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हेड फोन या ईयर बड 20 मिनट से ज्यादा न लगाएं; हो सकते हैं बहरे, डीजे-कॉन्सर्ट से भी बनाएं दूरी - Is Ear Buds Cause Deafness

मौजूदा दौर में हर 7वां-8वां व्यक्ति कान में हेडफोन या ईयर बड लगाए घूमता मिल जाएगा. युवाओं में तो ये ट्रेंड सबसे ज्यादा है. वो दिनभर हेड फोन या ईयर बड लगाकर गाने सुनते रहते हैं. आईए जानते हैं, ये कितना हानिकारक है और इसका प्रयोग करना ही है तो कैसे करें.

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हेड फोन या ईयर बड 20 मिनट से ज्यादा न लगाएं (फोटो क्रेडिट; Etv Bharat Archive)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 22, 2024, 6:28 PM IST

Updated : Jun 24, 2024, 2:41 PM IST

लखनऊ: भीषण गर्मी के बाद अब बारिश का मौसम शुरू हो गया है. मौसम में ये बदलाव कई बीमारियों को भी जन्म देता है. इसमें सबसे ज्यादा वायरल बुखार से लोग परेशान होते हैं. वायरल की चपेट में आने और सर्दी-जुकाम-बुखार के साथ अचानक सुनाई देना बंद हो जाए या कम हो जाए तो तुरंत ईएनटी विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए. दरअसल, यह सडेन सेंसरी न्यूरल हियरिंग लॉस के कारण हो सकता है.

सिंगर अलगा याग्निक को हुई गंभीर बीमारी: सडेन सेंसरी न्यूरल हियरिंग लॉस की चपेट में आने पर मरीज हमेशा के लिए बहरा हो सकता है. हालांकि समय से इलाज होने पर बीमारी पूरी तरह से ठीक हो सकती है. दरअसल, वायरस के कान की नर्व पर अटैक करने के कारण ऐसा होता है. हाल ही में बॉलीवुड सिंगर अलका याग्निक को यह बीमारी हुई है. उनके सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के बाद इस बीमारी पर चर्चा शुरू हो गई है.

सडेन सेंसरी न्यूरल हियरिंग लॉस बीमारी पर क्या कहते हैं डॉक्टर: केजीएमयू के ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. वीरेंद्र वर्मा ने बताया कि मौसम बदलने पर कई लोग वायरल की चपेट में आते हैं. हालांकि सभी इसका शिकार नहीं होते. मुख्य रूप से हर्पीज वायरस का असर कान की नर्व पर देखने को मिलता है. इससे कान की नसों में सूजन आ जाती है.

सामान्य तौर पर कमजोर इम्युनिटी वालों को खतरा रहता है. हालांकि, ऐसे मरीजों की संख्या काफी सीमित है. इसमें पहले से बचाव का कोई तरीका नहीं है. ऐसे में कान में दिक्कत होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए. राहत की बात यह है कि एंटीवायरल दवाएं व स्टेरॉयड से कान पूरी तरह ठीक हो जाता है.

हेड फोन या ईयर बड लगाने से पहले इन बातों का रखें ध्यान

  • 60 डिसेबल से अधिक की आवाज न सुनें.
  • हेड फोन को तेज आवाज में बीस मिनट से अधिक न लगाएं.
  • डीजे, क्लब व कॉन्सर्ट आदि में ज्यादा देर न रहें.
  • तेज आवाज वाली जगह पर इयर प्रोटेक्शन का प्रयोग करें.
  • कान में दिक्कत होने पर ईएनटी विशेषज्ञ को ही दिखाएं.

अलका याग्निक की पोस्ट के बाद से अस्पताल में मरीज बढ़े: उन्होंने बताया कि जब से सिंगर की खबर चर्चा में आई है, तब से अस्पताल की ओपीडी में भी मरीजों की संख्या काफी ज्यादा बड़ी है. बहुत सारे ऐसे मरीज हैं जो अपने कान को इस वजह से ही चेक करने के लिए आ रहे हैं. आम दिनों में मरीजों की संख्या जो 150 होती थी वह अब बढ़ गई है.

लगभग 300 मरीज इस समय रोज ओपीडी में आ रहे हैं. इनमें आधे से अधिक मरीज रहते हैं. जो बस केवल अपने कान को चेक करने के लिए आ रहे हैं कि कहीं उनके कान की सुनने की क्षमता कम तो नहीं हुई है.

हेड फोन या ईयर बड से कम हो जाती है सुनने की क्षमता: इस समय देखा जा रहा है कि बहुत सारे युवा मरीज जो अधिक तेज आवाज में हमेशा हेडफोन में गाना सुनते रहते हैं. उनके सुनने की क्षमता थोड़ा कम हुई है और कुछ ऐसे मरीज है जिनकी पूरी तरह से सुनने की क्षमता जा चुकी है.

कम सुनाई देने पर क्या करें: डॉ. वीरेंद्र ने बताया कि बीमारी की चपेट में आने और सुनने में दिक्कत के तीन दिन के अंदर ही इलाज बेहद जरूरी होता है. इस दौरान इलाज नहीं होने से सुनने की क्षमता पूरी तरह प्रभावित होने लगती है. इलाज में देरी से सुनने की पूरी क्षमता वापास नहीं आती. जबकि नहीं करवाने से मरीज बहरा तक हो सकता है.

कम सुनाई देने पर कौन से टेस्ट कराना चाहिए: इसकी डायग्नोसिस के लिए ऑडियोमेट्री टेस्ट करवाया जाता है. इसमें अलग-अलग फ्रीक्वेंसी में आवाजे सुनाई जाती है. लगातार कोई तीन फ्रीक्वेंसी तीस डिसेबल तक सुनाई नहीं देने पर बीमारी की पुष्टि होती है.

