

सेना ने इन ड्रोंस को खरीदकर इनका उपयोग भी शुरू कर दिया है. आईआईटी कानपुर की इंक्यूबेटेड कंपनी डिलेटॉन डिफेंस के चीफ टेक्निकल ऑफिसर कुमार मयंक ने इस पूरे मामले पर ईटीवी भारत संवाददाता से एक्सक्लूसिव बात की है.

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IIT कानपुर ने सेना के लिए बनाया गजब का ड्रोन. (फोटो क्रेडिट; Etv Bharat)

आईआईटी कानपुर की ओर से तैयार किया गए ड्रोन का डेमो. (वीडियो क्रेडिट; IIT Kanpur)

कानपुर: अक्सर ही हमें ऐसा सुनने को मिलता है कि सैन्य गतिविधियों के दौरान बिल्डिंगों में मौजूद दुश्मन छिपकर सैन्यकर्मियों पर हमला कर देते हैं, जिससे सैन्य कर्मियों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. अब ऐसे दुश्मनों को ढूंढकर उनका सीना छलनी किया जा सकेगा.

दरअसल, आईआईटी कानपुर की इंक्यूबेटेड कंपनी डिलेटॉन डिफेंस ने घातक सीरिज के तहत दो ऐसे ड्रोन- बिल्डिंग इंटरवेंशन ड्रोन व कामाकाजी ड्रोंस तैयार किए हैं, जिनकी मदद से सैनिकों को दुश्मनों से निपटने में बहुत अधिक मदद मिलेगी.

वहीं, एक खास बात यह भी है कि सेना ने इन ड्रोंस को खरीदकर इनका उपयोग भी शुरू कर दिया है. आईआईटी कानपुर की इंक्यूबेटेड कंपनी डिलेटॉन डिफेंस के चीफ टेक्निकल ऑफिसर कुमार मयंक ने इस पूरे मामले पर ईटीवी भारत संवाददाता से एक्सक्लूसिव बात की है.

बिल्डिंग इंटरवेंशन ड्रोंस या स्टार्म ड्रोंस की ये हैं खासियत: कुमार मयंक ने बताया कि बिल्डिंग इंटरवेंशन ड्रोन में जहां नाइट विजन की सुविधा है, वहीं इसका डिस्प्ले वीआर है. इसमें 600 ग्राम तक भार ले जाया जा सकता है. इसकी स्क्रीन पांच इंच की है, जिसमें ड्रोन की गतिविधियों को देखा जा सकता है. इस ड्रोन में लॉक एटिट्यूड, 360 डिग्री व्यू, अधिकतम स्पीड लिमिट को समाहित करने जैसी तमाम सुविधाएं हैं.

कुमार मयंक ने बताया कि इन ड्रोंस की कीमत लाखों रुपये में है. ये सभी चार्जेबल ड्रोन हैं. यह किसी भी बिल्डिंग में अधिकतम आधे घंटे तक सर्च कर सकते हैं. ड्रोंस में सेंसर भी लगाए गए हैं. इसी तरह से कामाकाजी ड्रोन में अधिकतम भार 1 से 1.5 किलोग्राम तक ले जाया जा सकता है. इसकी स्पीड 120 किलोमीटर प्रतिघंटा है.

अब एआई पायलट प्रोजेक्ट पर कर रहे काम: कुमार मयंक ने बताया कि फिलहाल अब वह अपनी कंपनी में टीम के सदस्यों संग एआई पायलट प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तकनीक से ही पायलट ड्रोंस या किसी एविएटर की पूरी कमांड संभाल सकेगा.

बोले, 2019 में एआई की दुनिया में यूनिवर्सिटी आफ कैम्ब्रिज की ओर से एआई ओलंपिक्स 2019 प्रतियोगिता आयोजित की गई थी, जिसमें पूरी दुनिया से 60 टीमों ने भाग लिया था. उसमें कुमार मयंक की कंपनी को दुनिया में पहला स्थान मिला था.

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Last Updated : May 24, 2024, 1:09 PM IST
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