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पलाश के फूल, गुलाब, पालक, नीम के पत्ते से तैयार किया जा रहा हर्बल रंग और गुलाल, जानिए क्या है इसे बनाने का तरीका

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Mar 19, 2024, 6:29 PM IST

Updated : Mar 19, 2024, 8:21 PM IST

How to make herbal color and gulal
How to make herbal color and gulal

How to make herbal color and gulal. झारखंड में पलाश के फूल, गुलाब, पालक, नीम के पत्ते से हर्बल रंग और गुलाल तैयार किया जाता है. इस रिपोर्ट में जानिए हर्बल रंग और गुलाल बनाने का तरीका क्या है.

जानकारी देते संवाददाता नीरज कुमार

पलामू: होली का त्योहार नजदीक है. होली के दौरान रंग अबीर गुलाल का खास महत्व होता है. बदलते वक्त के साथ लोग केमिकल रंग की जगह हर्बल रंग के इस्तेमाल को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं. यही वजह है कि बाजार में हर्बल अबीर गुलाल और रंग की मांग बढ़ गई है.

पलामू में महिलाओं की एक टीम हर्बल रंग और अबीर तैयार कर रही हैं. महिलाओं की यह टीम पलाश के फूल, गुलाब, पालक, गेंदा फूल, चुकंदर, आरारोट से हर्बल रंगों को तैयार कर रही हैं. झारखंड लाइवलीहुड प्रमोशनल सोसाइटी के माध्यम से महिलाओं को सामग्री उपलब्ध करवाई गई है. जिसके बाद महिलाओं की टीम ने हर्बल रंग का उत्पादन शुरू किया.

झारखंड के तीन इलाकों में इस बार हर्बल उत्पाद तैयार शुरू किए हैं. पलामू के लेस्लीगंज के कुंदरी में स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हुई महिलाएं हर्बल रंग बना रही हैं. अब तक महिलाएं डेढ़ क्विंटल हर्बल रंग और अबीर-गुलाल तैयार कर चुकी हैं. अगले दो से तीन दिनों में तीन क्विंटल तक हर्बल उत्पाद करने का लक्ष्य है. हर्बल रंग-अबीर और गुलाल को रांची, गढ़वा समेत कई इलाकों में भेजा जाना है.

हर्बल रंग को लेकर महिलाएं है उत्साहित, बढ़ाना चाहती हैं कारोबार

पलामू के कुंदरी के इलाके में एशिया का सबसे पलाश बगान है. पलाश के बागान से निकले हुए फूल से हर्बल रंग-अबीर और गुलाल को तैयार किया जा रहा है. पलामू की लेस्लीगंज की रहने वाली बिंदिया देवी और नागवंती देवी ने बताया कि हर्बल रंगों से किसी को कोई नुकसान नहीं होता है. इसके साइड इफेक्ट नहीं हैं. वे बताती हैं कि इस बार बाजार अच्छा रहा तो अगली बार बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन किया जाएगा. वहीं, मनोरमा देवी ने बताया कि सभी दीदियां मिलकर इसे तैयार कर रही हैं.

महिलाओं को दिया गया था ट्रेनिंग, उपलब्ध करवाया जा रहा बाजार

हर्बल रंग अबीर गुलाल को तैयार करने से पहले महिलाओं को ट्रेनिंग दी गयी थी. ट्रेनिंग के बाद महिलाओं को कच्ची सामग्री उपलब्ध करवाई गई. जिसके बाद उत्पादन शुरू हुआ. उत्पादन के दौरान कई सावधानी बरती जा रही है. जेएसएलपीएस के सुनील कुमार ने बताया कि हर्बल रंग अबीर गुलाल को पलाश मार्ट के माध्यम से बाजार उपलब्ध करवाया जा रहा है. कई जगहों से एडवांस में ही ऑर्डर मिल चुके हैं.

हर्बल रंग-अबीर और गुलाल बनाने का क्या है तरीका

हर्बल अबीर, गुलाल को तैयार करना चाहते हैं तो रंग के हिसाब से अलग-अलग सामग्री की जरूरत पड़ती है. जिसमें पलाश का फूल, रंग के हिसाब से गेंदा का फूल, चुकंदर, पालक, नीम के पत्ते, आरारोट, टेलकम पाउडर, गुलाब की जरूरत होती है.

अगर 500 ग्राम गुलाबी रंग का अबीर गुलाल तैयार करना है तो 150 ग्राम पलाश के फूल, 250 ग्राम आरारोट, टेलकम 250 ग्राम, 200 ग्राम चुकंदर, 100 ग्राम गुलाब के फूल, 50 ग्राम नीम के पत्तों की जरूरत होगी. सबसे पहले पलाश के फूल को सुखा लिया जाता है. इससे बाद इसके काले पंखुड़ियों को निकाल दिया जाता है. पलाश के फूल अगर सूखे नहीं हैं तो उसे उबालने के बाद पानी को निकाल लिया जाता है. इसमें चुकंदर के छोटे छोटे टुकड़े को मिक्स कर दिया जाता है. इसी दौरान पानी को उबाला जाता है और फिर उसमें पहले आरारोट, टेलकम पाउडर, पलाश के फूल (अगर सूखा हुआ नही है तो उसका पानी), सुखे गुलाब के फूल के पत्ते और नीम के पत्तों को मिला दिया जाता है. फिर इसे मशीन में मिला दिया जाता है. बाद में सभी को गर्म पानी मे आपस मे मिलाकर सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है.

पीले रंग के अबीर, गुलाल बनाने के लिए चुकंदर की जगह गेंदा फूल का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं, हरे रंग के लिए चुकंदर, गेंदा फूल की जगह पालक का इस्तेमाल किया जाता है.

वहीं, रंग तैयार करने के लिए आरारोट और टेलकम पाउडर की मात्रा बेहद ही कम लगाई जाती है. उसमें रंग के हिसाब से चुकंदर, पालक, गेंदा के फूल की मात्रा अधिक होती है. 100 ग्राम रंग बनाने के लिए 100 ग्राम पलाश के फूल, 50 ग्राम चुकंदर/पालक/गेंदा फूल/, 10 ग्राम से हिसाब से टेलकम पाउडर और आरारोट आदि का इस्तेमाल किया जाता है.

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Last Updated :Mar 19, 2024, 8:21 PM IST
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