ये भी पढ़ेंः नेपाल के लिए भी लगेगा पासपोर्ट; पड़ोसी देश की संसद में रखा गया प्रस्ताव, सीमा पर लगेंगे कटीले तार

लखनऊ: भीषण गर्मी के बाद अब बारिश का मौसम शुरू हो गया है. मौसम में ये बदलाव कई बीमारियों को भी जन्म देता है. इसमें सबसे ज्यादा वायरल बुखार से लोग परेशान होते हैं. वायरल की चपेट में आने और सर्दी-जुकाम-बुखार के साथ अचानक सुनाई देना बंद हो जाए या कम हो जाए तो तुरंत ईएनटी विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए. दरअसल, यह सडेन सेंसरी न्यूरल हियरिंग लॉस के कारण हो सकता है.

सिंगर अलगा याग्निक को हुई गंभीर बीमारी: सडेन सेंसरी न्यूरल हियरिंग लॉस की चपेट में आने पर मरीज हमेशा के लिए बहरा हो सकता है. हालांकि समय से इलाज होने पर बीमारी पूरी तरह से ठीक हो सकती है. दरअसल, वायरस के कान की नर्व पर अटैक करने के कारण ऐसा होता है. हाल ही में बॉलीवुड सिंगर अलका याग्निक को यह बीमारी हुई है. उनके सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के बाद इस बीमारी पर चर्चा शुरू हो गई है.

सडेन सेंसरी न्यूरल हियरिंग लॉस बीमारी पर क्या कहते हैं डॉक्टर: केजीएमयू के ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. वीरेंद्र वर्मा ने बताया कि मौसम बदलने पर कई लोग वायरल की चपेट में आते हैं. हालांकि सभी इसका शिकार नहीं होते. मुख्य रूप से हर्पीज वायरस का असर कान की नर्व पर देखने को मिलता है. इससे कान की नसों में सूजन आ जाती है.

सामान्य तौर पर कमजोर इम्युनिटी वालों को खतरा रहता है. हालांकि, ऐसे मरीजों की संख्या काफी सीमित है. इसमें पहले से बचाव का कोई तरीका नहीं है. ऐसे में कान में दिक्कत होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए. राहत की बात यह है कि एंटीवायरल दवाएं व स्टेरॉयड से कान पूरी तरह ठीक हो जाता है.

हेड फोन या ईयर बड लगाने से पहले इन बातों का रखें ध्यान

  • 60 डिसेबल से अधिक की आवाज न सुनें.
  • हेड फोन को तेज आवाज में बीस मिनट से अधिक न लगाएं.
  • डीजे, क्लब व कॉन्सर्ट आदि में ज्यादा देर न रहें.
  • तेज आवाज वाली जगह पर इयर प्रोटेक्शन का प्रयोग करें.
  • कान में दिक्कत होने पर ईएनटी विशेषज्ञ को ही दिखाएं.

अलका याग्निक की पोस्ट के बाद से अस्पताल में मरीज बढ़े: उन्होंने बताया कि जब से सिंगर की खबर चर्चा में आई है, तब से अस्पताल की ओपीडी में भी मरीजों की संख्या काफी ज्यादा बड़ी है. बहुत सारे ऐसे मरीज हैं जो अपने कान को इस वजह से ही चेक करने के लिए आ रहे हैं. आम दिनों में मरीजों की संख्या जो 150 होती थी वह अब बढ़ गई है.

लगभग 300 मरीज इस समय रोज ओपीडी में आ रहे हैं. इनमें आधे से अधिक मरीज रहते हैं. जो बस केवल अपने कान को चेक करने के लिए आ रहे हैं कि कहीं उनके कान की सुनने की क्षमता कम तो नहीं हुई है.

हेड फोन या ईयर बड से कम हो जाती है सुनने की क्षमता: इस समय देखा जा रहा है कि बहुत सारे युवा मरीज जो अधिक तेज आवाज में हमेशा हेडफोन में गाना सुनते रहते हैं. उनके सुनने की क्षमता थोड़ा कम हुई है और कुछ ऐसे मरीज है जिनकी पूरी तरह से सुनने की क्षमता जा चुकी है.

कम सुनाई देने पर क्या करें: डॉ. वीरेंद्र ने बताया कि बीमारी की चपेट में आने और सुनने में दिक्कत के तीन दिन के अंदर ही इलाज बेहद जरूरी होता है. इस दौरान इलाज नहीं होने से सुनने की क्षमता पूरी तरह प्रभावित होने लगती है. इलाज में देरी से सुनने की पूरी क्षमता वापास नहीं आती. जबकि नहीं करवाने से मरीज बहरा तक हो सकता है.

कम सुनाई देने पर कौन से टेस्ट कराना चाहिए: इसकी डायग्नोसिस के लिए ऑडियोमेट्री टेस्ट करवाया जाता है. इसमें अलग-अलग फ्रीक्वेंसी में आवाजे सुनाई जाती है. लगातार कोई तीन फ्रीक्वेंसी तीस डिसेबल तक सुनाई नहीं देने पर बीमारी की पुष्टि होती है.

ये भी पढ़ेंः नेपाल के लिए भी लगेगा पासपोर्ट; पड़ोसी देश की संसद में रखा गया प्रस्ताव, सीमा पर लगेंगे कटीले तार

Last Updated : Jun 24, 2024, 2:41 PM IST
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